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नैक और एनआइआरएफ के लिए माडल केंद्र बने गोरखपुर विश्‍वविद्यालय : प्रो. चौहान

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी सेल की ओर से नैक और एनआइआरएफ मूल्यांकन कार्यशाला का आयोजन शनिवार को संवाद भवन में किया गया। नैक विशेषज्ञ टीम ने विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्षों विभागाध्यक्षों और वित्तपोषित कालेज के प्राचार्यों के साथ संवाद किया।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 10:45 AM (IST)
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में नैक की तरफ से आयोजित बैठक को संबोधित करते कुलपति प्रो. राजेश सिंह। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी सेल की ओर से नैक और एनआइआरएफ मूल्यांकन कार्यशाला का आयोजन शनिवार को संवाद भवन में किया गया। नैक विशेषज्ञ टीम ने विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों और वित्तपोषित कालेज के प्राचार्यों के साथ संवाद किया। उन्होंने नैक मूल्यांकन और एनआइआरएफ रैंकिंग में बेहतर रैंक हासिल करने के उपयोगी सुझाव दिए।

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विश्‍वविद्यालय की तैयारियों पर जाहिर की प्रसन्‍नता

मुख्य अतिथि नैक के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वीएस चौहान ने नैक मूल्यांकन और एनआइआरएफ रैंकिंग की विश्वविद्यालय की तैयारियों पर प्रसन्नता जाहिर की। कहा कि नैक और एनआइआरएफ दोनों नई संस्थाएं हैं। आज आवश्यकता है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड के राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन और एनआइआरएफ रैंकिंग की तैयारियों में सहायता के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय को एक माडल केंद्र के रूप में विकसित करने की।

15 साल में यूपी, बिहार के किसी विश्‍वविद्यालय को नहीं मिला एक ग्रेड

संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि माडल केंद्र के सुझाव पर विश्वविद्यालय जल्द ही कदम उठाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी आटीसेल को दी जाएगी। इसमें नैक मूल्यांकन और एनआइआरएफ रैंकिंग की टीम भी सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल में यूपी और बिहार में ऐसा कोई राज्य विश्वविद्यालय नहीं है जिसे ए ग्रेड मिला हो।

शिक्षा की गुणवत्‍तापूर्ण सुधार भविष्‍य की मांग

जर्नादन राय नगर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंग देवोत ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार भविष्य की मांग है। उच्‍च शिक्षा का ग्रास डेवलपमेंट रेसियो (जीडीआर) महज 26 फीसदी है। इसे और बेहतर बनाने के लिए डिपार्टमेंट और हित धारकों के बीच समन्वय का होना बेहद जरूरी है। नैक की सलाहकार डा. के रमा ने कहा कि नैक गुणवत्ता और एनआइआरएफ की रैंकिंग डाटा पर आधारित होती है। विभाग अगर वैल्यू एडेड कोर्स चलाते हैं तो वह अपने डाटा को सुरक्षित रखें। विभाग स्तर पर डाटा होना ही चाहिए। हर विभाग में इसकी एक टीम बनाई जानी चाहिए।

विशेषज्ञों के सामने तैयारियों का प्रस्‍तुत किया गया पीपीटी प्रेजेंटेशन

किरोड़ीमल कालेज की प्राचार्य डा. विभा ङ्क्षसह ने कहा कि रोजाना की गतिविधियों को एक डायरी में लिखकर हम अपने डाटा का संकलन आसानी से कर सकते है। नैक सलाहकार डा. नरेश त्रिखा और एनआइआरएफ के कोआर्डिनेटर प्रो. गौर हरि बेहरा ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपनी तैयारियों को विशेषज्ञों के समक्ष रखा। द्वितीय सत्र में महाविद्यालय के प्राचार्यो ने नैक मूल्यांकन से संबंधित अपने अनुभव साझा किए तथा विशेषज्ञों ने उन्हें बेहतर ग्रेड लाने के सुझाव दिए। आइक्यूएससी के डायरेक्टर प्रो. अजय ङ्क्षसह ने अतिथियों का स्वागत और आभार ज्ञापन कला संकायाध्यक्ष प्रो नंदिता ङ्क्षसह ने किया। संचालन डा. तुलिका मिश्रा ने किया।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय को भी नैक विशेषज्ञों ने देखा

नैक के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वीएस चौहान, जर्नादन राय, नगर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंग देवोत, किरोड़ीमल कालेज की प्राचार्य डा: विभा सिंह, नैक की पूर्व सलाहकार डा. के रमा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय भी गए। वहां उन्होंने कुलपति मेजर जनरल अतुल वाजपेयी और कुलसचिव डा. प्रदीप कुमार राव के साथ विश्वविद्यालय की व्यवस्था देखी।


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