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गोरखपुर मेडिकल कालेज में गार्डों की खुलेआम गुंडई, परिजनों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा

बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज के निजी सुरक्षा गार्डों ने एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा। गार्डों ने महिलाओं को भी पीटा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 10:12 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 10:43 AM (IST)
गोरखपुर मेडिकल कालेज में गार्डों की खुलेआम गुंडई, परिजनों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा

गोरखपुर, जेएनएन। बीआरडी मेडिकल कालेज के गार्डों ने मानवीय पहलू को तार-तार कर दिया। महिला की मौत से दुखी परिवार को सांत्वना देना तो दूर, इमरजेंसी के बाहर खड़े उनके वाहन की हवा निकल दी और विरोध करने पर डंडे लेकर गुंडों की तरह टूट पड़े। उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। महिलाएं हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगती रही, बच्‍चे रोते रहे, लेकिन गार्डों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। गाली-गलौज के साथ जद में आए अन्य मरीज के तीमारदार को भी नहीं बख्शा। काफी देर तक उनका आतंक बना रहा, जिससे दहशत बनी रही। गार्डों का यह रूप देखकर इलाज के लिए आए अन्य मरीज और उनके तीमारदार भी सहम गए।

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बेलीपार के कनइल निवासी सतीश शुक्ला की 40 वर्षीय पत्नी अंशु शुक्ला सोमवार को दिन में करीब 11 बजे मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में भर्ती हुईं। करीब छह महीने से बीमार अंशु को तीन दिन तक इलाज के बाद जिला अस्पताल से रेफर किया गया था। दोपहर बाद करीब चार बजे स्थिति गंभीर होने पर डाक्टरों ने उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया था।

परिजन मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर ला रहे थे कि हालत बिगडऩे से उसकी मौत हो गई। ट्रामा सेंटर में ड्यूटी कर रहे ईएमओ ने जांच के बाद मौत की पुष्टि कर दी, लेकिन परिजनों को संतुष्टि नहीं हुई। वह मरीज को मेडिसिन इमरजेंसी लेकर पहुंचे। यहां भी डाक्टरों ने मौत की पुष्टि की। इसके बाद परिजन आक्रोशित हो गए। उनका आरोप था कि बार-बार आक्सीजन लगाने की बात कहने पर भी डाक्टरों ने ऐसा नहीं किया।

परिजन अपनी बात कहकर शव को लेकर बाहर निकलने लगे, लेकिन गार्डों की हरकत ने माहौल खराब कर दिया। इमरजेंसी के बाहर खड़ी उनकी स्कार्पियो से गार्ड हवा निकाल रहे थे। मरीज की मौत से दुखी परिजनों ने इसका विरोध किया तो मारपीट शुरू हो गई। सूचना मिलने पर अन्य गार्ड इकट्ठा हो गए और परिजनों पर टूट पड़े। मां की मौत से दुखी बेटा गौरव रो रहा था, मृतका की बहन भी गार्डों के सामने हाथ जोड़कर रहम की गुहार लगाती रही, लेकिन गार्डों के सिर पर हैवानियत सवार थी। परिजनों को डंडा लेकर गेट तक दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।

गार्डों ने इसी बीच वहां से गुजर रहे एक अन्य मरीज प्रियंका के तीमारदार मुन्ना राव को भी नहीं बख्शा और जमकर डंडे बरसाए। उनके दाएं कंधे पर चोट लगी। गार्डों की गुंडई देख किसी ने मेडिकल कालेज चौकी को सूचना दी और तब चौकी इंचार्ज मौके पर पहुंचे और उन्होंने समझाकर मामला शांत कराया। घटना के बाद गार्डों की तरफ से तहरीर दे दी गई है। मृतका के परिजनों ने बाद में तहरीर देने की बात कही।

प्रधानाचार्य ने आरोपों को नकारा

मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है। इलाज में लापरवाही की बात निराधार है। जहां तक विवाद की बात है कि तो गार्ड ने ट्रामा सेंटर के सामने से गाड़ी हटवाने के लिए कहा जो तीमारदारों को नागवार लगी। मामले की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, कड़ी कार्रवाई होगी।

बेहोशी की अधिक डोज ने ली मासूम की जान

बीआरडी मेडिकल कालेज में एक मासूम की मौत की वजह बेहोशी की डोज बन गईं। एमआरआइ से पहले नर्स से उसे बेहोशी की दवा दी थी और उसके बाद वह नहीं उठा। आरोप है कि दवा की अधिक डोज मासूम की मौत की वजह बनी। अचानक ठीक-ठाक हालत में ब'चे की मौत से परिजन आक्रोशित हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस ने मामला शांत कराया।

जिले के कैंपियरगंज के चौमुखा निवासी गणेश ने अपने छह महीने के बच्‍चे को गंभीर स्थिति में बीते 15 अप्रैल को बाल रोग वार्ड में भर्ती कराया था। 18 अप्रैल को डाक्टरों ने एमआरआइ की सलाह दी।  जांच के लिए रेडियोलॉजी विभाग ने 22 अप्रैल का समय दिया था। सोमवार को दोपहर करीब एक बजे गणेश को लेकर एमआरआइ के लिए पहुंचे। यहां टेक्नीशियन ने कहा बच्‍चे को बेहोशी दवा लगवा कर लाएं तभी एमआरआइ होगी। गणेश बच्‍चे को लेकर वार्ड में लौट आए और डाक्टर को बताया। डाक्टर ने नर्स को बेहोशी की दवा देने को कहा। आरोप है कि नर्स ने दवा की अधिक डोज दे दी। इसके बाद बेहोश ब'चे को गणेश लेकर एमआरआइ करवाने चले गए। जांच करवाने के बाद करीब दो बजे बच्‍चे को लेकर वार्ड में पहुंचे। डाक्टर से पूछा बच्‍चे को होश कब आएगा। डाक्टर ने आधा घंटे बाद होश आने की बात कही। लेकिन जब दो घंटे बाद बच्‍चे को होश नहीं आया तो डाक्टर ने वार्ड संख्या बारह में ले जाने को कहा।
गणेश के अनुसार वहां मौजूद डाक्टर ने जांच करने के बाद बताया कि बच्‍चा अब इस दुनिया में नहीं रहा। बच्‍चे को झटका आ रहा था, इसी वजह से मौत हुई। अचानक बच्‍चे की मौत की बात सुनकर गणेश के होश उड़ गए। उन्होंने सौ नंबर पर पुलिस को फोन किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए कहा। गणेश के मुताबिक डाक्टरों ने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद शव काफी समय बाद मिलेगा। इसके बाद उन्होंने शव को बिना पोस्टमार्टम ले जाने का निर्णय लिया। बच्‍चे के पिता ने बताया कि वह निजी स्कूल में शिक्षक हैं। बाद में डीएम से इसकी शिकायत करेंगे।

जांच कमेटी गठित

मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार ने कहा कि बच्‍चे की स्थिति गंभीर होगी तभी एमआरआइ की जरूरत पड़ी होगी। जहां तक बच्‍चे को बेहोशी की दवा का अधिक डोज देने का सवाल है तो यह जांच का विषय है। बाल रोग विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी गठित करा कर मामले की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा कड़ी कार्रवाई होगी।

मोर्चरी में शव रखने के लिए वसूल लिए चार सौ रुपये

बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर स्थित मोर्चरी में शव रखवाने के लिए कर्मचारी ने परिजन से चार सौ रुपये वसूल लिए। परिजन ने इसकी लिखित शिकायत प्रधानाचार्य से की है। पत्र में शिकायतकर्ता अतुल शर्मा ने आरोप लगाया है उन्होंने अपने मरीज कुशीनगर निवासी रामरूप को जली हुई हालत में ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया, जहां बीती रात उनकी मौत हो गई। शव को मोर्चरी में रखने के नाम पर संबंधित कर्मचारी ने चार सौ रुपये ले लिए। प्राचार्य से इस मामले में कार्रवाई की मांग की गई है। इस बारे में बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है। कर्मचारी का यह कृत्य अक्षम्य है। नेहरू अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को जांच सौंपी गई है। जो भी दोषी पाया जाएगा, कड़ी कार्रवाई होगी।


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