जीपीएस लगा गिद्ध खेत में मिला, वन विभाग ने लिया कब्जे में Gorakhpur News
ग्रामीणों ने गेहूं के खेत में एक गिद्ध को देखा। वह हिलडुल नहीं पा रहा था। नजदीक जाने पर उसके पंख पर पीले रंग का टैग लगा था। गिद्ध के गर्दन के नीचे पेट के पास जीपीएस था।
गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जनपद के बरवापट्टी थाना क्षेत्र के गांव रामपुरपट्टी के टोला बकुलहवां में शुक्रवार को गेहूं के खेत में गिद्ध पक्षी मिला। उसके पंख पर पीले रंग का टैग लगा था। गले के नीचे पेट के पास जीपीएस लगा हुआ मिलाहै। जीपीएस पर सी-3 अंकित है। यह खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम पक्षी को क्षेत्रीय वन कार्यालय सरगटिया करनपट्टी ले गई।
गेहूं के खेत में पड़ा था गिद्ध
जानकारी के अनुसार उक्त गांव निवासी विनय कुमार सुबह साढ़े आठ बजे अपने गेहूं की खेत की तरफ गया था। खेत में गिद्ध पक्षी को देखा। वह हिलडुल नहीं पा रहा था। उसके बाद विनय ने इसकी जानकारी अपने पड़ाेसी उपेंद्र को दी। उपेंद्र भी मौके पर पहुंच गया।
पंख पर टैग और गर्दन के नीचे जीपीएस
उसने भी देखा कि गिद्ध अपने स्थान पर ही है। गिद्ध के नजदीक जाने पर दोनो ने देखा कि पंख पर टैग लगा हुआ है। उत्सुकता बढ़ी तो पकड़ लिया। फिर उसके गले के नीचे पेट के पास जीपीएस लगा हुआ था। इतने में गांव अन्य तमाम लोग आ गए।
देखने के लिए पहुंची ग्रामीणों की भीड़
टैग और जीपीएस लगे गिद्ध को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। इतने में किसी ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। गांव वालों की सूचना पर विभाग के वन दारोगा शिवजी कुशवाहा, राजकिशोर मिश्र, शिवम पाठक व चौकीदार सिंहासन यादव तथा विशुनपुरा थाने के कांस्टेबल मानवेंद्र यादव, दिनेश यादव भी पहुंच गए। जीपीएस लगे गिद्ध मिलने की सूचना पर पुलिस क्षेत्राधिकारी संदीप वर्मा और एसओ सेवरही राशिद खान भी मौके पर पहुंच गए।
नेपाल के चितवन का है गिद्ध, कमजोर होने से गिरा खेत में
वन विभाग की टीम गिद्ध अपने साथ गिद्ध को लेती गई। जिला प्रभागीय वनाधिकारी वीसी ब्रह्मा ने कहा कि यह गिद्ध नेपाल के चितवन का है। रिसर्च करने के लिए इसमें टैग व जीपीएस लगा हुआ है। यह काफी कमजोर हो गया है। यही कारण है कि उड़ नहीं पा रहा है। स्वस्थ होने पर दो दिन बाद इसे आजाद कर दिया जाएगा।
विलुप्त होने वाली प्रजाति का है गिद्ध
जिला प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि पक्षी सामान्य गिद्ध है, जो विलुप्त होने वाली प्रजाति में सम्मिलित है। यही कारण है कि पक्षी में टैग व जीपीएस लगा है। ऐसे पक्षियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक सतर्कता बरती जाती है, इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है।