बृहस्पति ने अपना स्थाल बदला, जानें किस राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव
बृहस्पति तुला राशि से वृश्चिक राशि यानी अपने मित्र मंगल की राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसका असर सभी राशियों पर पड़ेगा।
गोरखपुर, (जेएनएन)। 11 अक्टूबर को बृहस्पति तुला राशि से वृश्चिक राशि यानी अपने मित्र मंगल की राशि में प्रवेश कर गए। वहां लगभग 13 माह तक रहेंगे। ग्रहों में बृहस्पति को गुरु व मंगल को सेनापति कहा जाता है। सामान्यतया बृहस्पति गोचर में दो, पांच, सात, नौ व 11वें स्थानों में होने पर शुभ फल प्रदान करता है। यह गोचर परिवर्तन वृष, कर्क, कन्या, तुला, मकर व मीन राशि वाले जातकों के लिए विशेष शुभ कारक होगा। जागरण ने महानगर के ज्योतिषाचार्यों से गुरु के राशि परिवर्तन के प्रभावों को लेकर विस्तार से बातचीत की।
चंद्रमा व शुक्र के बाद गुरु सबसे चमकदार ग्रह
ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार गुरु को वैदिक ज्योतिष में आकाश तत्व माना गया है। जिससे इसकी विशालता, विकास और विस्तार का संकेत स्पष्ट होता है। चंद्रमा व शुक्र के बाद गुरु सबसे चमकदार ग्रह है। इसकी राशि धनु व मीन है, यह कर्क राशि पर उच्च व मकर राशि पर नीचस्थ हो जाता है। सूर्य, चंद्रमा व मंगल इसके मित्र हैैं, बुध शत्रु व शनि तटस्थ हैैं। गुरु पिछले जन्मों के कर्म, धर्म, ज्ञान आदि विषयों को प्रतिरूपित करता है तथा यह स्मृति शिक्षा, राजनीति, मंत्री पद एवं उच्च अभिलाषा आदि का कारक ग्रह है।
भारतीय राजनीति पर विशेष प्रभाव
ज्योतिषाचार्य पं. विवेक कुमार उपाध्याय के अनुसार वृश्चिक राशि में गुरु के परिवर्तन से भारतीय राजनीति पर विशेष प्रभाव देखा जाएगा। मंत्रालय में बदलाव या राज्यसभा में भी पदों की वृद्धि की जा सकती है। इस वर्ष उन्माद में वृद्धि हो सकती है। जनता में असंतोष की स्थिति बन सकती है। वित्तीय योजनाओं को बल तो मिलेगा, लेकिन देश की आर्थिक स्थिति खराब भी हो सकती है। महंगाई में तेजी आएगी। ईंधन की दर में भी तेजी आने की आशंका है, साथ ही विधिक पक्ष में भी अभूतपूर्व बदलाव देखे जाएंगे। टेक्नोलॉजी की दिशा में विस्तार होगा।
सभी क्षेत्रों में होगी उल्लेखनीय प्रगति
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पं. राजेश तिवारी बृहस्पति के राशि परिवर्तन के समय चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में होगा, जो बृहस्पति का नक्षत्र है। तात्पर्य यह है कि आगम काल से ही गुरु बलवती अवस्था में होंगे। फलस्वरूप वे जातकगण जिनका बृहस्पति योगकारी है, वे जीवन के सभी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करेंगे। भारत वर्ष की कुंडली में बृहस्पति अष्टम (संघर्ष, मृत्यु आदि) व एकादश (लाभ, प्रसिद्धि, जनता को होने वाले लाभ, रोजी-रोजगार आदि) का स्वामी है, लेकिन वृषभ लग्न का मारक भी गुरु है, जिसके कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब होगी।
अनुकूल-प्रतिकूल दोनों ही फल देगा
ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र के अनुसार बृहस्पति मित्र मंगल के घर में प्रवेश कर रहा है परन्तु मंगल ग्रह उष्ण होने से अनुकूल-प्रतिकूल दोनों ही फल देगा। जलवायु में विपरीत परिवर्तन और अवर्षण का योग मिलेगा। छिटपुट वर्षा का योग प्राप्त होगा। नदियों का जल स्तर न्यून हो जाएगा। सत्ता पक्ष व विपक्ष के मध्य आरोप-प्रत्यारोप का वातावरण रहेगा। सत्ता में हेर-फेर भी संभव है। घी, तेल, पेट्रोल, डीजल आदि के मूल्य में वृद्धि का क्रम बना रहेगा। दाल व अन्न के भाव में गिरावट आ सकती है। सत्ता पक्ष जनता के हित में अनेक कार्यों की योजना बनाएंगे।
राशियों पर प्रभाव
मेष : अष्टमस्थ गुरु होने से आय कम, खर्च अधिक। ऋण व रोग का भय।
वृष : जरूरत से ज्यादा व्यय, संघर्ष का समय।
मिथुन : अधिक परिश्रम, परिणाम कम।
कर्क : घर में मांगलिक कार्य व आर्थिक उन्नति की संभावना।
सिंह : कार्य क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन, यश व पराक्रम में वृद्धि।
कन्या : नए निर्णय लेने में सावधानी बरतें, शासन से लाभ।
तुला : कुछ नया होगा, हर तरफ से लाभदायक।
वृश्चिक : परेशानियों में कमी, सेहत में सुधार होगा।
धनु : आर्थिक जोखिम न लें, सेहत का ध्यान रखें।
मकर : अचानक लाभ, उन्नति के अवसर।
कुंभ : विशेष संघर्ष के बाद सफलता।
मीन : उच्च विद्या व कॅरियर में सफलता।