अब भी सीबीआइ की साख पर असर नहीं, जानिए क्या है कारण
पूर्व आइपीएस जेपी सिंह का मानना है कि सीबीआइ पर आम लोगों को अब भी भी भरोसा है। जल्दबाजी में धारणा बनाना गलत साबित होगा।
गोरखपुर (जेएनएन)। विवाद कोई भी क्यों न हो, उसकी एक सबसे अच्छी बात होती है कि हमें संबंधित मुद्दे को विभिन्न दृष्टिकोण से देखने-समझने, परखने और आकलन करने का मौका मिल जाता है। विवाद के समाधान के साथ ही संबंधित मुद्दे के प्रति एक नई और स्पष्ट धारणा बनती है, जो भविष्य को लेकर हमारी सोच और नीति को तय करने में सहायक होती है। देश की सबसे बड़ी इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी सीबीआइ में चल रहे हालिया विवाद को भी ऐसे ही देखना चाहिए। दो अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह निश्चित ही इस एजेंसी के लिए एक परीक्षा सरीखा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस परीक्षा का जब नतीजा आएगा तब यह और अधिक पारदर्शी और शुचितापूर्ण एजेंसी के रूप में देश के सामने आएगी।
यह मानना है सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी जेपी सिंह का, जो सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में पाक्षिक विमर्श श्रृंखला में हालिया सीबीआइ विवाद पर अपनी बात रख रहे थे। जेपी सिंह ने कहा कि सामान्य तौर पर तो विवाद किसी को पसंद नहीं पर हर विवाद नुकसानदायक ही हो, ऐसा भी नहीं। सीबीआइ में अधिकारियों के बीच जो कुछ भी हो रहा है, उससे आम नागरिक को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। सीबीआइ एजेंसी के शीर्ष दो अधिकारियों के बीच की जंग से एजेंसी की मूल कार्यप्रणाली, उसकी महत्ता और विश्वसनीयता पर कहीं कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले भी ऐसे विवाद खूब हुए हैं, बावजूद इसके सीबीआइ ने समय-समय पर अपनी उपयोगिता सिद्घ की है। सेवानिवृत्त आइपीएस का कहना था कि आज भी देश में कोई बड़ा गंभीर मामला हो, तो हर किसी की जुबान पर सीबीआइ से जांच कराने की ही आवाज रहती है। यह हाल तब भी है जबकि सीबीआइ के पूर्व मुखिया रंजीत कुमार, एपी सिंह सहित तमाम लोगों पर समय-समय पर आरोप लगते रहे हैं,एक समय सुप्रीम कोर्ट तक को तीखी टिप्पणी करनी पड़ी थी, लेकिन सीबीआइ ने अपनी स्थापना के बाद अपनी कार्यप्रणाली से लोगों को ईमानदारी पूर्ण तफ्तीश की जो नजीरें पेश की हैं, उस पर लोगों का भरोसा कभी नहीं डिगा। उन्होंने कहा कि अब जबकि विवाद सुलझाने की कमान स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने ले ली है, तो हमें थोड़ा धैर्य के साथ इंतजार कर ही लेना चाहिए।
सरकार की नीति बिल्कुल ठीक : सीबीआइ विवाद में केंद्र सरकार की भूमिका पर उठ रहे सवालों को भी वक्ता ने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि सीबीआइ डीओपीटी और सीवीसी के अधीन है और केंद्र सरकार ने इस मामले में जो रणनीति अपनाई उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। सीबीआइ निदेशक को छुट्टी पर भेजने का निर्णय गलत है या सही, इसका निर्णय राजनेता न करें तो ही बेहतर, मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, हर किसी को थोड़ा इंतजार कर लेना चाहिए। विमर्श के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र में कई सवाल-जवाब भी हुए।