जर्मनी की पॉप ¨सगर मारा को भायी बुद्ध की साधना पद्धति, अब करेंगी प्रचार-प्रसार
अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर में आई जर्मन पॉप सिंगर भगवान बुद्ध की साधना पद्धति से इतनी प्रभावित हुई कि अब वह इसका प्रचार भी करेंगी।
गोरखपुर, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षक का केंद्र है। यहां जो भी आता है, वह भगवान बुद्ध का होकर ही रह जाता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि वह यहां की साधना पद्धति, लोगों का व्यवहार, पर्यटक स्थल आदि से काफी प्रभावित हैं। वैसे भी विश्व के ज्यादातर देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायी है। इसी कारण कुशीनगर में बौद्ध पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। पर्यटकों को यहां पर असीम शांति मिलती है। इसी तरह शांति के लिए जर्मनी से यहां आई जाने-मानी पाप ¨सगर मारा वान फर्ने को भगवान बुद्ध की साधना पद्धति भा गई है। वह तथागत की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर विपश्यना शिविर में 10 दिन तक साधना करने के बाद अपने वतन लौट गईं। मारा अपने पिता अल्फ्रेड हेरमानु के साथ यहां आई थीं। शिविर के बाद अपना अनुभव साझा करते हुए मारा ने कहा कि शुरू में कुछ कठिनाई महसूस हुई, लेकिन ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, त्यों-त्यों शांति और प्रसन्नता की अनुभूति होने लगी। सचमुच में इसका शब्दों में बयान करना मुश्किल है। यहां पर मन को असीम शांति मिलती है। उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र ने विपश्यना करने की सलाह दी थी। उसकी सलाह पर ही आई थीं। यहां से विपश्यना करने के बाद मित्र की बात सच हो गई। मारा ने कहा कि उन्हें बुद्धकालीन इस साधना पद्धति से काफी लाभ मिला है। भविष्य में यहां आकर पुन: विपश्यना करूंगी। जर्मनी में इसका प्रचार-प्रसार भी करूंगी, ताकि जर्मन लोग इसका लाभ उठा सकें। शांति के लिए इससे बड़ा दूसरा अन्य कोई उपाय नहीं है।