ट्विटर पर गूंजा इंसेफ्लाइटिस फ्री यूपी, जानें-क्या है कारण Gorakhpur News
उत्तर प्रदेश अब इंसेफ्लाइटिस से मुक्त हो चुका है। ट्विटर पर इस समय यही गूंज रहा है। गुरुवार को ट्विटर पर इंसेफेलाइटिसफ्रीयूपी ट्रेंड करता रहा।
गोरखपुर, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर गोरखपुर इस वक्त ट्विटर पर छाया हुआ है। कारण वही महामारी इंसेफ्लाइटिस है जिसकी वजह से कभी पूरे देश में इस शहर का नाम चर्चा में आया था, पर आज के चर्चा का कारण इंसेफ्लाइटिस की समस्या नहीं बल्कि उससे मुक्ति मिलने की खबर है।
ऐसा महसूस कर रहे ट्विटर यूजर्स
उत्तर प्रदेश अब इंसेफ्लाइटिस से मुक्त हो चुका है। ट्विटर पर इस समय यही गूंज रहा है। गुरुवार को ट्विटर पर इंसेफेलाइटिसफ्रीयूपी ट्रेंड करता रहा। ट्विटर यूजर्स गोरखपुर सहित इंसेफ्लाइटिस से पीड़ित विभिन्न जनपदों में इस वर्ष इंसेफ्लाइटिस के न्यूनतम प्रभाव के आंकड़ों को लेकर खुशी जाहिर कर रहे हैं साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई भी दे रहे हैं।
निशाने पर अखिलेश यादव
ट्विटर यूजर्स के निशाने पर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव भी हैं, जिन्होंने राजस्थान में पिछले दिनों बच्चों की असामयिक मौत के बाद उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस के कहर को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा था।
ऐसे हुआ प्रयास
बता दें कि गोरखपुर व आसपास के जनपदों में मासूम बच्चों के लिए काल बनी इंसेफ्लाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब तक के 33 महीनों में नियोजित प्रयास किया। अस्पतालों में संसाधन तो बढ़ाए ही गए, जन- जागरूकता के लिए 'दस्तक' अभियान भी चलाया गया। दस्तक अभियान को केंद्र सरकार ने भी खूब सराहा है। इन प्रयासों का नतीजा रहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में जापानी इंसेफ्लाइटिस से वर्ष 2016 में जहां 442 पीड़ित बच्चों में से 74 की मौत हुई थी, वहीं 2019 में कुल भर्ती 235 मरीजों में से केवल 21 ही काल-कवलित हुए। इसी तरह 2016 में एईस के कुल 1765 बच्चों में से 466 की मौत हुई वहीं 2019 में 541 में से केवल 54 को ही नहीं बचाया जा सका।
32 हज़ार से ज्यादा ट्वीट
इंसेफ्लाइटिस और एईएस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए योगी सरकार द्वारा किये जा रहे ठोस चिकित्सकीय प्रबंधों के लिए ट्विटर पर लोगों की सराहना मिल रही है। खबर लिखे जाने तक 32 हज़ार से ज्यादा ट्वीट इस विषय पर किये जा चुके थे।
यूजर @pnkjsr01 ने लिखा
पूर्वांचल में 40 लाख बच्चों का टीकाकरण हुआ। घर-घर जाकर दस्तक अभियान चला। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड की संख्या बढ़ी, इलाज के लिए वॉर्मर उपलब्ध हुए...तब इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौतों के आंकड़ों में 65 प्रतिशत की कमी आई है...यही है @myogiadityanath की शैली
इंसेफ्लाइटिस फ्री यूपी
यूजर @Real_Abhay1 ने लिखा कि जापानी बुखार से साल 1977 से पूर्वांचल के जिलों में जो मौतों का दौर शुरू हुआ वह 2016 तक जारी रहा। 2017 में जब @myogiadityanath की सरकार बनी तब जेई की रोकथाम के लिए कदम उठाए। वर्ना पहले मरीज जाता था उसे अज्ञात बीमारी बताकर बच्चे को मरने के लिए छोड़ देते थे।