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India-Nepal Tension: भारत के बुनकरों का नेपाल से कारोबारी नाता टूटा, बंद हो गया इन चीजों का उत्पादन

India-Nepal Tension पहले लॉकडाउन और फ‍िर भारत-नेपाल के बीच पैदा हुए तनाव का सबसे अधिक असर भारत के बनुकरों पर पड़ा है। भारत के बुनकरों का नेपाल से कारोबारी नाता टूट गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 07:39 AM (IST)
India-Nepal Tension: भारत के बुनकरों का नेपाल से कारोबारी नाता टूटा, बंद हो गया इन चीजों का उत्पादन
India-Nepal Tension: भारत के बुनकरों का नेपाल से कारोबारी नाता टूटा, बंद हो गया इन चीजों का उत्पादन

गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल की राजशाही टोपी नेपालियों की मूल पहचान है जो वहां के लोगों की शान बढ़ाती है। यहां के बुनकरों के हाथ से बने हुए कपड़े से ही नेपाल की राजशाही ढाका टोपी तैयार होती है। इसे नेपाली पालपाली टोपी भी कहते हैं। सरकारी कार्यालयों में नेपाली टोपी लगाकर जाना अनिवार्य है। वहां शादियों और किसी भी त्योहार पर घर के पुरूष टोपी पहनते हैं। वहीं महिलाएं ओढऩी के तौर पर इसका कपड़ा इस्तेमाल करती हैं। इस कपड़े को वहां सब शुभ मानते हैं। दो दशक से गोरखपुर से ही कपड़ों की आपूर्ति हो रही है, लेकिन लॉकडाउन और फिर नेपाल से बिगड़े रिश्तों ने इस कारोबार पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया है । तीन माह से बुनकरों को एक भी आर्डर नहीं मिला है। जो आर्डर पहले से थे उसे भी कैंसिल कर दिया गया है।

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गोरखपुर में तैयार होता था नेपाल की राजशाही ढाका टोपी

भारत और नेपाल की संस्कृति में काफी हद तक समानता नजर आती है। इन टोपियों ने पड़ोसी मुल्क में भारत की कला, संस्कृति और कलाकारों की एक अलग ही पहचान बना दी थी। शहर के गोरखनाथ, जाहिदाबाद, पुराना गोरखपुर, चक्सा हुसैन, पिपरापुर, इलाहीबाग आदि क्षेत्रों में हथकरघा एवं पावरलूम पर नेपाली टोपी का कपड़ा तैयार होता था। हथकरघा पर तो एक दिन में महज एक से डेढ़ मीटर कपड़ा तैयार हो पाता है। अनुमान के मुताबिक गोरखपुर से हर साल करीब डेढ़ लाख मीटर ढाका टोपी का कपड़ा नेपाल भेजा जाता था। कभी-कभी तो डिमांड के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पाती थी, लेकिन इधर तीन महीनों में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। न तो माल की डिमांड है और न ही आर्डर मिल रहे हैं। हबीब टेक्सटाइल के अताउस्समद अंसारी ने बताया कि फरवरी तक यहां तैयार हुए उत्पात की बहुत डिमांड थी। टोपी के कपड़ों के अलावा स्तर और बेडशीट वहां भेजा जाता था, लेकिन फिलहाल वहां से काम बंद हो गया है। दस वर्षों से नेपाल से कारोबारी नाता रखने वाले मौलाना उबैदुर्रहमान के मुताबिक सबसे पहले जीएसटी ने कारोबार की नींव हिला दी थी। रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी है। दोनों देशों के बीच हुए मतभेदों को देखते हुए यह लग नहीं रहा है कि आगे नेपाल से किसी तरह का आर्डर मिलेगा।

ऐसे तैयार होता है राजशाही टोपी का कपड़ा

नेपाली टोपी में झण्डी नुमा विशेष किस्म की डिजाइन होती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले डिजाइन का ग्राफ तैयार किया जाता है। फिर दफ्ती पर खाका खीचा जाता है। यह डिजाइन बनारस में तैयार की जाती है। जकाट को पावर लूम पर लगाकर कर नेपाली टोपी के कपड़े की बिनाई की जाती है। यही खास वजह है कि पड़ोसी मुल्क नेपाल में गोरखपुर के बुनकरों के हुनर को सर आंखों पर रखा जाता है। टोपी नेपालियों के सरों पर शान के साथ भारत के हुनरमंदों को सलामी देती नजर आती है।


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