तो इसलिए नहीं मिलता है बीएसएनएल का नेटवर्क, जानकर रह जाएंगे हैरान..
बीएसएनएल के नेटवर्क में आ रही खामियों का एक प्रमुख कारण बीटीएस सेंटरों पर पुरानी बैट्रियां हैं। नई बैट्री से 8 घंटे तक का बैकअप रहता है पुरानी बैट्री में एक घंटे का बैकअप मिलता है।
गोरखपुर, जेएनएन। बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) उपभोक्ताओं का बुरा हाल है। एक ही नंबर पर कई बार मिलाइए फिर भी बात हो जाए तो आप खुशकिस्मत हैं। काल तो मिलती नहीं अलबत्ता उपभोक्ताओं की जेब जरूर ढीली हो जाती है। अधिकतर उपभोक्ताओं का आरोप है कि बीएसएनएल उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाल रहा है। गोरखपुर व महराजगंज में उपभोक्ताओं की संख्या साढ़े पांच लाख के करीब है।
पुरानी बैट्रियां भी हैं जिम्मेदार
नेटवर्क में आ रही खामियों का एक प्रमुख कारण बीटीएस सेंटरों पर पुरानी बैट्रियां हैं। आमतौर नई बैट्री की लाइफ पांच साल होती है, लेकिन अकेले महानगर में ही आधे से अधिक बीटीएस पर पुरानी बैट्री से काम चलाया जा रहा है। नई बैट्री के फुल चार्ज होने पर छह से आठ घंटे तक का बैकअप रहता है, लेकिन पुरानी बैट्री में एक घंटे का भी बैकअप बमुश्किल से मिलता है। ऐसी स्थिति में बिजली कटते ही नेटवर्क की समस्या शुरू हो जाती है।
तेल में होता है खेल
नेटवर्क की ध्वस्त हो रही व्यवस्था में तेल के खेल का अहम योगदान है। सूत्रों के मुताबिक हर माह गोरखपुर व महराजगंज को मिलाकर 50 लाख रुपये डीजल के मद में भुगतान किया जाता है। केवल महानगर में बीटीएस को चलाने के लिए करीब 18 लाख रुपये खर्च होते हैं। विभाग ने दो तरह के जनरेटर की व्यवस्था कर रखी है। जिन सेंटरों पर केवल बीटीएस हैं उन सेंटरों पर 15 केवीए का जनरेटर लगाया गया है जबकि टेलीफोन एक्सचेंज व बीटीएस वाले सेंटर को 40 केवीए के जनरेटर से संचालित किया जा रहा है। अब इन सेंटरों पर जनरेटर के लिए तेल का बिल तो बनता रहता है लेकिन जनरेटर चलाने में आनाकानी की जाती है। तेल के खेल में लाखों का गोलमाल महीने में होता है।