स्वच्छता रैंकिंग में 282वें स्थान पर पहुंचा गोरखपुर
गोरखपुर : स्वच्छता, सुविधा और साधन के मानकों पर गोरखपुर शहर को देश में 282वां स्थान ि
गोरखपुर : स्वच्छता, सुविधा और साधन के मानकों पर गोरखपुर शहर को देश में 282वां स्थान मिला है। 'स्वच्छ भारत मिशन' अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर कराए गए स्वच्छ सर्वेक्षण : 2018 के शनिवार को जारी रिपोर्ट कार्ड गोरखपुर के लिहाज से पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा बेहतर जरूर है, लेकिन विभिन्न पैमानों पर मिले नंबर इस बात की ओर इशारा करते हैं कि विकास के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। पिछले वर्ष गोरखपुर राष्ट्रीय स्तर पर 314वें पायदान पर था जबकि इस वर्ष थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करते हुए 282वें स्थान पर है। प्रदेश के 65 शहरों में अपना शहर 18वें पायदान पर है।
शहरी विकास मंत्रालय ने देश के सभी 4041 शहरी निकायों में साफ-सफाई की क्या स्थिति है, इसके आकलन के लिए चार जनवरी से 31 मार्च के बीच स्वच्छ सर्वेक्षण कराया था। बीते साल केवल 434 शहरों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया था। इससे पहले 2016 में यह आंकड़ा सिर्फ 73 था। दो अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किए जाने के बाद इस तरह का तीसरा सर्वेक्षण है। स्वच्छ भारत अभियान को मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक माना जाता है। इसके लिए लोगों से सेवा कर के रूप में आधा फीसदी (0.5) सेस लिया जाता है। साथ ही, इसके लिए बजट में साल 2014-15 से लेकर अब तक 33,875 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। यह अभियान जमीनी स्तर पर कितना सफल रहा है, इसे जानने के लिए ही समय-समय पर स्वच्छ सर्वेक्षण किया जाता रहा है। केंद्र सरकार ने इस सर्वेक्षण की जिम्मेदारी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) को दी है। पिछले वर्ष पिछड़ने के बाद नगर निगम ने रैंकिंग में सुधार के लिए बहुत से कार्य किए। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया।
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कचरा प्रबंधन व डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में हुए फेल
सर्वेक्षण के कई बिंदुओं पर बेहतर कार्य करने के बावजूद अपना शहर कचरा प्रबंधन एवं डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में फेल हो गया। महेसरा में बनने वाला सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट करीब आठ वर्षो से अधर में लटका हुआ है। इसी तरह निगम की कोशिशों के बावजूद सभी 70 वार्डो में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो सका। इस कारण भी गोरखपुर के अंक कट गए। जिन शहरों में वेस्ट एनर्जी आधारित प्लांट लगा हुआ है उनकी रैंकिंग काफी ऊपर चली गई है।
-------------------- ओडीएफ नहीं हो सका अपना शहर
शहर को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) करने के लिए दिसंबर-17 तक लक्ष्य रखा गया था। इसके देखते हुए व्यक्तिगत शौचालयों के अलावा शहर बड़ी संख्या में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण शुरू कराया गया। खुले में लोग शौच न करें इसलिए बहुत से गरीबों को फ्री में सुलभ एवं सार्वजनिक शौचालयों का पास जारी किया गया। ज्यादातर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण तय समय पर नहीं हुआ, वहीं व्यक्तिगत शौचालय भी लक्ष्य के पास नहीं पहुंच पाए। इसका खामियाजा भी नगर निगम को भुगतना पड़ा।
--------------- जनता की निगेटिव फीडबैक से हुआ नुकसान
सर्वेक्षण के कारण बहुत से लोगों ने सर्वे करने वाली टीम के सदस्यों से फीडबैक लिया था। फीडबैक के लिए 1400 अंक निर्धारित किए गए थे। लोगों से सफाई, कूड़े उठान, शिकायतों का निस्तारण, पब्लिक टायलेट की स्थिति समेत कई बिंदुओं पर सवाल पूछे थे, फीडबैक पर मिले अंकों से पता चल रहा है कि ज्यादातर लोगों ने नगर निगम के कार्यो से नाखुशी जताई थी।
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सर्वेक्षण का यह है मानक
सर्वे 4000 अंकों के लिए किया गया था। इनमें 1400 अंक नगर निगम की सुविधाओं, 1400 अंक जनता से फीडबैक और 1200 नंबर दस्तावेजों के मुताबिक भौतिक सत्यापन के लिए निर्धारित किए गए थे।
------------------ स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट : एक नजर
शहर - रैंक 2018 - स्कोर 2018 - रैंक 2017
गोरखपुर -282- 1777.17 - 314
--------------------- गोंडा और कानपुर ने पेश की मिसाल
पिछले साल प्रदेश के 42 जिलों में स्वच्छता को लेकर सर्वे हुआ था। गोंडा को देश के सबसे गंदे शहरों की सूची में रखा गया था, लेकिन एक वर्ष में ही गोंडा ने कमियों में सुधार करते हुए लंबी छलांग लगाई है। पिछले साल वह 434वें रैंक पर जो इस वर्ष 1944 अंकों के साथ 228 नंबर पर पहुंच गया है। इसी तरह कानपुर 175वें स्थान से 65वें नंबर पर पहुंच गया है। कानुपर ने 2770 अंक हासिल किया है। ----------------
कोट
शहर को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए नगर निगम ने पूरा प्रयास किया है। कूड़ा प्रबंधन एवं डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन को छोड़कर बाकी बिंदुओं पर पूरे अंक मिले हैं। निगम अभी से अगले वर्ष होने वाले सर्वेक्षण की तैयारी करेगा और बेहतर परिणाम लेकर आएगा।
प्रेम प्रकाश सिंह, नगर आयुक्त
--------------- कुछ बिंदुओं पर नगर निगम का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा। उन कमियों को दूर किया जाएगा जिसके कारण हमलोग अच्छी रैंकिंग लाने में चूक गए हैं। अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर समीक्षा भी की जाएगी।
सीताराम जायसवाल, महापौर
नगर निगम द्वारा प्रदान की गई सेवाएं - स्वच्छता के दृष्टिगत नगर निगम द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं जैसे, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, सफाई, नालों की सफाई, पथ प्रकाश, कचरा प्रबंधन एवं कचरे का निस्तारण आदि।
कुल अंक मिले अंक
1400 255
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दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन
- नगर निगम द्वारा दिए गए दस्तावेजों तथा नागरिकों को प्रदान की गई सुविधाओं के आधार पर सर्वे करने वाली टीम ने क्षेत्र में जाकर भौतिक सत्यापन किया।
कुल अंक मिले अंक
1200 1018
---------------------- नागरिक फीडबैक
- स्वच्छता एप के जरिए नागरिकों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के संबंध में सर्वे करने वाली टीम ने फीडबैक लिया। चूंकि ज्यादातर समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ था, इसलिए फीडबैक में अच्छा नहीं मिला।
कुल अंक मिले अंक
1400 429