गोरखपुर मेडिकल कालेज से 10 जिलों में भेजी जा रही एचआइवी किट
एचआइवी जांच के लिए 10 जिलों में 85 सेंटर हैं। सभी का नोडल मेडिकल कालेज है। यहीं से जांच की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। सभी सेंटरों पर केवल एक-एक लैब टेक्नीशियन हैं। जब वे लखनऊ किट लेने चले जाते थे तो उस दिन जांच बंद हो जाती थी।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज के अंतर्गत आने वाले 10 जिलों के इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) पर एचआइवी किट का संकट खत्म हो गया है। पहले सभी सेंटरों को लखनऊ से मंगाना पड़ती थी, अब मेडिकल कालेज से सीधे आपूर्ति शुरू हो गई है। सेंटरों को फोन के जरिये सिर्फ मांग भेजनी होती है।
जांच के लिए 10 जिलों में 85 सेंटर
एचआइवी जांच के लिए 10 जिलों में 85 सेंटर हैं। सभी का नोडल मेडिकल कालेज है। यहीं से जांच की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। सभी सेंटरों पर केवल एक-एक लैब टेक्नीशियन हैं। जब वे लखनऊ किट लेने चले जाते थे तो उस दिन जांच बंद हो जाती थी। वहां जाकर लाने से पैसा भी खर्च होता था और किटों के खराब होने की आशंका भी होती थी। लाने वाले भी परेशान होते थे। अब शासन ने मेडिकल कालेज में कोल्ड रूम बना दिया है, जहां तीन लाख किट रखने की क्षमता है। चार से छह डिग्री सेंटीग्रेट में भंडारण किया जाता है। अब किटें लखनऊ से सीधे मेडिकल कालेज आ जाती हैं। सभी सेंटरों पर मांग के अनुरूप भेज दी जाती हैं। इसके लिए शासन ने एक शीत वैन भी उपलब्ध कराया है।
शीघ्र भेजी जा सकेगी पोर्टल पर मांग
ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल लांच कर दिया गया है। टेङ्क्षस्टग भी शुरू हो गई है। शीघ्र ही पोर्टल पर आनलाइन किट की मांग की सुविधा शुरू हो जाएगी। सभी सेंटर अपनी मांग पोर्टल पर अपलोड कर देंगे। उसके हिसाब से मेडिकल कालेज किटों की आपूर्ति करेगा।
इन जिलों में भेजी जाती है किट
इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) पर जिन जिलों से किट भेजे जा रहे हैं, उनमें गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, मऊ, बलिया और अंबेडकर नगर जनपद शामिल हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज के स्टेट रिफ्रेंस लेबोरेट्री के डायरेक्टर डा. अमरेश सिंह का कहना है कि कोल्ड रूम बन जाने से सभी सेंटरों को बहुत सहूलियत मिली है। अब किट लेने के लिए लैब टेक्नीशियन को सेंटर छोड़कर नहीं जाना पड़ता है। वे अपनी मांग भेज देते हैं, उन्हें किट पहुंचा दी जाती है। हर सेंटर पर एक माह में तीन से पांच सौ तक किट की खपत है।