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मंदी पर बोले विशेषज्ञ- चक्रीय मंदी है, जल्दी खत्म हो जाएगी Gorakhpur News

दो प्रकार की मंदी होती है एक संरचनात्मक व दूसरी चक्रीय। चक्रीय मंदी से जल्दी निपटा जा सकता है इसमें चर्चा ज्यादा शुरू हो जाती है जिससे मनोवैज्ञानिक दबाव बनने लगता है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:33 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 09:42 AM (IST)
मंदी पर बोले विशेषज्ञ- चक्रीय मंदी है, जल्दी खत्म हो जाएगी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। देश में मंदी की आहट जरूर है, लेकिन इससे बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी नियमों की सख्ती के कारण स्थितियों में कुछ बदलाव हुआ है और यही इसके पीछे बड़ा कारण है। नकारात्मक चर्चाओं के कारण लोगों पर मनोवैज्ञानिक दबाव ज्यादा है। सरकार की ओर से नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसके बाद सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इसे पूरी तरह से मंदी कहने की बजाय अर्थव्यवस्था में करेक्शन कहना उचित होगा।

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यह बातें दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रो.संजीत गुप्त ने कहीं। प्रो.गुप्त सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में 'आर्थिक मंदी से कैसे बचें? विषय पर आयोजित विमर्श को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दो प्रकार की मंदी होती है, एक संरचनात्मक व दूसरी चक्रीय। चक्रीय मंदी से जल्दी निपटा जा सकता है, इसमें चर्चा ज्यादा शुरू हो जाती है, जिससे मनोवैज्ञानिक दबाव बनने लगता है। आज की स्थिति इसी प्रकार की है। उन्होंने कहा कि आज उपभोग की वस्तुओं पर खर्च घटा है, इसका सबसे बड़ा कारण गांव में मजदूर वर्ग की आय में कमी है। एक बड़ा वर्ग रियल इस्टेट सेक्टर में मजदूरी करता है और कुछ सरकारी नियमों के सख्त होने के बाद इस क्षेत्र में सुस्ती आई है, जिससे रोजगार के अवसर कम हुए हैं। परिवहन विभाग को लेकर सरकार ने नियम सख्त बनाए हैं। बीएस-6 वाहनों की व्यवस्था लागू करने की बात चल रही है, जिसके बाद लोग बीएस-4 खरीदने में हिचक रहे हैं। इसके साथ ही इस बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों पर छूट की बात कही गई है, उपभोक्ता उसके लिए भी इंतजार करने के मूड में है। इन कारणों से आटोमोबाइल सेक्टर पर असर नजर आ रहा है। इसके साथ ही शेयर मार्केट में शार्ट टर्म निवेश पर भी कैपिटल गेन टैक्स लेने की घोषणा हुई है, जिससे निवेश घटे हैं। प्रो. गुप्ता ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी का बहुत प्रभाव नहीं पडऩे वाला लेकिन जितनी तेजी से चर्चा चली है, उसको देखते हुए आम आदमी सशंकित है। सोना-चांदी जैसे परंपरागत निवेश पर लोग ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। मुखौटा कंपनियों से भी कुछ लोगों को रोजगार मिला था, लेकिन सख्त नियमों के कारण ऐसी कंपनियां बंद हुई हैं। कड़े नियमों से अर्थव्यवस्था ठीक होगी तो हम एक बार फिर ग्रोथ पा लेंगे। उन्होंने कहा कि चीन व अमेरिका के ट्रेड वार का असर भी देश पर पड़ेगा, इसके लिए सरकार को सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार चार डी यानी डिजायर, डिवाइसेज, डिजाइनिंग व डिलिवरी से मंदी पर नियंत्रण किया जा सकता है।   


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