नाथ संप्रदाय के दर्शन को विश्वपटल पर लाएगा गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ
नाथ पंथ को नवजीवन देने वाले गुरु गोरक्षनाथ के दर्शन और सिद्धांत पर गहन मनन, चिंतन और शोध के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय शोध पीठ की स्थापना होने जा रही है।
गोरखपुर (क्षितिज पांडेय)। नाथ पंथ को नवजीवन प्रदान करने वाले महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के दर्शन और सिद्धांत पर गहन मनन, चिंतन और शोध के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय शोध पीठ की स्थापना होने जा रही है। शोध पीठ के माध्यम से विश्वविद्यालय का प्रयास नाथ पंथ के दर्शन का विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषण करते हुए उसे समग्र रूप से विश्वपटल पर प्रस्तुत करने का है। शोध पीठ की स्थापना बाबत विश्वविद्यालय की विद्यापरिषद ने प्रस्ताव पास कर दिया है और अब इसे 15 दिसंबर को कार्यपरिषद के समक्ष रखा जाएगा।
प्रस्ताव के अनुसार शोध पीठ न केवल गुरु गोरक्षनाथ से जुड़े विषयों पर शोध कार्य करेगा बल्कि उनके नाम पर वार्षिक राज्यस्तरीय तथा राष्ट्रीय पुरस्कार भी देगा। यही नहीं विभिन्न विश्वविद्यालय में नाथ पंथ पर आधारित एड ऑन कोर्स की भी शुरुआत हो रही है, जिसमें विश्वविद्यालय के संस्थागत छात्र दाखिला ले सकेंगे। बता दें कि नाथ पंथ के सबसे बड़े केंद्र गोरक्षनाथ मंदिर के मुखिया गोरक्षपीठाधीश्वर पद पर वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही आसीन हैं।
42 पदों पर होगी नियुक्तियां, 1302 लाख रुपये का है बजट
शोध पीठ की स्थापना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन खासा उत्साहित है। प्रस्ताव के मुताबिक कुल 42 पदों पर नियुक्तियां होंगी। इसमें निदेशक, उपनिदेशक, सहायक निदेशक, प्रशासनिक अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी, लाइब्रेरियन, प्रोग्रामर आदि पद शामिल हैं। पीठ संचालन के करीब 1302.6 लाख रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया है। शोध पीठ के कार्यालय के लिए विश्वविद्यालय के महाराणा प्रताप परिसर स्थित तीन मंजिला भवन को आवंटित किया जा रहा है।
यह है उद्देश्य :
- नाथ पंथ की दार्शनिक पृष्ठभूमि एवं दार्शनिकता का आंकलन करना।
- नाथ पंथ के दर्शन एवं उसके अवदानों पर शोध करना।
- गुरु गोरक्षनाथ के योग के दार्शनिक एवं आयुर्विज्ञान संबंधी पक्षों का विश्लेषण करना।
- राष्ट्रीय पुनर्जागरण तथा वर्तमान युग में सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक नवजागरण में नाथ पंथ की भूमिका का अध्ययन करना।
- नाथ पंथ के विश्वकोष का निर्माण करना।
- भक्ति आंदोलन में नाथ पंथ के योगदान का आकलन करने के साथ साथ दोनों के अंत: संबंधों की समीक्षा करना।
-नाथ पंथ से संबंधित बाह्य शोध अध्येताओं के प्रबंधों का प्रकाशन करना, संग्रहालय की स्थापना, मासिक, त्रैमासिक तथा वार्षिक संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन करना।
- नाथ पंथ पर आधारित एड ऑन डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन करना।
कुलपति दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने बताया कि गुरु श्री गोरक्षनाथ सर्व धर्म समभाव के प्रणेता थे। शोध पीठ की स्थापना के पीछे उद्देश्य है कि महायोगी गुरु के विकीर्ण मन्तव्यों, मार्गों एवं उपदेशों को एकत्र कर उन्हें समेकित करते हुए विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। ताकि दिग्भ्रांत मानव को आत्मोन्नति करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। हमें विश्वास है कि यह शोध पीठ लोगों की तात्विक जिज्ञासा को भी शांत करेगा।