सरकारी डॉक्टर लिख रहे बाहर की दवाएं, एक्सपायर हो रही जन औषधि Gorakhpur News
डॉक्टर ब्रांड कंपनियों की दवाएं लिख रहे हैं जो मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। जन औषधि केंद्र पर 50 से 90 फीसद तक सस्ती मिलने वाली दवाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। रीमा, राधेश्याम व सरवन जो पर्ची लेकर जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र पर आए थे, वो दवाएं केंद्र पर नहीं थीं। वे वापस चले गए। पूछने पर केंद्र संचालक ने बताया कि ये ब्रांड की दवाएं हैं जो बाहर मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। यहां डॉक्टर जन औषधि (जेनरिक) लिख ही नहीं रहे हैं। इस वजह से बड़ी मात्रा में जन औषधि एक्सपायर हो चुकी हैं।
एक साल में डेढ़ लाख की जन औषधि एक्सपायर
यह रोज की कहानी है। जिला अस्पताल के डॉक्टर ज्यादातर ब्रांड की दवाएं ही लिखते हैं। इस वजह से जन औषधियां एक्सपायर हो रही हैं। अकेले जिला अस्पताल के जनऔषधि केंद्र से जनवरी से अक्टूबर के बीच में एक लाख और अक्टूबर से अब तक 40 हजार रुपये की जन औषधियां एक्सपायर हो चुकी हैं। केंद्र संचालक के अनुसार यदि डॉक्टरों का यही रवैया रहा तो जून-जुलाई तक 50 हजार रुपये की दवाएं और एक्सपायर हो जाएंगी।
दवाएं तो 986 हैं, मंगा रहे सिर्फ ढाई सौ
लगातार दवाओं के एक्सपायर होने से केंद्र संचालक बड़ी मात्रा में दवाएं मंगा नहीं रहे हैं। कुल दवाओं की सूची 986 है, जबकि केंद्र संचालक लगभग ढाई सौ दवाएं ही मंगा रहे हैं। एक सप्ताह से सिट्रीजिन, बच्चों की एंटीबायोटिक, सांस फूलने, कफ सिरप, थायरायड, बीपी, सुगर सहित लगभग एक सौ दवाएं खत्म हो गई हैं। पैरासीटामॉल 500 एमजी खत्म हो गया है, 650 एमजी का केंद्र में मौजूद है। मांग भेजी गई है, लेकिन दवाएं अभी तक केंद्र पर नहीं पहुंची हैं। जो दवाएं हैं भी, डॉक्टरों के न लिखने की वजह से उनका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है।
एक्सपायर हुईं ये दवाएं
एक साल में अब तक चर्म रोग, बच्चों की एंटीबायोटिक, गैस व एंटीबायोटिक के इंजेक्शन, सांस फूलने, खांसी, सुगर, आयरन, फोलिक एसिड सहित लगभग 80 से अधिक दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं। इनकी कीमत 1.40 लाख रुपये से ज्यादा है।
मरीजों को नहीं मिल रहीं दवाएं
जन औषधि केंद्र के फार्मासिस्ट वसीउल्लाह खान का कहना है कि ज्यादातर डॉक्टर ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं, जो मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। जन औषधि केंद्र पर 50 से 90 फीसद तक सस्ती मिलने वाली दवाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। लगभग 1.40 लाख रुपये की दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं।
अधिकारी ऐसे कर रहे बहानेबाजी
अधिकारियों से यदि बात की जाए तो वह सिर्फ मौखिक आदेश, निेर्देश और जांच की बात करते हैं। होता कुछ नहीं है। अब जिला अस्पताल के एसआइसी प्रभारी डा. केएम सिंह को ही लीजिए, इनका कहना है कि डॉक्टर यदि जेनरिक नहीं लिख रहे हैं तो गलत बात है। जो दवाएं अस्पताल में नहीं हैं, उनका जेनरिक लिखने का आदेश है। फिर भी यदि वे ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।