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दिल्ली किसान आंदोलन की आग से झुलसा गोरखपुर का कारोबार, सीमा पर फंसे हैं 50 करोड़ के माल Gorakhpur News

कोरोना के चलते लुधियाना से कपड़ों की डिलेवरी इस बार देर शुरू हुई और अब किसान आंदोलन ने रोड़ा अटका दिया है। 15 दिनों से एक नग माल भी गोरखपुर नहीं पहुंचा है। ऐसे में व्‍यापार पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 04:34 PM (IST)
दिल्ली किसान आंदोलन की आग से झुलसा गोरखपुर का कारोबार, सीमा पर फंसे हैं 50 करोड़ के माल Gorakhpur News
ऊलेन कपड़ों के कारोबार के संबंध में फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। दिल्ली बार्डर पर दहक रहे किसान आंदोलन ने गोरखपुर को भी प्रभावित किया है। करीब 50 करोड़ रुपये के गर्म कपड़ों से लदे दर्जनों ट्रक सीमा पर ट्रैफिक जाम में फंसे हुए है। व्यापारियों का कहना है कि किसान आंदोलन करें, मगर उपभोक्ता वस्तुओं से भरे मालवाहक वाहनों को तो छोड़ दें। अगर हाल यही रहा तो इस सीजन करोड़ों की चपत लग जाएगी, जिसकी भरपाई नामुमकिन होगी।

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गर्म कपड़ों के मामलों में गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा हब है। यहीं से देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, कुशीनगर, महराजगंज के अलावा बिहार के गोपालगंज, सिवान और नरकटियागंज तक गर्म कपड़ों की आपूर्ति होती है। कोरोना के चलते लुधियाना से कपड़ों की डिलेवरी इस बार देर शुरू हुई और अब किसान आंदोलन ने रोड़ा अटका दिया है। 15 दिनों से एक नग माल भी गोरखपुर नहीं पहुंचा है। मौसम में बदलाव और लग्न की वजह से गर्म कपड़ों की बहुत डिमांड है, लेकिन बाजार में माल नहीं है। थोक कारोबारियों को लगता है कि अगर 15 दिसंबर से पहले माल फुटकर दुकानों पर नहीं पहुंचा तो मुनाफा तो दूर पूंजी निकालनी भी मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि 20 दिसंबर के बाद लोग गर्म कपड़ा खरीदने से कतराते हैं। दूसरी तरफ ब्रांडेड कंपनियां भी 50 फीसद तक छूट देने लगती हैं, इसका असर भी पड़ता है।

क्‍या कहते हैं कारोबारी

थोक कारोबारी आशीष जायसवाल का कहना है कि अबतक कोरोना की वजह से व्यापार नही हुआ, अब किसानों के आंदोलन की वजह से ट्रांसपोर्ट में माल रुक गया है। अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो लाखों का नुकसान उठाना पड़ेगा। राम नारायण प्रजापति कहते हैं कि ट्रांसपोर्ट में हफ्तों से माल पड़ा हुआ है और यहां व्यापारी वापस लौट रहे हैं। सप्ताह भर में माल नहीं पहुंचा तो न सिर्फ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि कई पुराने व्यापारियों से नाता भी टूट सकता है। मो. आदिल का कहना है कि हर साल सितंबर के पहले सप्ताह तक माल हमारे गोदाम में पहुंच जाता था, लेकिन कोरोना के कारण लुधियान में वक्त पर माल तैयार नहीं हो पाया। अब किसान आंदोलन ने परेशानी खड़ी कर दी है। वहीं थोक कारोबारी संजय सिंह का कहना है कि 200 से ज्यादा कारोबारियों के गर्म कपड़े रास्ते में फंसे हुए हैं। सभी को नुकसान की फिक्र सताने लगी है। दुकानदारों से इंतजार करने को कहा जा रहा है। एक सप्ताह और आंदोलन चल गया तो कारोबारियों को काफी नुकसान होगा।


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