जागरण के प्रयास से दिल को मिला दिल, जय को मिला जीवन, पढि़ए क्या था मामला
दैनिक जागरण के प्रयास के बाद एक बच्चे को नया जीवन मिल गया। अति निर्धन परिवार के इस बच्चे के दिल में सुराख था।
गोरखपुर, जेएनएन। दिल में सुराख से पीड़ित कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया विकास खंड के ग्राम रामपुर खुर्द के 15 महीने के मासूम जय का शुक्रवार को दिल्ली के मैक्स अस्पताल में सफल आपरेशन हो गया और उसको नया जीवन मिल गया। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आपरेशन के बाद कहा कि आल इज वेल और मासूम के दिल की धड़कन सामान्य हो गई है।
आर्थिक तंगी से जीवन और मौत के बीच खड़े इस मासूम की पीड़ा को जागरण ने 18 नवंबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो गोरखपुर के शाही ग्लोबल अस्पताल के चिकित्सक डा. शिवशंकर शाही ने मदद को हाथ बढ़ाया और निश्शुल्क आपरेशन कराने की बात कही। इस पर जागरण ने न केवल अस्पताल से संपर्क किया बल्कि 19 नवंबर को मां-बेटे व अन्य परिजनों को वहां तक ले जाने का भी कार्य किया। रिपोर्ट देखने के बाद आठ दिसंबर को विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच की बात तय हुई तो इस तिथि पर जागरण ने इनको वहां पहुंचाने का कार्य किया। उसी दिन आपरेशन की तिथि 14 दिसंबर मुकर्रर हो गई। इसके बाद डा. शाही मां-बेटे को साथ लेकर दिल्ली पहुंचे और वहां सफल आपरेशन हुआ।
रो पड़ी मां, कहा जागरण ने मेरे बेटे को बचाया
आपरेशन के तुरंत बाद किरन ने जागरण को दिल्ली से फोन किया और रो पड़ी और कहा कि जागरण ने मेरे बेटे को नया जीवन दे दिया और इसके साथ ही मेरे जीवन को संजीवनी भी दे दी। जीवन देने वाला भगवान के समान होता है।
जागरण ने कराया बच्चे के दिल के दर्द का अहसास: डा. शाही
डा. शिव शंकर शाही ने कहा कि मैं जागरण के इस नेक काम का पूरी ¨जदगी ऋणी रहूंगा कि मुझे इस पुनीत का अवसर दिया। जागरण ने ही मुझे बच्चे के दिल के दर्द का अहसास कराया और मेरी ¨जदगी को एक बहुत अच्छा मौका दिया। जय सोमवार को डिस्चार्ज हो जाएगा। वह पूरी तरह स्वस्थ है। शाही ग्लोबल हॉस्पिटल गोरखपुर में यही मैक्स की टीम दिसंबर के अंत से काम करना चालू कर देगी, तब मेरे लिए बहुत आसान होगा बच्चों को दिल के दर्द से मुक्ति दिलाना।
यह था मामला
कुशीनगर जिले के रामकोला थाने के बंधवा गांव की किरन की दो वर्ष पूर्व नेबुआ नौरंगिया थाने के रामपुर खुर्द निवासी मनीष से शादी हुई थी। शादी के बाद बेटा पैदा पैदा तो उसका नाम जय रखा गया। समय बीतने के साथ ही बच्चे की तबीयत भी खराब होने लगी। उसने डाक्टर को दिखाया। डाक्टरों ने कहा कि उसके दिल में छेद है। जय के दिल में सुराख होने की जानकारी ससुराल के लोगों को हुई तो उनका व्यवहार बदल गया और किरन को मासूम के साथ मायके भेज दिया। किरन किसी तरह दिल्ली एम्स गई वहां पर डाक्टरों को दिखाया। एम्स में बच्चे के आपरेशन का डेट पड़ा तो किरन ने पैसे के लिए सीधे ससुराल पहुंची। वहां उसे देखकर संकट में मदद की बजाय ससुराल वाले घर में ताला बंद कर फरार हो गए। मजबूर होकर किरन को तीन दिनों तक अपनी ससुराल में धरना देना पड़ा। किरन उस समय रो रही थी। उसका कहना था कि परिवार ने साथ छोड़ दिया है, इसलिए ससुराल रह रही हूं। यदि बेटा भी नहीं बचेगा तो फिर किसका सहारा रहेगा। जागरण ने किरन के बेटे की हालत और किरन की मजबूरियों को उजागर करती खबर प्रकाशित की। उसके बाद गोरखपुर के शाही ग्लोबल हास्पिटल के डा. शिवशंकर शाही उस बच्चे के आपरेशन का खर्चा वहन करने को सहर्ष तैयार हो गए। अब जबकि बच्चे का सफल आपरेशन हो गया तो किरन के ससुराल वाले भी उसे अपनाने को राजी हो गए।