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UP : घटिया निर्माण पर जल निगम की बड़ी कार्रवाई - 30 अभियंताओं के खिलाफ चार्जशीट जारी Gorakhpur News

जल निगम ने स्‍वीकार किया है कि गोरखपुर में पाइप लाइन और सीवर लाइन डालने में भारी लापरवाही हुई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 12:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 07:09 AM (IST)
UP : घटिया निर्माण पर जल निगम की बड़ी कार्रवाई - 30 अभियंताओं के खिलाफ चार्जशीट जारी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठनवाल ने स्‍वीकार किया है कि गोरखपुर में पाइप लाइन और सीवर लाइन डालने में भारी लापरवाही हुई है। प्रबंध निदेशक ने नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल को फोन करके यह सूचना दी। उन्‍हों विधायक को बताया कि गोरखपुर में अंडरग्राउंड जलापूर्ति में घटिया और फटी हुई पाइप डालने तथा सीवर लाइन डालने के हुई लापरवाही के उनके आरोप प्रथम दृष्टया सही पाये गये और अधिशासी अभियंता से लेकर अवर अभियंता स्तर तक के  21 कार्यरत अभियंताओं तथा 9 सेवानिवृत अभियंताओं के विरूद्ध कार्यवाही शुरू कर दी गई है। उन्होंने नगर विधायक को सभी 30 अभियंताओं की सूची भी दी है।

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यह अभियंता पाए गए  दोषी

इसके अतिरिक्त देवरिया रोड पर बन रहे नाले की गलत डिजाइन के आरोप को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए वाराणसी के जल निगम के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक अन्वेषण दल का गठन कर दिया गया है । जांच दल के निर्णय को फाईनल माना जायेगा। प्रबंध निदेशक ने विधायक को बताया कि आजाद नगर पंचपेडवा में घटिया स्तर की फटी हुई अधोमानक पाइप डालने का उनका आरोप शासन के स्तर पर सही पाया गया और कार्यरत अधिशासी अभियंता विक्रम सिंह, सहायक अभियंता गण आदर्श वर्मा, सुदेश कुमार, राजेश विश्वकर्मा, आनन्द मिश्र, इन्द्रसेन, एनके श्रीवास्तव, एमएन मौर्या तथा श्रीराम गुप्ता, अवर अभियंता डीएन यादव, अभिषेक चौबे, उपहार गुप्ता, एसके चौधरी, एनडी सिंह, जगवन्दन, नन्दू प्रसाद तथा मेराज अली प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये हैं।

सेवानिवृत्‍त हो चुके हैं कई अभियंता

इसके अलावा अधिशासी अभियंता सूरज लाल एवं एसपी द्विवेदी, सहायक अभियंतागण (मो. रफी खान, दर्शन प्रसाद, परमजीत सिंह, एके सिंह तथा सुभाष चंद्र पांडेय ) एवं जूनियर इंजीनियर आरएन त्रिपाठी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेवानिवृत्त अभियंताओं के विरूद्ध कार्यवाही के लिये जल निगम बोर्ड से अनुमति लेनी होती है। बोर्ड ने कार्यवाही की अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि गोरखपुर के मुख्य अभियंता को निर्देशित किया गया है कि गोरखपुर में जमीन में डाले गये सारी भूमिगत पाइप की प्रेशर-तकनीकि से जांच करके मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाये कि उनमें 6 बार का दबाव सहने की क्षमता है या नहीं ? जब तक जांच नहीं हो जाएगी, ठेकेदारों को भुगतान नही होगा और उन्हें खराब पाइप नये सिरे से बदलनी होगी।

परियोजना प्रबंधक भी पाए गए दोषी

प्रबंध निदेशक ने विधायक को बताया कि शासन स्तर पर नंदानगर, दरगहिया, झरनाटोला से लेकर मालवीय नगर होते हुए महादेवपुरम तक सीवर लाइन डालने के काम में अभियंताओं के ऊपर गैर-जिम्मेदारी, लापरवाही, गलत नियोजन तथा खराब सुपरविजन के आरोप प्रथम दृष्टया सही पाये गये हैं और परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह, सहायक अभियंता  एनके श्रीवास्तव तथा पंकज एवं अवर अभियंता  सुजीत चौरसिया के विरूद्ध कार्यवाही शुरू की जा रही है।

अधिशासी अभियंताओं को चार्जशीट जारी

प्रबंध निदेशक ने विधायक को बताया कि अधिशासी अभियंता स्तर के अभियंताओं पर वह स्वयं कार्यवाही करते हैं और कार्यरत दोनों अधिशासी अभियंता विक्रम सिंह और रतनसेन सिंह को चार्जशीट जारी कर दिया गया है। सहायक एवं अवर अभियंता स्तर तक के अभियंताओं पर अधीनस्थ अधिकारी चार्जशीट जारी करते हैं, उन्हें इसके लिए निर्देशित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त गोरखपुर इकाई को यह निर्देश पहले ही दिया जा चुका है कि पुराने खोदे गये क्षेत्रों की सड़कों को पहले जैसे अच्छी बनाए बिना किसी नये क्षेत्र में सीवर लाइन डालने के लिए खोदाई नहीं की जाएगी। नगर विधायक की इस आपत्ति पर की ठेकेदार बहुत घटिया स्तर की सड़क बना रहे हैं प्रबंध निदेशक ने डा. अग्रवाल को बताया कि मुख्यालय स्तर से इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है जो गोरखपुर जाकर उनके साथ ही गुणवत्ता पर नियंत्रण करेगा।

देवरिया रोड पर बन रहे नाले की डिजाइन भी गलत

प्रबंध निदेशक ने बताया कि शासन ने उनका यह आरोप भी प्रथम दृष्टया माना है कि देवरिया रोड पर बन रहे नाले की डिजाइन शायद गलत हो सकती है। नाले की डिजाइनिंग करते समय इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए था कि राप्ती नदी और तुर्रा नाले में 1998 तथा 2001 की बाढ़ दुबारा आ सकती है इसलिए नाले का बेस-लेवेल तुर्रा नाले के एचएफएल (बाढ़ में अधिकतम जलस्तर) से ऊंचा होना चाहिए था। इसका समाधान किया जाना जरूरी है। इस बात की भी जांच होगी कि नाले में जिन मोहल्लों से जल निकासी होगी क्या उनका लेवल स्वीकृत और निर्माणाधीन नाले के बेस-लेवेल से ऊंचा है अथवा नहीं ? साथ ही इस आरोप की जांच आवश्यक है कि जब बसुन्धरा मोड (नाला शुरू होने की जगह) से गुरूंग तिराहे का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की दूरी सिर्फ एक किमी थी और 3 करोड़ रुपये में नाला बन सकता था तो क्यों 16 करोड की लागत के 6 किमी लंबे नाले की डिजाइन बनाई गई और क्या अब इस नाले को एसटीपी से जोड़ा जा सकता है ? प्रबंध निदेशक ने बताया कि वाराणसी जल निगम के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक अन्वेषण दल गठित कर दिया गया है, जिसमें आइआइटी के एक प्रोफेसर को एक्सपर्ट ओपीनियन के लिए रखा गया है।

विधायक ने कहा, मिलकर लड़ना होगा

नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि सत्य परेशान होता है लेकिन कभी पराजित नहीं होता है। अंतिम जीत सत्य की ही होती है। सत्य को सत्य स्वीकार करने में व्यवस्था ने तीन साल खराब कर दिया। व्यवस्था की रग-रग में घुसा हुआ भ्रष्टाचार कोरोना से अधिक खतरनाक वायरस है। इससे सभी लोगों को संगठित होकर लड़ना होगा । विधायक ने कहा कि वे सिर्फ नागरिकों के प्रतिनिधि हैं और उनका दायित्व सिर्फ नागरिकों के हित से है। अधिकारियों से कतई नहीं है। अधिकारियों के हड़ताल पर जाने से उनकी लड़ाई पर कोई असर नहीं पड़ता है वह जानते हैं कि वह हडताल एक राजनीतिक खेल था और कौन लोग उसके पीछे थे। अधिकारी तो आज आयेंगे और कल चले जाएंगे लेकिन नागरिकों और मुझे हमेशा ही गोरखपुर में रहना है। नागरिक हमें वर्ष 2002 से इसीलिए लगातार चुनते चले आ रहे हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि वे अपने राजनैतिक कैरियर को प्राथमिकता देने की जगह नागरिकों के हित-रक्षण की ओर ध्यान देंगे।

नागरिकों के विश्‍वास की जीत

उन्होंने कहा कि तीन साल लंबी इस लडाई को उन्होंने बहुत धैर्य के साथ दलीय अनुशासन की सीमा में रहते हुए लड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों की राजनैतिक समझ बहुत कम होती है और वे यह मानते हैं कि सत्ता के विधायक को गांधी जी के तीन बंदरों की तरह हो जाना चाहिए। न भ्रष्टाचार देखना चाहिए, न भ्रष्टाचार की शिकायत सुननी चाहिए और न भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए। लेकिन वह यह मानते हैं कि यह सत्ताधारी हर विधायक का मूल दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सरकार उसके क्षेत्र के विकास के लिए जितना धन भेज रही है उसका पूरी ईमानदारी के साथ और भ्रष्टाचार रहित तरीके से इस्तेमाल हो और वे उसी दायित्व को निभाते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। समय ने सिद्ध किया है कि वे ही सही हैं और उनके आलोचक गलत थे। यह उनकी अपनी नहीं बल्कि नागरिकों के विश्वास की जीत है।


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