गोरखपुर के विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जताया एतराज, जानें-क्या है मामला Gorakhpur News
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में नगर विधायक ने कहा कि गोरखपुर महानगर में इस समय एक ज्वलंत प्रकरण बहुत अधिक विवाद और चर्चा का विषय बन रहा है। इस विषय से आपको अवगत कराना दायित्व हैै।
गोरखपुर, जेएनएन। नगर विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बदलने पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि पार्क का नाम बदलना ठीक नहीं होगा। उन्होंने नगर निगम भवन का भी नाम विन्ध्यवासिनी वर्मा के नाम पर रखने की मांग की है।
विधायक ने ऐसे लिखा पत्र
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में नगर विधायक ने कहा कि गोरखपुर महानगर में इस समय एक ज्वलंत प्रकरण बहुत अधिक विवाद और चर्चा का विषय बन रहा है।गोरखपुर के नगर विधायक के रूप में इस विषय से आपको अवगत कराना हमारा दायित्व है। मोहद्दीपुर चौराहे पर स्थित राजकीय उद्यान के परिसर में स्थित पार्क का नाम "विन्द्यवासिनी पार्क" से बदल कर "स्व हनुमान प्रसाद पोद्दार पार्क" की जाने की कार्यवाही चल रही है। जब से यह विषय चर्चा में आया है ,महानगर के नागरिकों के मन में इस प्रकरण को लेकर दुःख,असंतोष तथा आक्रोश व्याप्त हो रहा है। गोरखपुर प्रशासन की ओर से अज्ञानता में सम्भवतः कोई ऐसा पत्र शासन में भेजा गया है कि राजकीय उद्यान का नाम उद्यान विभाग के अभिलेखों में "व्ही पार्क" दर्ज है, इसलिए एक आक्रान्ता का नाम बदल कर स्व हनुमान प्रसाद पोद्दार जैसे महानतम व्यक्तित्व के नाम पर करना उचित होगा। उन्होंने कहा कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और गीता प्रेस जैसी महान अंतरराष्ट्रीय व्यापकता वाली संस्था के माध्यम से हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उन्होंने देश में सबसे बडी भूमिका का निर्वहन किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनके नाम को सम्मानित करके सम्पूर्ण मानवता अपने-आप को सम्मानित करेगी। लेकिन भाई जी जैसे व्यक्ति को ,जिन्होंने किसी समय तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा उन्हें भारत-रत्न दिये जाने तक के प्रस्ताव में अरुचि-प्रदर्शन कर दिया था , एक पार्क के नाम पर अनजाने में विवादों में ला देना कहीं से उचित नहीं प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा कि सारा विवाद इसलिए पैदा हुआ कि 1982 में स्थापित राजकीय उद्यान विभाग के अभिलेखों में सम्भवतः यह दर्ज नहीं था कि उक्त पार्क का नाम व्ही-पार्क से बदल कर पहले ही "विन्द्यवासिनी पार्क" किया जा चुका है और यंहा तक की पार्क के गेट पर "विन्द्यवासिनी पार्क" का नाम अंकित भी है । लोक-मत और जन-संवाद में यह "विन्द्यवासिनी पार्क" के रूप में ही जाना जाता है। आज स्व विन्द्यवासिनी वर्मा जी के पौत्र श्री प्रदीप रंजन वर्मा तथा प्रपौत्र एडवोकेट अमित विक्रमा वर्मा ने आज मुझसे मिलकर स्व विन्द्यवासिनी वर्मा के सम्पूर्ण योगदान का विस्तृत विवरण हमें अधिकृत रूप से सौपा है।
ऐसे थे विन्ध्यवासिनी वर्मा
विधायक ने विवरण देत हुए कहा कि स्व. विन्द्यवासिनी वर्मा एक समर्पित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,जिन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं जवाहर लाल नेहरू तथा पुरुषोत्तमदास टंडन के निकटम सहयोगी के रूप में काम किया। गोरखपुर में होमलीग रूल की स्थापना तथा असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया था। अंग्रेजी शासकों ने उन्हें जेल की सींखचों में बंद किया और अर्थदंड भी लगाया। इसी चक्कर में उनकी अलहलादपुर स्थित उनकी कोठी भी बिक गई। वे विधायक भी रहे और लंबे समय तक गोरखपुर म्युनिसिपल बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। नगरपालिका गोरखपुर का वर्तमान कार्यालय भी उन्ही के कार्यकाल में प्रारम्भ हुआ। शासन द्वारा प्रकाशित गोरखपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में भी स्व. विन्ध्यवासिनी वर्मा का नाम है तथा सूचनाओं के अनुसार इस मैदान के प्रांगण में स्थित टीले पर स्व. विन्ध्यवासिनी वर्मा के निजी मेज पर चढकर महात्मा गांधी का भाषण हुआ था। इससे स्पष्ट है कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार तथा स्व. विन्ध्यवासिनी वर्मा दोनों का ही देश की आजादी और विशेष रूप से गोरखपुर के नागरिकों के लिये विशेष स्थान है और दोनों में से किसी को भी अपमानित नहीं किया जा सकता है।
नाम परिवर्तन में सहमति न देने का अनुरोध
चूंकि शासकीय स्तर पर इस नाम-परिवर्तन के संदर्भ में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है,सिर्फ स्थानीय प्रशासन की पत्रावली शासन को अग्रसरित की गई है। कृपया उपरोक्त तथ्यों के संज्ञान में लें और नाम-परिवर्तन को अपनी सहमति प्रदान न करें।
नगर निगम भवन का नाम विन्ध्यवासिनी वर्मा रखने की मांग
स्व. विन्ध्यवासिनी वर्मा के सिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के बावजूद उन्हें ऐसे सेनानियों को मिलने वाले किसी प्रकार के लाभ नहीं दिए गए। अतः भारत सरकार को इस अन्याय को दूर करने के लिए लिखा जाये। साथ ही नगर निगम भवन का नामकरण "स्व विन्द्यवासिनी वर्मा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन"के रूप में किया जाये।