भर आई जिला पंचायत अध्यक्ष की आंखें, कहा मुझे फंसाया गया
चर्चित दीपक अपहरण कांड के मुख्य आरोपित हैं जिला पंचायत अध्यक्ष, पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद रखा अपन पक्ष।
गोरखपुर : देवरिया के चर्चित दीपक अपहरण कांड के मुख्य आरोपित व जिले के प्रथम नागरिक राम प्रवेश यादव ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। उनका ध्येय दीपक का जमीन बैनामा कराने का कभी नहीं रहा। इतना कहते-कहते जिला पंचायत अध्यक्ष की आंखों में आंसू आ गए और गला रूंध गया। जिला पंचायत अध्यक्ष की यह बातों को सुनकर पुलिस कर्मी भी कुछ पसीजे तो लेकिन उनका कहना था कि अगर बेगुनाह थे तो भागने की जगह अधिकारियों के सामने आना चाहिए था।
पुलिस लाइन से निकलते समय जिला पंचायत अध्यक्ष राम प्रवेश यादव ने बताया कि उनके घर 2011 से ही दीपक मणि आता था, उसका कोई नहीं था तो वह मेरे घर ही महीनों-महीनों तक आकर रहता था। उसकी हर जरूरत को हम और हमारे परिवार के सदस्य पूरा करते। भोजन, पानी, चाय-नाश्ता कपड़ा और दवा उपचार तक हम लोग ही कराते थे। हम लोगों की सेवा के चलते ही वह कई बार उसने जमीन बैनामा करा लेने की बात कही। उसके कहने पर 2017 में ही कागजात तैयार कर लिए गए, लेकिन मेरा मन गवाही नहीं दिया और फिर जमीन बैनामा कराने से हमने मना कर दिया था। दीपक के कहने के बाद जमीन का हम लोगों ने बैनामा कराया है। हमें साजिश के तहत फंसाया गया है। मेरे साथ विश्वासघात किया गया है। इतना कहने के बाद उनकी आंखें डबडबा गई।
सुरक्षा को लेकर गंभीर दिखी पुलिस : नेपाल बार्डर से मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष की सुरक्षा को लेकर पुलिस गंभीर दिखी। पुलिस उन्हें सदर कोतवाली में रात को लेकर आई तो उसके बाद से ही कोतवाली में भारी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया। मुख्य गेट पर पहरा लगा दिया गया, ताकि कोई अंदर प्रवेश न करें। इतना ही नहीं, मुख्य गेट पर पीएसी व क्यूआरटी की भी तैनाती कर दी गई। सूत्रों के अनुसार पुलिस को यह कहीं से सूचना मिली थी कि सपा इसको लेकर आंदोलन कर सकती है और हुजूम में सपा कार्यकर्ता या जिला पंचायत अध्यक्ष के समर्थक कोतवाली भी जा सकते हैं। इसके अलावा पुलिस लाइन में भी भारी फोर्स तैनात की गई थी। जबकि अध्यक्ष को जब कोतवाली से पुलिस लाइन ले जाया गया तो उस समय कोतवाली पुलिस के अलावा रामपुर कारखाना व गौरी बाजार थानाध्यक्ष भी पुलिस वाहन के साथ भारी संख्या में फोर्स को लेकर चल रहे थे।
नेपाल में पुलिस के पहुंचने का एसपी ने दिखाया वीडियो
जिला पंचायत अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता में ही कहा कि वह पांच मई को नेपाल चल गए और वहां कुछ दिन तक रहे। इसके बाद वह पुन: यूपी आए और दो दिन रहने के बाद पुन: नेपाल में चले गए। एसपी ने कहा कि नेपाल में पुलिस ने पहले ही लोकेशन ट्रेस कर लिया था, इसके बाद हमारी स्वाट टीम वहां पहुंच गई और फिर उस स्थान की जांच की जहां जिला पंचायत अध्यक्ष हाफ पैंट व टी-शर्ट में घूमते हुए नजर आए। इसके बाद उसका पुलिस ने पूरा वीडियो बनाया और अधिकारियों को इसकी पुष्टि के लिए दे दिया, लेकिन दूसरा देश होने के चलते वहां से गिरफ्तारी बिना दूतावास के संपर्क से नहीं हो सकता था। कानूनी पेंच फंस रही थी। नेपाल पुलिस से स्वाट टीम ने सहयोग मांगा, नेपाल पुलिस ने सहयोग देने का वादा तो किया लेकिन साथ नहीं दिया। अगर नेपाल पुलिस साथ दी होती तो 10 मई को ही जिला पंचायत अध्यक्ष भारत में आ जाते। प्रेसवार्ता के दौरान एसपी ने इसका वीडियो भी दिखाया।
पनाह देने वालों पर कार्रवाई करना आसान नहीं
पुलिस के पास जिला पंचायत अध्यक्ष को पनाह देने वालों के बारे में जानकारी है लेकिन पुलिस द्वारा पनाह देने वाले लोगों पर कार्रवाई करना आसान नहीं है। क्योंकि नेपाल में वहां के लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने के पहले पुलिस को कई जगहों से आदेश लेना होगा। हां, इतना जरूर है कि जिपं अध्यक्ष को यहां के जिन लोगों ने सहयोग किया है उन पर पुलिस की नजर है और उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
2011 में ही दीपक मणि की जमीन पर पड़ गई थी जिपं अध्यक्ष की नजर
दीपक मणि की जमीन पर जिला पंचायत अध्यक्ष की नजर 2011 में ही पड़ गई थी। इसके बाद ब्रह्मानंद चौहान के जरिये दीपक को अपने नजदीक लाए और फिर उसे रुपये, भोजन कपड़ा व अन्य सामान देकर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। हालांकि दीपक पहले से ही सशंकित रहता था। दीपक की जमीन पर कब्जा को खाली कराने का काम भी जिला पंचायत अध्यक्ष ने किया और उसके दिल में जगह बनाने किया प्रयास किया, ताकि वह जमीन का बैनामा कर दे लेकिन वह बैनामा करने को तैयार नहीं होता। उसे लगा कि उसकी जमीन को बैनामा करा लिया जाएगा तो उसने देवरिया की धरती को ही छोड़ दी और भटनी में जाकर रहने लगा। आरोप है कि दीपक का जिला पंचायत अध्यक्ष के कहने पर अपहरण कर लिया गया और फिर उसे जिला पंचायत अध्यक्ष के संरक्षण में रखा जाने लगा। जमीन बैनामा कराने से पहले ही दीपक के ओरियंटल बैंक के खाते में साढ़े चार लाख रुपये का आरटीजीएस भी जिला पंचायत अध्यक्ष ने किया जबकि जमीन 17 अप्रैल को बैनामा कराने के बाद उस रुपये को निकालने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष ने दीपक से उसके चेक पर हस्ताक्षर कराकर बैंक भिजवाया लेकिन दीपक ने खाता खोलने के दिन से ही शाखा प्रबंधक से यह कह दिया था कि बिना उसके जानकारी के बड़ी रकम कभी भी उसके खाते से न निकाली जाए। इसलिए वह रुपये उसके खाते से नहीं निकल पाया। कुल मिलाकर यह साबित करता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने जमीन के लिए मात्र साढ़े चार लाख रुपये दिये और फिर वह भी रुपये लेने के लिए साजिश रच दी, लेकिन उसमें सफल नहीं हो सके। पुलिस ने जिला पंचायत अध्यक्ष के कब्जे से वह चेक भी बरामद कर लिया है।
ईंट-भट्ठा व्यवसाय से राजनीति की दुनिया में रखा था कदम
जिपं अध्यक्ष अमेठी में ईंट-भट्ठा संचालित करते हैं। उनका व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ने लगा और उन्होंने गंवई राजनीति से अपनी राजनीतिक पारी खेलनी शुरू की। सपा की राजनीति करने के साथ ही जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में कूद पड़े और जिपं सदस्य बनने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव व मुलायम ¨सह यादव से बेहतर संबंध होने के चलते जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो गए। कुछ ही दिनों में फर्श से अर्श तक का सफर जिला पंचायत अध्यक्ष ने तय कर लिया। छोटों के साथ अच्छा व्यवहार व बड़ों के सामने हाथ जोड़ने की कला ने जिला पंचायत अध्यक्ष को लोगों के बीच अच्छी छवि बन गई थी।
हाथ में हथकड़ी लिए पहुंचे जिपं अध्यक्ष
जिपं अध्यक्ष की कारस्तानियां खुलने के बाद लोगों के बीच बनी पहचान अब बदलने लगी है। अभी तक जिलाधिकारी व एसपी के बगल में बैठने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष रविवार को पुलिस लाइन पहुंचे तो उनका रूप वहां बदला-बदला सा नजर आया। अभी तक पैजामा-कुर्ता में नजर आने वाले और हर किसी के सामने हाथ जोड़ने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष जींस पैंट व टीशर्ट में नजर आए। इतना ही नहीं उनके दोनों हाथों में हथकड़ी लगी थी जो सिपाही व दरोगा उनको सैल्यूट देते थे, वह हथकड़ी पकड़ कर उन्हें साथ ले जा रहे थे। जब वह लोगों के सामने पहुंचे तो उनका चेहरा शर्म से झुक गया। पहले तो वह कुछ बोलने से बचते रहे लेकिन एसपी के कहने पर कुछ घटना का जिक्र किया लेकिन कल तक मंच से तेज आवाज में बोलने वाले जिपं अध्यक्ष का गले से आवाज नहीं निकल रही थी। कुछ बातें तो कीं लेकिन हमेशा उनका चेहरा जमीन की तरफ ही रहा। एसपी व डीएम के बीच में कुर्सी पर बैठने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष एसपी के बगल में हाथ में हथकड़ी लगे हुए हाथों को लेकर खड़े रहे। जब वह पुलिस लाइन से कोतवाली पहुंचे तो वहां कोतवाली के कार्यालय में उन्हे बैठाया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष से कुछ लोग मिलने पहुंचे और उनसे घटना के बारे में जानकारी लेनी शुरू की तो उनकी आंखें भर आईं।