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गोरखपुर में देवी मंदिरों पर उमड़ी भीड़, पूजा-आरती से माहौल भक्तिमय

शारदीय नवरात्र में देवी मंदिरों पर बड़ी संख्या में भक्त उमड़े पूजा-आरती कर मंगलकामना की। माहौल भक्ति से ओतप्रोत है। श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी है जो शाम तक चलता रहेगा। घरों व मंदिरों में कलश स्थापित किए गए हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 07:30 PM (IST)
गोरखपुर में देवी मंदिरों पर उमड़ी भीड़, पूजा-आरती से माहौल भक्तिमय
गोलघर स्थित काली मां का मंदिर। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : शारदीय नवरात्र में देवी मंदिरों पर बड़ी संख्या में भक्त उमड़े, पूजा-आरती कर मंगलकामना की। माहौल भक्ति से ओतप्रोत है। श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी है, जो शाम तक चलता रहेगा। घरों व मंदिरों में कलश स्थापित किए गए हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार गूंज रहे थे। सुबह पांच बजे से ही देवी मंदिरों पर श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। दर्शन-पूजन व आरती चल रही है। मंदिर समितियों के स्वयं सेवक श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए दर्शन कराने की कोशिश कर रहे हैं। काली मंदिर गाेलघर, दाउदपुर व कालीबाड़ी रेती चौक पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। दर्शन-पूजन चल रहा है।

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दुकानों के बाहर मेले का दृश्य

देवी मंदिरों के बाहर मेला का दृश्य है। मिठाई, पूजन सामग्री व बच्चों के खिलौनों की दुकानें सजी हैं। दर्शन-पूजन के बाद लोग खरीदारी भी कर रहे हैं।

आठ दिन का है शारदीय नवरात्र

इस बार शारदीय नवरात्र आठ दिनों का है। सात अक्टूबर को नवरात्र शुरू हो गया है। षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्र आठ दिन का ही होगा। 12 अक्टूबर सप्तमी को मूल नक्षत्र मिलने से इसी दिन पंडालों में मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। 13 अक्टूबर को महाष्टमी व्रत व 14 को महानवमी व्रत है। 15 को विजयादशी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। यह जानकारी पं. शरदचंद्र मिश्र ने दी है।

दुर्गा पूजा समितियों की तैयारी तेज

दुर्गा पूजा समितियों ने मूर्ति स्थापना की तैयारी तेज कर दी है। मंडप बना दिए गए हैं। मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं, उन्हें मंगाया जा रहा है। सप्तमी को मूल नक्षत्र में मां की मूर्ति स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके बाद दर्शन के लिए पट खोल दिए जाएंगे। कोविड प्रोटोकाल को देखते हुए कहीं बड़े आयोजन नहीं किए गए हैं। छह फीट तक की मूर्तियां ही बनवाई गई हैं।


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