Gorakhpur: बदलते मौसम में नए तरह के बुखार से परेशान हैं लोग, डॉक्टरों के अनुसार नए वायरस का हो सकता है प्रकोप
सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में रोज 10 से 15 प्रतिशत शरीर पर चकत्ते वाले रोगी पहुंच रहे हैं। इनमें पांच प्रतिशत रोगियों को भर्ती करना पड़ रहा है। वहीं जांच में ज्यादातर रोगी इन्फ्लूएंजा के शिकार पाए गए हैं।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। इस बदलते मौसम में एक नए तरह का बुखार लोगों को परेशान कर रहा है। बुखार के साथ शरीर पर लाल दानें या चकत्ते भी निकल रहे हैं। डॉक्टर इसे वायरल फीवर ही मान रहे हैं। वायरल फीवर एक सप्ताह में ठीक हो जाता है, लेकिन यह बुखार 15 से 21 दिन में ठीक हो रहा है। डॉक्टरों ने भर्ती रोगियों के नमूने लेकर डेंगू, चिकनगुनिया, इंफ्लूएंजा, स्वाइन फ्लू, मलेरिया, कोविड, टाइफायड, स्कार्लेट फीवर की जांच कराई। डॉक्टरों के अनुसार रूबेला व जीका वायरस के लक्षण न होने से उनकी जांच नहीं कराई गई है। सबसे ज्यादा रोगियों में इन्फ्लूएंजा मिला है।
कुछ रोगियों में टाइफायड व मलेरिया की भी पुष्टि हुई है, लेकिन ये बीमारियां अधिकतम एक सप्ताह में ठीक हो जाती हैं। इसलिए डॉक्टरों का मानना है कि किसी नए वायरस का प्रकोप हो सकता है। फिलहाल अभी स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) को इसकी जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए पत्र नहीं लिखा है, ताकि पता चल सके कि यह बुखार यहां किसी वायरस के बदले स्वरूप की वजह से हो रहा है या कोई नया वायरस लोगों को परेशान कर रहा है।
रोज अस्पताल में पहुंच रहे हैं चकत्ते के साथ बुखार के मरीज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन ओपीडी में रोज लगभग 15 प्रतिशत व जिला अस्पताल के ओपीडी में 10 प्रतिशत चकत्ते के साथ बुखार से पीड़ित पहुंच रहे हैं। डॉक्टर वायरल फीवर की दवा कर रहे हैं। जिला अस्पताल ने कोविड व टाइफायड की जांच कराई है। मेडिकल कॉलेज ने प्रचलित बुखार से संबंधित सभी बीमारियों की जांच करा ली है। कोविड, चिकनगुनिया, स्कार्लेट फीवर व स्वाइन फ्लू की पुष्टि किसी रोगी में नहीं हुई है और न ही इस बुखार से अभी तक किसी मृत्यु हुई है, लेकिन यह रोग तेजी से फैल रहा है। बच्चे, किशोर, युवा व बजुर्ग हर आयु वर्ग के लोग इसके शिकार हो रहे हैं।
आरएमआरसी में सुविधा उपलब्ध, फिर नहीं कराई जीनोम सिक्वेंसिंग
यह बिल्कुल नए तरह का बुखार है। लगभग 20-25 दिन पहले रोज एक-दो रोगी आ रहे थे, अब इनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। आरएमआरसी में वायरस-बैक्टीरिया की जांच व उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा है। पहले इसके लिए नमूने दिल्ली या पुणे भेजने पड़ते थे। यह सुविधा मिलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग जांच नहीं करा रहा है और बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
- बीआरडी मेडिकल कॉलेज फिजिशियन डॉ. राजकिशोर सिंह ने बताया कि चकत्ते वाले बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ी है। अभी वायरल फीवर का ही उपचार किया जा रहा है। ओपीडी में लगभग 15 प्रतिशत रोगी आ रहे हैं, इनमें से पांच प्रतिशत गंभीर होकर पहुंच रहे हैं। उन्हें भर्ती कर उपचार किया जा रहा है।
- जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. बीके सुमन ने बताया कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 10 प्रतिशत रोगी ऐसे आ रहे हैं जिन्हें बुखार के साथ शरीर पर लाल दानें या चकत्ते हैं। उन्हें बुखार की दवा देने के बाद चर्म रोग विशेषज्ञ से भी दिखाया जा रहा है। ऐसे रोगियों को ठीक होने में समय लग रहा है।
- आरएमआरसी वायरोलाजिस्ट डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस नए तरह के बुखार के बारे में स्वास्थ्य विभाग ने कोई सूचना नहीं दी है। शरीर पर फफोले पड़ने की सूचना आई थी तो बेलघाट, खोराबार समेत अनेक जगहों पर जाकर हमारी टीम ने जांच की और चिकन पाक्स की पुष्टि हुई है।
- सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि मेरी बात रोज जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल के प्रमुख अधीक्षकों से होती है, लेकिन किसी ने नए तरह के बुखार के फैलने की जानकारी नहीं दी। इस बुखार की भी आरएमआरसी में जांच कराई जाएगी और रोकथाम के लिए कदम उठाए जाएंगे।