इस्लाम में गो-हत्या की इजाजत नहीं : शाही इमाम
इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया के चेयरमैन हजरत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि गाय हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है। इस्लाम में भी गो-हत्या की इजाजत नहीं है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 04:49 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 09:42 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। लखनऊ के शाही इमाम एवं इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया के चेयरमैन हजरत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि गाय हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है। यदि गो-हत्या पर पाबंदी है तो हमारी कौम भी इस पर अमल करें। किसी भी समुदाय की आस्था का सम्मान होना चाहिए। इस्लाम में गो-हत्या की इजाजत कतई नहीं है। इसे मजहब से न जोड़ा जाए। मुस्लिम गो-मांस से परहेज करें। शाही इमाम रविवार को बस्ती में एक निजी अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर यहां आए थे।
अपने उद्बोधन में उन्होंने कौम को तमाम नसीहत भरी सलाह दिया। कहा कि लखनऊ के फरंगी महली की ओर से वर्ष 1930 में महात्मा गांधी को पत्र लिखा गया था। जिसमें साफ उल्लेख था कि मुस्लिम गो-हत्या से परहेज करेगा। लखनऊ शाही इमाम की गद्दी ने हमेशा से यह संदेश दिया है कि हम आस्था से जुड़े पशुओं का सेवन नहीं करेंगे। मजहब के लोगों को इससे दूर रहना चाहिए। सभी मजहब को मानना चाहिए। किसी भी मजहब के प्रति तफरका के बजाए इज्जत का माहौल बनाना चाहिए। खुदा ने हम सभी को प्यार, मोहब्बत और इंसानियत के साथ जीने के लिए भेजा है। समाज में अच्छा संदेश पहुंचाए।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम कौम में शिक्षा का अभाव है। 26 जनवरी 2019 से शुरू होने वाले सरकार रुबेला टीकाकरण अभियान में मुस्लिम कौम भी हिस्सा ले। 9 से 15 माह तक के बच्चों का टीकारण अवश्य कराया जाए। किसी तरह की भ्रांतियों में पड़ने की जरूरत नहीं है। सरकार के अभियान से जुड़कर हम अपने बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करें। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से उन्हें कोई परहेज नहीं है। लेकिन न्यायालय के फैसले का इंतजार होना चाहिए। यदि आपसी सुलह समझौता हो रहा है तो यह भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। कानून कोई न तोड़े। जो भी फैसला हो उसे माना जाए।
अपने उद्बोधन में उन्होंने कौम को तमाम नसीहत भरी सलाह दिया। कहा कि लखनऊ के फरंगी महली की ओर से वर्ष 1930 में महात्मा गांधी को पत्र लिखा गया था। जिसमें साफ उल्लेख था कि मुस्लिम गो-हत्या से परहेज करेगा। लखनऊ शाही इमाम की गद्दी ने हमेशा से यह संदेश दिया है कि हम आस्था से जुड़े पशुओं का सेवन नहीं करेंगे। मजहब के लोगों को इससे दूर रहना चाहिए। सभी मजहब को मानना चाहिए। किसी भी मजहब के प्रति तफरका के बजाए इज्जत का माहौल बनाना चाहिए। खुदा ने हम सभी को प्यार, मोहब्बत और इंसानियत के साथ जीने के लिए भेजा है। समाज में अच्छा संदेश पहुंचाए।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम कौम में शिक्षा का अभाव है। 26 जनवरी 2019 से शुरू होने वाले सरकार रुबेला टीकाकरण अभियान में मुस्लिम कौम भी हिस्सा ले। 9 से 15 माह तक के बच्चों का टीकारण अवश्य कराया जाए। किसी तरह की भ्रांतियों में पड़ने की जरूरत नहीं है। सरकार के अभियान से जुड़कर हम अपने बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करें। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से उन्हें कोई परहेज नहीं है। लेकिन न्यायालय के फैसले का इंतजार होना चाहिए। यदि आपसी सुलह समझौता हो रहा है तो यह भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। कानून कोई न तोड़े। जो भी फैसला हो उसे माना जाए।
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