गोरखनाथ मंदिर सिर्फ आस्था का ही नहीं, जल संरक्षण में भी अनूठा Gorakhpur News
पहली प्रणाली में 10-10 फीट लंबा-गहरा और नौ फीट चौड़ा गड्ढा बनाया गया है। महीन बालू मौरंग ईंट और पत्थर के टुकड़ों के बीच 20 फीट गहरी बोरिंग के जरिए बारिश का पानी सीधे भूगर्भ जल में पहुंच रहा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखनाथ मंदिर सिर्फ भक्तों की आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि जल संरक्षण के लिए भी जागरूक है। परिसर में दो रेन वाटर हार्वेसिग प्रणाली पूरे परिसर का जल भूगर्भ जल तक पहुंचा देती है। एक प्रणाली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहने के दौरान बनवाई थी। दूसरी अभी आठ माह पहले बनाई गई है।
पहली प्रणाली में 10-10 फीट लंबा-गहरा और नौ फीट चौड़ा गड्ढा बनाया गया है। महीन बालू, मौरंग, ईंट और पत्थर के टुकड़ों के बीच 20 फीट गहरी बोङ्क्षरग के जरिए बारिश का पानी सीधे भूगर्भ जल में पहुंच रहा रहा है। मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल संरक्षण के प्रति शुरू से ही जागरूक रहे हैं। अभी आठ माह पहले इस प्रणाली के खराब हो चुके पाइप व अन्य सामान बदलकर उसे ठीक कराया गया है। साथ ही एक दूसरी रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली भी विकिसत की गई है। इसके टैंक की लंबाई 4.3 मीटर व चौड़ाई 2.3 मीटर है। उसे तीन मीटर गहरा बनाया गया है। 298 फीट गहरी बोरिंग कराई गई है उसका डाया छह इंच का है।
ताकि भूगर्भ जल तक जाए साफ पानी
टैंक के पहले एक चैंबर बनाया गया है जिसमें पानी पहले एकत्रित होता है। चैंबर व टैंक के बीच में प्लास्टिक की एक मजबूत जाली लगी है। उससे साफ होकर पानी टैंक में पहुंचता है और वहां से सीधे भूगर्भ जल तक चला जाता है। टैंक के पानी की संग्रह क्षमता लगभग 10 हजार लीटर है। राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर डीबी सिंह का कहना है कि अभी आठ माह पहले गोरखनाथ मंदिर की पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली को दुरुस्त कराया गया है। खराब पाइप आदि बदल दिए गए हैं। साथ ही एक नई प्रणाली भी विकसित की गई है। अब मंदिर परिसर में गिरने वाला ज्यादातर वर्षा जल आसानी से भूगर्भ जल तक पहुंच जाएगा।