यहां हैं सोने-चांदी के ताजिए, मोहर्रम पर निकलेगा मातमी जुलूस
मोहर्रम के जुलूस की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके इमामबाड़े में रखे ताजियों की सफाई का काम भी शुरू हो चुका है।
गोरखपुर, (जेएनएन) : मोहर्रम कोई त्योहार नहीं है बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक मातम का दिन है। पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम माह की दसवीं तारीख को मातम किया जाता है।
मोहर्रम (इस्लामिक कैलेंडर) का पहला महीना है। शिया समुदाय दस दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं। हालांकि शोक मनाने की शुरुआत हो गई है। मियां बाजार स्थित सैयद हैदर रजा मरहूम के आवास से इस्तकबाले अय्यामे अजा का मातमी जुलूस निकाला गया। इसके बाद पूरे शहर में मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया। एक दिन में दस से ज्यादा जगहों पर मजलिस बरपा की जा रही है। वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी बरकरार है।
दस दिनों तक चलता है मजलिस का सिलसिला
अंजुमन हुसैनिया के सदर सैयद सिब्ते हसन रिजवी ने बताया कि पहली मोहर्रम से इमामबाड़ा दीवान अली जहीर मरहूम, अस्करगंज में सुबह आठ बजे मजलिस होगी। सुबह 8:30 बजे इमामबाड़ा असगर हुसैन मरहूम, गीता प्रेस रोड, 9:00 बजे इमामबाड़ा सैयद अली मरहूम जाफरा बाजार, सुबह 10:00 बजे इमामबाड़ा सैयद साबिर हुसैन मरहूम, सब्जी मंडी जाफरा बाजार, शाम सात 7:00 बजे इमामबाड़ा मिर्जा खादिम हुसैन मरहूम, शेखपुर, रात 8:00 बजे इमामबाड़ा मास्टर नब्बन साहब, मियां बाजार और रात 9:00 बजे इमामबाड़ा सैयद इकबाल हुसैन मरहूम में मजलिस होगी। यह सिलसिला पूरे दस दिनों तक चलेगा।
कई दिन निकलेगा परंपरागत जुलूस
मोहर्रम की चौथी से लेकर दसवीं तारीख तक शिया समुदाय द्वारा शहर के अलग-अलग हिस्सों से मातमी जुलूस निकाला जाएगा। मोहर्रम की चौथी तारीख को बसंतपुर से दोपहर एक बजे मोहम्मद मेंहदी के आवास से अलम का मातमी जुलूस निकलेगा। जुलूस बसंतपुर, नकी रोड, घंटाघर, रेती चौक होते हुए इमामबाड़ा आगा असगर हुसैन पहुंचकर समाप्त हो जाएगा। पांचवीं तारीख को हल्लौर एसोसिएशन द्वारा खूनीपुर से मातमी जुलूस निकाला जाएगा। छठवीं तारीख को रात 11:30 बजे इमामबाड़ा दीवान अली जहीर से जुलजना (हजरत इमाम हुसैन की सवारी) व मेहंदी का मातमी जुलूस निकलेगा। आठवीं मोहर्रम को रात 11 बजे बसंतपुर से आगा मुख्तार हुसैन की जानिब से जुलजना और अलम का मातमी जुलूस बरामद होगा।
राजघाट में दफन होंगे तालिए
दसवीं मोहर्रम को सुबह 6:30 बजे इमामबाड़ा आगा असगर साहिबान से ताजियों का जुलूस राजघाट जाएगा जहां उसे दफन किया जाएगा। गम में डूबे लोग शाम तक कुछ नहीं खाते। शाम को इमामबाड़ा खादिम हुसैन, शेखपुर में शाम-ए-गरीबां की मजलिस और फाकाकशीं की जाती है। यहां इमामबाड़ा में सोने चांदी के ताजिए भी रखे गए हैं जिनकी सफाई का कार्य शुरू हो चुका है।