राष्ट्रीय फलक पर चमका गोरखपुर का नाम, जानिए- आकांक्षा-अंजलि ने ऐसा क्या किया काम
इंस्पायर फेलोशिप की सूची में जगह पाने वाली गोरखपुर की आकांक्षा सिंह ने बैगन में पाई जाने वाली बीमारियों पर शोध किया है। आकांक्षा के इस शोध से फाइटोप्लाजमा से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जारी डीएसटी इंस्पायर फेलोशिप की सूची में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की दो छात्राओं का नाम चमका है। फेलोशिप के चयनित छात्राओं में वनस्पति विज्ञान विभाग की छात्रा आकांक्षा सिंह और गणित विभाग की अंजलि पांडेय शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की माने से प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में एक गोरखपुर विश्वविद्यालय ही है, जिसकी छात्राओं को सूची में शामिल होने का अवसर मिल सका है। कुलपति प्रो. राजेश ङ्क्षसह ने दोनों मेधावी छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
बैगन की बीमारियों पर है आकांक्षा का शोध
इंस्पायर फेलोशिप की सूची में जगह पाने वाली आकांक्षा सिंह ने बैगन में पाई जाने वाली बीमारियों पर शोध किया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से उगाई जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से एक बैगन की पैदावार को फाइटोप्लाजमा नामक सूक्ष्मजीव से होने वाली लिटिल लीफ बीमारी काफी नुकसान पहुंचाती है। वर्तमान समय में इस बीमारी के निराकरण का उचित साधन उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान होता है। इस समस्या के समाधान के लिए आकांक्षा ने शोध शुरू किया। शोध का उद्देश्य यह पता लगाना है कि सूक्ष्म जीव फाइटोप्लाजमा की कौन सी प्रजाति बैगन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। फाइटोप्लाजमा के संक्रमण के बाद पौधों की फिजियोलॉजी ,बायो केमिकल स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह भी खोज करनी है कि कौन से खरपतवार कीट संग्रहण करते हैं और बीमारी को फैलने में मदद करते हैं। इस शोध से फाइटोप्लाजमा से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।
तारों के आंतरिक भौतिक परिवर्तन पर शोध कर रही अंजलि
गणित विभाग की अंजलि पांडेय का शोध विषय 'आस्पेक्ट आफ ग्रेविटेशनल कॉलेप्स एंड द स्पेस टाइम सिंगुलेरिटी' है। इस शोध का प्रयास गुरुत्व निपात से संबंधित पहलुओं का अध्ययन करना और उनसे जुड़ी अनसुलझी समस्याओं का समाधान ढूंढना है। ग्रेविटेशनल कोलेएप्स स्वयं में अंतरिक्ष की संरचना का जिम्मेदार माने जाने वाला मूलभूत तंत्र है। अंतरिक्ष में मौजूद तारे और उनमें समय के साथ होने वाले परिवर्तन आज भी विज्ञान जगत के लिए अबूझ पहेली हैं। इस शोध के माध्यम से किसी तारे के आंतरिक भौतिक परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाएगा।