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जमीन न मिलने से अधर में बिजली घर का निर्माण, 2008 में स्वीकृत हुई थी योजना

गोरखपुर : वर्ष 2008 में स्वीकृत पडरौना में 132 केवीए के बिजली घर निर्माण की योजना को नौ वष

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 03:25 PM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 03:25 PM (IST)
जमीन न मिलने से अधर में बिजली घर का निर्माण, 2008 में स्वीकृत हुई थी योजना

गोरखपुर : वर्ष 2008 में स्वीकृत पडरौना में 132 केवीए के बिजली घर निर्माण की योजना को नौ वर्ष बाद भी अस्तित्व नहीं मिल सका है। तकरीबन 50 करोड़ की इस योजना के फलीभूत न होने से न सिर्फ विभाग की किरकिरी हो रही है बल्कि मुकम्मल विद्युत आपूर्ति अभी दिवास्वप्न बनी हुई है। पांच एकड़ भूमि की विभागीय खोज पूरी हुई न ही योजना को मुकाम मिल सका है। उप्र पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन द्वारा प्रस्तावित यह योजना विभाग तक पहुंची तो विभागीय स्तर पर पडरौना के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में पांच एकड़ भूमि की तलाश शुरू की गई। विभाग से होकर तहसील स्तर तक कागजी घोड़ा दौड़ता रहा। जनप्रतिनिधियों के प्रभावी पहल के अभाव में योजना को अभी तक मुकाम नहीं मिल सका। ठंडे बस्ते में पड़ी इस योजना को लेकर विभाग कटघरे में खड़ा होता दिख रहा है।

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क्या है योजना : पडरौना विद्युत उपकेंद्र परिक्षेत्र के लिए प्रस्तावित 132 केवीए के बिजली घर की स्थापना के साथ ही बिजली घर केंद्र से चार किमी की परिधि में विद्युत खंभों व तारों का जीर्णोद्वार किया जाना शामिल है। बिजली घर निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था एमसीसी के जरिए कार्य कराने का प्रस्ताव भी है। बिजली घर बन जाने से नगर समेत आसपास की बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए यह आत्मनिर्भर हो जाता। अभी दूसरे बिजली घरों पर निर्भरता से आपूर्ति को लेकर हर रोज कचकच मच रही है।

भूमि मिलने पर अस्तित्व में आएगी योजना : उप्र पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन के एक्सियन राम सुरेश कहते हैं 2008 में पडरौना के लिए योजना प्रस्तावित हुई, लेकिन भूमि न मिलने से 132 केवीए के बिजली घर निर्माण की योजना जमीन पर न उतर सकी है। कहा कि महज 3.50 से पांच एकड़ तक की भूमि की जरूरत है। योजना निरस्त नहीं हुई है, भूमि के अभाव में स्थगित है। भूमि की तलाश पूरी होते ही रिपोर्ट के आधार पर धन अवमुक्त हो जाएगा और निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

उपभोक्ताओं की जुबानी

गिरीश चंद चतुवेर्दी कहते हैं जनपद मुख्यालय का नगर पडरौना जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की उदासीनता से पिछड़ता जा रहा है। बिजली घर जैसी आमजन के हित वाली योजना के लिए भूमि की तलाश नौ वर्ष में पूरी न हो पाना यहां के रहनुमाओं की जागरूकता के प्रति स्वयं में सवाल खड़ा करता है। शमशेर मल्ल कहते हैं बिजली के बिना विकास संभव ही नहीं है। जिम्मेदार लोगों को बिजली घर स्थापना के लिए पहल करनी चाहिए। उदासीनता के कारण योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई है।


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