Coronavirus Lockdown : ..तो दिल्ली से इसलिए हुआ मजदूरों का पलायन, सुनें- मजदूरों की जुबानी Gorakhpur News
दिल्ली से अपने गांव पहुंचे मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन होने से ठीकेदार ने काम बंद कर दिया और घर जाने को कहा। वहां न रहने की व्यवस्था थी और ही खाने का इंतजाम हो पा रहा था..
गोरखपुर, जेएनएन। दिल्ली से घर लौटने वालों का सिलसिला लगातार जारी है। गांव पहुंचे मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन होने से ठीकेदार ने काम बंद कर दिया और घर जाने को कहा। वहां न रहने की व्यवस्था थी और न ही खाने का इंतजाम हो पा रहा था, इसलिए उन्होंने पैदल ही घर जाने की ठानी। पैदल वालों की संख्या बढ़ी तो सरकार की ओर से बसों का इंतजाम किया गया।
भूखे पेट कैसे कटते दिन?
घर पहुंचे मजदूर लॉकडाउन को लेकर जागरूक हैं लेकिन उनका कहना है कि मजबूरी में वहां से घर लौटने का निर्णय लेना पड़ा। दिल्ली में भूखे पेट आखिर दिन कैसे कटते।
बिस्किट व पानी के भरोसे कटा रास्ता
बड़हलगंज कस्बा के कुटिया मोहल्ला निवासी दो युवक पैदल ही घर के लिए चल दिए। रास्ते में ऑटो, ट्रक व डीसीएम मिलती गई तो कुछ रास्ता आसान हो गया। पूरे रास्ते बिस्किट व पानी पीकर आते रहे। बड़हलगंज विकास खंड के लखनौरा के रहने वाले युवा मथुरा में रहते थे। शनिवार को वे मथुरा पहुंचे और वहां से बस से गोरखपुर आए। उन्हें रास्ते में जगह-जगह खाने को मिलता रहा।
रास्ते में सबकी नहीं हुई जांच
बड़हलगंज के कुटिया मोहल्ले के रहने वाले युवाओं का पैदल आते हुए अलीगढ़ में थर्मल स्क्रीनिंग किया गया लेकिन मथुरा से आए युवाओं की जांच नहीं हुई। उन्होंने घर आने के बाद स्वास्थ्य केंद्र को सूचना दी, जिसके बाद जांच को टीम पहुंची।
स्वयं को रखा क्वारंटाइन, गांव में नहीं है व्यवस्था
घर पहुंचने के बाद युवाओं ने पूरी सतर्कता बरती है। स्वास्थ्य केंद्र को जानकारी देने के साथ ही स्वयं को होम क्वारंटाइन भी कर लिया है। गांव में किसी प्रकार की व्यवस्था अलग से नहीं की गई है।
दिल्ली में रहकर पेंट-पालिस का काम करता था। पिछले सोमवार को ठीकेदार ने हिसाब कर घर जाने को कहा। हम पैदल ही चल दिए। अलीगढ़ में जांच हुई। गुरुवार को घर पहुंचे। स्वास्थ्य केंद्र को जानकारी दी है लेकिन कोई नहीं आया। - धनंजय यादव, कुटिया, बड़हलगंज
पेंट-पालिस का काम था। लेकिन, हम लोगों को घर जाने को कह दिया गया। बस स्टेशन आए, बस नहीं मिली। तीन लोग साथ थे, इसलिए पैदल ही घर चले आए। रास्ते में जांच हुई थी। - संतोष यादव, कुटिया, बड़हलगंज
ठीकेदार ने काम बंद कर दिया तो सोमवार को पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में अलीगढ़ में थर्मल स्क्रीनिंग हुई। यहां आकर अस्पताल गए और नाम नोट कराया। पर, आज तक रैपिड रिस्पांस टीम नहीं पहुंची है। इस समय होम क्वारंटाइन में हूं। - चंदन प्रजापति, कुटिया, बड़हलगंज
मथुरा में रहकर ठीकेदार के निर्देशन में पेंट पालिस का काम करते थे। ठीकेदार ने लॉकडाउन होने पर घर जाने को कहा। बस से गोरखपुर पहुंचे। रास्ते में किसी की जांच नहीं हुई। घर पहुंचने पर डेरवा स्वास्थ्य केंद्र की टीम ने जांच की और क्वारंटाइन रहने को कहा। - मुन्नीलाल निषाद, लखनौरा, बड़हलगंज
नोएडा में रहकर मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया और पास में पड़े रुपये भी खर्च होने से खाने के लाले पड़ गए। किसी तरह से बस स्टेशन पहुंचे लेकिन गाड़ी नहीं मिली। कुछ दूर पैदल चलने के बाद गाड़ी मिली। बीच-बीच में गाड़ी बदलनी पड़ी। - अजय कुमार पांडेय, दरभंगा, बिहार
नोएडा में रहकर मजदूरी करता था। काम बंद होने से खाने के लिए रुपये नहीं थे। कुछ दूर पैदल तो कुछ दूर सवारी से सहजनवां तक पहुंचा हूं, यहां से घर जा रहा हूं। रास्ते में स्वास्थ्य की जांच हुई थी। - पप्पू, महराजगंज