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Gorakhpur Zoo: गर्मी अब गीता को नहीं करेगी बेहाल, क्राल में ही मिलेगा ताल का मजा

Gorakhpur zoo white tigress Gita चिड़ियाघर के रेस्क्यू क्राल में बाथ टब बनवाया गया है। इसमें लगातार पानी आने से सफेद बाघिन गीता को गर्मी से राहत मिलेगी। वहीं बाथ टब का पानी रोजाना पाइप के जरिये बदला जाएगा।

By Pragati ChandEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2022 06:15 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2022 06:15 PM (IST)
Gorakhpur Zoo: गर्मी अब गीता को नहीं करेगी बेहाल, क्राल में ही मिलेगा ताल का मजा
सफेद बाघिन गीता को गर्मी से मिलेगी राहत। फोटो- संगम दूबे।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर चिड़ियाघर में अब गर्मी गीता (सफेद बाघिन) को परेशान नहीं करेगी। वह अपने क्राल में ही ताल का आनंद ले सकेगी। चिड़ियाघर प्रशासन ने उसके क्राल में एक बाथ टब बनवाया है। जिसमें लगातार पानी आता रहेगा। पाइप के जरिये रोजाना पानी बदला जाएगा। ताकि पानी पूरी तरह स्वच्छ रहे। इससे गीता को यहां का वातावरण भाएगा और वह पूरी तरह से सेहतमंद रहेगी।

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गीता का अधिकांश समय टहलने में बीतता है: यहां रेस्क्यू क्राल में बनाया गया यह सीमेंटेड बाथ टब गीता की सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार कराया गया है। ताकि वह आसानी से उसमें जाकर लेट सके। पशु चिकित्साधीक्षक डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि टब में स्नान करने के बाद गीता को गर्मी से राहत मिलेगी। बता दें क्राल में गीता का अधिकांश समय टहलते बीतता है।

गर्मी से राहत के लिए क्राल के बाहर लगा है खस: चिड़ियाघर प्रशासन ने गीता को गर्मी से राहत देने के लिए उसके क्राल के बाहर खस लगवाया है और उसे लगातार तरी किया जाता है। ताकि उसे गर्मी से राहत रहे। पशु चिकित्सक ने बताया कि गीता भी रायल बंगाल टाइगर है। कलर जीन के चलते इन बाघों का रंग सफेद होता है।

दर्शकों की पहली पसंद होते हैं सफेद बाघ: पशु चिकित्सक ने बताया कि अपने सफेद रंग के चलते यह दर्शकों की पहली पसंद होते हैं। बता दें वनमंत्री ने 100 दिन के भीतर चिड़ियाघर को सफेद बाघ देने की घोषणा की थी। मंत्रिमंडल गठन के 88 दिन के भीतर गीता को यहां भेजकर अपनी घोषणा पूरी की है।

असम के गैंडों व रायल बंगाल टाइगर ने मोह लिया प्रदेश अध्यक्ष का मन : चिड़ियाघर में असम के गैंडों व रायल बंगाल टाइगर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का मन मोह लिया। प्रदेश अध्यक्ष ने गैंडा हर व गौरी को अपने हाथों से फल खिलाया तो वहीं तन को झुलसा देने वाली धूप में खड़े होकर वह बाघ अमर को निहारते रहे। उन्होंने सम्मान के साथ अमर को अमर जी कहकर बुलाया, लेकिन वह अपने बाड़े में दूर ही खड़ा रहा।


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