गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ धरना देने वाले के प्रोफेसर निलंबित, सात को नोटिस
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ आंदोलन करने वाले हिंदी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश गुप्ता को विश्वविद्यालय के प्रशासन ने निलंबित कर दिया है। इसके अलावा उन सात प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जिन्होंने धरने में प्रो. गुप्त का साथ दिया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ अबतक इंटरनेट मीडिया और राजभवन में मोर्चा खोलने वाले हिंदी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश गुप्ता ने जमीनी आंदोलन शुरू कर दिया। मंगलवार को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में मौजूद पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने उन्होंने चार घंटे तक धरना दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया। कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव विश्वेश्वर प्रसाद ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। दो पूर्व कुलपति और एक कार्य परिषद सदस्य को शामिल करके बनी कमेटी प्रो. गुप्त पर लगे आरोपों की जांच करेगी। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उन सात प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिन्होंने धरने में प्रो. गुप्त का साथ दिया है।
यह है मामला
प्रो. गुप्त पिछले कई महीने से कुलपति के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर लिख रहे हैं, उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने कुलपति के खिलाफ राजभवन को भी पत्र लिखा है। विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल करने को लेकर कुलपति की ओर से उन्हें आठ बार नोटिस भी दिया जा चुका है। दो दिन पूर्व उन्होंने पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने सत्याग्रह करने की घोषणा की थी। इस बीच जब वह निर्धारित स्थल पर धरना देने पहुंचे तो अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अजय सिंह ने उन्हें रोकने की कोशिश की। करीब एक घंटे की बहस के बाद भी धरना जारी रहा। इसी दौरान प्रो. गुप्त के समर्थन में प्रो. चंद्रभूषण अंकुर, प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. अजेय कुमार गुप्ता, प्रो. सुधीर कुमार श्रीवास्तव, प्रो. वीएस वर्मा, प्रो. विजय कुमार, प्रो. अरविंद चतुर्वेदी भी पहुंच गए और धरने पर बैठ गए। धरने का सिलसिला चार घंटे चला।
प्रो. कमलेश के समर्थन में देर रात सड़क पर उतरे छात्र
प्रो. कमलेश गुप्त के निलंबन के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्र भी खड़े हो गए हैंं। निलंबन की जानकारी मिलने के बाद देर रात हास्टल में रहने वाले छात्र सड़क पर उतर गए। नारेबाजी करते हुए विश्वविद्यालय गेट पर पहुंचे और करीब आधे घंटे तक धरना दिया। बुधवार को विश्वविद्यालय गेट पर एक बार फिर इकठ्ठा होने की योजना बनाकर छात्र हास्टल को लौट गए। छात्रों ने बुधवार को अपनी मांग को लेकर जनसमर्थन जुटाने के लिए शहर में पैदल मार्च की भी घोषणा की।
धरने के लिए विश्वविद्यालय गेट पर पहुंचने से पहले हास्टल के छात्र कुलपति के विरोध में नारेबाजी करते हुए शिक्षकों की हीरापुरी कालोनी में घूमे। इस दौरान उन्होने कई शिक्षकों के घर जाकर उनका समर्थन मांगा और आंदोलन के लिए आशीर्वाद लिया। उसके बाद रेलवे बस स्टेशन के रास्ते नारेबाजी करते हुए वह विश्वविद्यालय गेट पर पहुंचे। वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों से गेट खुलवा कर धरने पर बैठ गए। सूचना मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। चूंकि छात्रों का धरना-प्रदर्शन उग्र नहीं था, सो पुलिस ने उनके विरोध प्रदर्शन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। रात सवा ग्यारह बजे धरना समाप्त हुआ। धरने का नेतृत्व निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष अमन यादव, भास्कर चौधरी, योगेश प्रताप सिंह आदि ने किया।
फिर उपवास पर बैठेंगे प्रो. कमलेश
प्रो. कमलेश गुप्त ने बुधवार को एक बार फिर धरने पर बैठने की घोषणा देर रात कर दी। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय को बचाने के लिए वह दोपहर दो से तीन बजे तक प्रशासनिक भवन परिसर में पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह करेंगे। छात्रोंं ने धरने में उनका साथ देने की घोषणा की है।