परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने वैक्सीन नहीं लगवाई तो रूक जाएगा वेतन
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने और परिवहन निगम के कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए शासन ने नया फरमान जारी किया है। बिना टीका लगवाए कर्मचारियों चालक परिचालकों को जून माह का वेतन नहीं मिलेगा। अगर वेतन लेना है तो कोरोना टीका का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
गोरखपुर, नीरज श्रीवास्तव : कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने और परिवहन निगम के कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए शासन ने नया फरमान जारी किया है। बिना टीका लगवाए कर्मचारियों, चालक, परिचालकों को जून माह का वेतन नहीं मिलेगा। अगर वेतन लेना है तो कोरोना टीका का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद ही वेतन का भुगतान किया जाएगा।
चालक व परिचालकों को रहता है अधिक खतरा
दरअसल परिवहन निगम के चालक, परिचालकों को संक्रमण की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है, क्योंकि वह बस को लेकर निचलौल, ठूठीबारी, गोरखपुर, दिल्ली तक जाते हैं। बस में वह कई तरह के यात्रियों के संपर्क में आते हैं। इस कारण इनके साथ विशेष सतर्कता बरतने के उद्देश्य से शासन ने शत-प्रतिशत कर्मचारियों को टीकाकरण कराने का निर्देश दिया है। क्योंकि अगर यह सुरक्षित रहेंगे तो यात्री भी सुरक्षित रहेंगे। वरना इन्हीं के द्वारा ही कोरोना का संक्रमण फैलाया जा सकता है।
टीकाकरण में रुचि नहीं ले रहे कर्मचारी
महराजगंज बस डिपो में कुल करीब 185 कर्मचारी हैं। इसमें 140 चालक, परिचालक, शेष वर्कशाप और शेष कार्यालय कर्मचारी है, लेकिन कर्मचारी टीकाकरण में रूचि नहीं ले रहे हैं। जागरूकता का इन कर्मचारियों पर असर नहीं दिख रहा है। अभी भी 30 कर्मचारियों ने टीका नहीं लगवाया है।
वैक्सीन नहीं लगवाने पर रोक दिया जाएगा वेतन
महराजगंज बस डिपो के एआरएम महेंद्र पांडेय ने कहा कि परिवहन निगम के सभी कर्मचारियों को टीका लगवाने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके लिए बैठक कर टीकाकरण के लिए प्रेरित करते हुए फायदे के बारे में भी जानकारी दी गई है। टीका नहीं लगवाने पर जून का उनका वेतन रोक दिया जाएगा। टीका का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बाद ही वेतन जारी किया जाएगा।
कोरोना से ठीक मरीजों में फिर मिल रहे लक्षण
कोरोना को लेकर अभी सावधानी बहुत जरूरी है। क्योंकि कोरोना से ठीक होने के बाद कई मरीजों में इसके लक्षण दोबारा भी पाए जाए जा रहे हैं। यूं तो जिले में कोरोना का संक्रमण धीरे-धीरे कम हो रहा है। संक्रमित मरीजों की संख्या कम आ रही है, लेकिन लापरवाही के कारण कोरोना के ठीक मरीजों में इसके लक्षण दोबारा मिलने लग रहे हैं। कोरोना काल में अब तक करीब दस मरीजों का चिकित्सक इलाज भी कर चुके हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एके श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में कोरोना मरीजों को दस दिनों तक दवा चलने के बाद स्वस्थ मान लिया जाता है।