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संतकबीर नगर में सारे विद्यालय मानकों की कसौटी पर फेल, कहीं भी 19 मानक पूरे नहीं

संतकबीर नगर जनपद के सभी परिषदीय विद्यालय कायाकल्प योजना के मानकों की कसौटी पर फेल नजर आ रहे हैं। दशा यह है कि किसी भी विद्यालय पर 19 मानक पूरे नहीं किए जा सके हैं। जिले के नौ ब्लाकों में कुल 1247 परिषदीय विद्यालय हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 11:30 AM (IST)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय खलीलाबाद का बदहाल कक्ष। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : कायाकल्प योजना के मानकों की कसौटी पर अभी तक संतकबीर नगर जनपद के सभी परिषदीय विद्यालय फेल नजर आ रहे हैं। दशा यह है कि किसी भी विद्यालय पर 19 मानक पूरे नहीं किए जा सके हैं।

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1247 परिषदीय विद्यालय हैं जिले के नौ ब्‍लाकों में

जिले के नौ ब्लाकों में कुल 1247 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें 69 नगरीय व 1178 ग्रामीण क्षेत्र में संचालित है। कोरोना के पहले दौर के पहले से ही आपरेशन कायाकल्प संचालित की जा रही है। विद्यालयों को कांपोजिट ग्रांट से धन भी दिया जा रहा है। विद्यालयों पर संसाधनों के अभाव में प्रेरणा ब्लाक और प्रेरणा जनपद बनने को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। कायाकल्प योजना में विद्यालयों को विकसित करने के लिए पहले सात बिंदुओं का मानक तय किया गया फिर इसे 14 व 16 वर्तमान में 19 पैरामीटर तय किए गए हैं। आकंड़ों को देखा जाए 121 विद्यालयों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

196 विद्यालयों में बच्‍चों के हाथ धुलने की व्‍यवस्‍था नदारद

156 विद्यालयों में बालिका शौचालय नहीं है। 196 विद्यालयों में टोटी के पानी से बच्चों के हाथ धुलने की व्यवस्था नदारद है। 805 विद्यालयों के कक्षा में फर्श का टाइलीकरण, 119 में रंगाई पोताई, 604 में चहारदीवारी, 222 में बिजली कनेक्शन नहीं है। 33 विद्यालयों में श्यामपट्, 1040 विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच के साथ ही 631 विद्यालयों व्यवस्थित रसोई घर नहीं है। विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में असंतृप्त विद्यालयों में सुविधा बढ़ाने का बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य की रफ्तार मंद हैं।

विभागीय अधिकारियों संग बैठक कर तैयार की जा रही कार्ययोजना

प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गिरीश कुमार सिंह ने कहा कि आपरेशन कायाकल्प योजना से कार्य करने के लिए विभागीय अधिकारियों की बैठक करके कार्ययोजना तैयार की गई है। कार्य की नियमित समीक्षा की जा रही है। यह दुखद है कि जनपद का एक भी विद्यालय मानकों की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया है। इस बीच पुन: जो कार्य अधूरे हैं उसे शीघ्र पूरा करवाने का दिशा- निर्देश दिया गया है।


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