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Holi 2022: रोचक है गोरखपुर की नरसिंह शोभायात्रा की कहानी, नाथपीठ से जुड़कर मिली भव्यता तो देश- दुनिया में मशहूर हुई यात्रा

Holi 2022 Hindi News गोरखपुर में होली के पर्व के अवसर पर निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा की परंपरा काफी पुरानी है। 1950 में दिग्विजयनाथ के निर्देश पर अवेद्यनाथ नरसिंह यात्रा में शामिल हुए। वहीं सीएम योगी 1998 से जुड़े तो नरसिंह शोभायात्रा की भव्यता बढ़ गई।

By Pragati ChandEdited By: Published: Wed, 16 Mar 2022 02:46 PM (IST)Updated: Wed, 16 Mar 2022 02:46 PM (IST)
Holi 2022: रोचक है गोरखपुर की नरसिंह शोभायात्रा की कहानी, नाथपीठ से जुड़कर मिली भव्यता तो देश- दुनिया में मशहूर हुई यात्रा
गोरखपुर में होली पर निकलने वाली नरसिंह शोभायात्रा में शामिल सीएम योगी आदित्यनाथ। (फाइल फोटो)

गोरखपुर, डा. राकेश राय। होली के अवसर पर करीब आठ दशक से गोरखपुर शहर में निकलने वाली परंपरागत नरसिंह शोभायात्रा को परिष्कृत रूप देने का श्रेय भले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख को जाता है लेकिन इसे भव्यता नाथपीठ से जुड़कर मिली। पहले ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ ने शोभायात्रा को भव्य स्वरूप दिया और जब यात्रा का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ ने संभाला तो इसकी भव्यता की ख्याति देश-दुनिया में हो गई।

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होली के नाम पर फूहड़पन देख नानाजी ने अपने हाथ ली यात्रा की बागडोर

नरसिंह शोभायात्रा से नाथपीठ के जुड़ाव के बारे मे नानाजी के साथ कार्य कर चुके 90 वर्षीय जगदीश प्रसाद बताते हैं कि नानाजी ने जब देखा कि नरसिंह शोभायात्रा के दौरान होली के नाम पर फूहड़पन हो रहा है तो उन्होंने यात्रा की बागडोर अपने हाथ में ले ली। यह बात 1944 की है। उनका प्रयास रंग लाया और यात्रा परिष्कृत हो गई लेकिन उसे भव्य स्वरूप देना संभव नहीं हो पा रहा था। ऐसे में नानाजी ने इसके लिए नाथ पीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से संपर्क साधा।

नाथपीठ ने ऐसे बढ़ाई शोभायात्रा की ख्याति

दिग्विजयनाथ ने उनके आमंत्रण को स्वीकार किया और यह जिम्मेदारी अपने उत्तराधिकारी अवेद्यनाथ को सौंपी। अपने गुरु के निर्देश पर अवेद्यनाथ 1950 से शोभायात्रा का नेतृत्व करने लगे। धीरे-धीरे संघ की यह शोभायात्रा नाथ पीठ से अनिवार्य रूप से जुड़ गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब महंत अवेद्यनाथ ने जब अपना उत्तराधिकारी बनाया तो इस यात्रा की भव्यता को कायम रखने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंप दी। 1998 से योगी आदित्यनाथ यात्रा का नेतृत्व करने लगे तो उनके उत्सवी स्वभाव के चलते शोभायात्रा ने भव्यतम स्वरूप ले लिया और इसमें शहर के सभी प्रमुख लोग भागीदारी करने लगे। जैसे-जैसे देश-दुनिया में योगी की ख्याति बढ़ती गई, वैसे-वैसे उनसे जुड़ने की वजह से शोभायात्रा भी मशहूर होती गई।

मुख्यमंत्री होने के बाद भी नहीं टूटा सिलसिला

2017 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालने के बाद इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई कि योगी आदित्यनाथ अब नरसिंह शोभायात्रा में शामिल होने की परंपरा को नहीं निभा पाएंगे। वर्ष 2018 और 2019 की होली में बतौर मुख्यमंत्री यात्रा में शामिल होेकर इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया। 2019 और 2020 की शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी शामिल नहीं हुए, इसकी वजह कोरोना संक्रमण रही। अब यह संक्रमण छट चुका है, इसलिए मुख्यमंत्री एक बार पर यात्रा का हिस्सा बनेंगे। शोभायात्रा का संचालन करने वाली होलिकोत्सव समिति के अध्यक्ष ई. अरुण प्रकाश मल्ल और सचिव मनोज जालान बीते दिनों यात्रा का आमंत्रण देने के लिए जब बीते दिनों योगी से मुलाकात की थी, उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति भी प्रदान कर दी थी।


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