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नाथ पंथ दर्शन पर तीन भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करेगा गोरक्षनाथ शोधपीठ

महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ शोध पीठ नाथ पंथ के दर्शन और व्याप्ति पर केंद्रित हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में ग्‍यारह पुस्तकों का प्रकाशन करने जा रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 03:11 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 03:11 PM (IST)
नाथ पंथ दर्शन पर तीन भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करेगा गोरक्षनाथ शोधपीठ
नाथ पंथ दर्शन पर तीन भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करेगा गोरक्षनाथ शोधपीठ

गोरखपुर, (जेएनएन)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ शोध पीठ नाथ पंथ के दर्शन और व्याप्ति पर केंद्रित 11 पुस्तकों का प्रकाशन करने जा रहा है। नाथ पंथ के महात्म्य से परिचय करातीं यह पुस्तकें हर वर्ग के लिए उपयोगी हो, इसके लिए यह हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में उपलब्ध होंगी। शोध पीठ ने  सभी 11 पुस्तकें अगले तीन माह के भीतर प्रकाशित करने का लक्ष्य रखा है।

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कुलपति आवास पर हुई शोध पीठ के नवसृजित अधिशासी समिति की बैठक में पीठ की भावी कार्ययोजनाओं पर चर्चा हुई। 11 पुस्तकों के प्रकाशन का निर्णय लेने हुए समिति ने तय किया कि इनके विषय नाथ पंथ का दर्शन, गुरु गोरक्षनाथ का संत कबीर, नानक एवं रैदास पर प्रभाव, लोक साहित्य में नाथ पंथ, विश्व में नाथ पंथ का वर्तमान परिदृश्य आदि होंगे।

इसके अलावा शोध पीठ की ओर से मार्च, 2019 में 'नाथपंथ : उद्भव एवं विकास' विषय पर संगोष्ठी आयोजित कराने का निर्णय हुआ। यही नहीं शोध पीठ देश भर से नाथपंथ के विद्वानों की सूची नाथपंथ की ग्रन्थानुक्रमणिका भी तैयार कराएगी। कुलपति प्रो. वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पीठ के विशेष कार्याधिकारी प्रो. रविशंकर सिंह के अलावा प्रो. सदानंद प्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उप्र हिंदी संस्थान, प्रो. संतोष शुक्ला, संस्कृत विभाग, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली; प्रो. सुमन जैन, प्राचीन इतिहास विभाग, बीएचयू, डॉ. प्रदीप राव, प्राचार्य, एमपीपीजी कॉलेज, प्रो. सीपी श्रीवास्तव, अधिष्ठाता कला संकाय गोविवि, एवं प्रो.हरिशरण, अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय मौजूद रहे।

यह निर्णय भी हुए

- शोधपीठ की वेबसाइट तैयार की  जाएगी। कोई भी व्यक्ति इसकी सदस्यता ले सकता है।

- शोध पीठ की साधारण समिति गठित हुई। इस समिति में नाथपंथ पर अनवरत अध्यवसायी विद्वान, नाथपीठ के महंत अनुशीलक, अधिशासी समिति के सभी सदस्यगण, शोधपीठ से संबंधित विषय के विभागाध्यक्षगण शामिल होंगे।

- पीठ छमाही पत्रिका 'नाथ-प्रज्ञा' का प्रकाशन करेगी। पहली पत्रिका चैत्र प्रतिपदा पर तथा दूसरी विजयदशमी के अवसर पर लोकार्पित होगी।


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