14 आरोपितों में से कैसे गायब हो गए छह के नाम
कुशीनगर: जननी सुरक्षा योजना में 26.25 लाख खाते में मंगाने के चर्चित मामले में बुधवार को नया मोड़ आ गया। विभाग के अनुसार इस मामले में 14 आरोपित हैं, जबकि कार्रवाई के लिए केवल आठ नाम ही सामने आए हैं। इसको लेकर खुद सीएमओ डा. सुरेश पटारिया पशोपेश में हैं कि ऐसा कैसे हो गया। दूसरी ओर एडीएम देवी दयाल वर्मा ने गुरुवार को पत्रावली तलब की है, ताकि मिलान किया जा सके, आखिर छह नाम कहां चले गए। उनको क्लीनचिट तो नहीं दे दी गई। इसके पीछे कुछ और मामला है क्या। बहरहाल, यह तो जांच का विषय है, लेकिन छह आरोपितों के नाम गायब होने से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, जिससे विभाग से लेकर प्रशासन तक कटघरे में खड़ा हो गया है।
जिले में 2016 से 2018 के बीच जननी सुरक्षा योजना में 26.25 लाख रुपये की अनियमितता की जांच कराई गई थी। इसके बाद पूरा मामला ही ठंडे बस्ते में चला गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जननी सुरक्षा कार्यक्रम के तहत तीन वित्तीय वर्षों में प्रसूताओें को भोजन सहित अन्य के नाम पर जिले के 12 एमओआइसी ने सीएमओ कार्यालय की मिलीभगत से अपने निजी बैंक खाता में धनराशि मंगा कर निकासी कर ली थी। नियमानुसार एमओआइसी को स्थानीय स्तर पर सामग्री क्रय कर लाभार्थियों को उपलब्ध कराना था। भुगतान स्थानीय विक्रेता के खाते में ही करना था। पर, सीएमओ कार्यालय व एमओआइसी मिलीभगत से तीन वर्ष में 25.26 लाख रुपये निजी खाते में मंगा कर लिए गए।
सीडीओ ने की थी मामले की जांच
डीएम एस राजलिंगम ने सीडीओ से मामले की जांच कराई, जिसमें 14 स्वास्थ्यकर्मी आरोपित पाए गए थे। इसमें तत्कालीन सीएमओ, पटल प्रभारी व 12 एमओआइसी शामिल हैं, जिन्होंने लगभग 26.25 लाख सरकारी धन अपने खाते में स्थानांतरित किया था। इसकी जांच रिपोर्ट के साथ डीएम ने मुकदमा दर्ज कराने व रिकवरी के लिए 22 अप्रैल 2022 को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्र भेजा था। दो महीने में कार्रवाई न होने पर डीएम ने रिमाइंडर भेजा, तो शासन स्तर 14 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराते हुए रिकवरी कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि मामले में सीएमओ को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।