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इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की क्षमता बढ़ा देगा गैलियम ट्रांजिस्टर, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में नवोन्मेष

इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी फुल चार्ज होने के बाद अब 25 से 50 प्रतिशत अधिक चलेगी। 5 जी नेटवर्क से अपेक्षाकृत उच्च गति डेटा ट्रांसफर और बेहतर नेटवर्क का परिणाम भी प्राप्त हो सकेगा। यह संभव होगा गैलियम ऑक्साइड मोस्फेट ट्रांजिस्टर से जिसका डिजाइन तैयार करने में मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधार्थी डाॅ. नरेंद्र यादव को सफलता मिली है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 29 Apr 2024 07:43 PM (IST)
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इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की क्षमता बढ़ा देगा गैलियम ट्रांजिस्टर।
डाॅ. राकेश राय, गोरखपुर। इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी फुल चार्ज होने के बाद अब 25 से 50 प्रतिशत अधिक चलेगी। 5जी नेटवर्क से अपेक्षाकृत उच्च गति, डेटा ट्रांसफर और बेहतर नेटवर्क का परिणाम भी प्राप्त हो सकेगा। यह संभव होगा गैलियम ऑक्साइड मोस्फेट ट्रांजिस्टर से, जिसका डिजाइन तैयार करने में मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधार्थी डाॅ. नरेंद्र यादव को सफलता मिली है। 

दुनिया के चार प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल ने इस शोध से जुड़े शोध पत्रों को प्रकाशित कर डॉ. नरेंद्र की सफलता पर तो मुहर लगाई ही है। पेटेंट प्रमाणपत्र जारी कर भारत सरकार ने इस शोध को अधिकारिक मान्यता भी दे दी है।  

डॉ. नरेंद्र ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में वर्तमान समय में सिलिकॉन ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता है लेकिन इस ट्रांजिस्टर का प्रयोग ऊंचे तापमान या उच्च वोल्टेज वाले इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में नहीं किया जा सकता। इसलिए कि उच्च तापमान वाले उपकरणों में सिलिकॉन ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करने पर सिलिकॉन के स्वरूप में परिवर्तन हो जाता है। साथ ही लीकेज करंट में वृद्धि होने के कारण बिजली की हानि भी बढ़ सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए ट्रांजिस्टर निर्माण में गैलियम ऑक्साइड तकनीक के इस्तेमाल की जरूरत पड़ी, जो ऊंचे तापमान, हाईपावर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और रेडियो-फ्रीक्वेंसी एंपलीफायर में इस्तेमाल किया जा सके।

ऐसे काम करता है गैलियम ट्रांजिस्टर

डॉ. नरेंद्र ने बताया कि गैलियम ट्रांजिस्टर चार टर्मिनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसमें ग्रेफीन की परत लगाई जाएगी। इससे ताप नियंत्रित हो जाता है और डिवाइस की कार्य क्षमता बढ़ जाती है। ऊर्जा का ह्रास भी पांच प्रतिशत कम होगा। इस ट्रांजिस्टर में पी-टाइप व हलो-डोप्ड रीजन का इस्तेमाल भी किया गया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का लीकेज नियंत्रित हो जाएगा। इससे ऊर्जा का नुकसान पांच प्रतिशत कम हो जाएगा। इसकी वजह से जिस बैटरी में इस ट्रांजिस्टर कर प्रयोग किया जाएगा, उसका जीवन-चक्र बढ़ जाएगा। ऐसे में जिस इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिक डिवाइस में गैलियम ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होगा, उसकी भी जीवन-चक्र बढ़ तो बढ़ता ही है, रफ्तार भी अपेक्षाकृत बढ़ जाएगी।

इन अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित है डॉ. नरेंद्र का शोध

  • सॉलिड स्टेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी का ईसीएस जर्नल
  • सेमीकंडक्टर स्प्रिंगर जर्नल
  • जर्नल आफ कम्प्यूटेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्प्रिंगर जर्नल
  • जर्नल आफ सेमीकंडक्टर्स, आईओपी साइंस जर्नल  

ट्रांजिस्टर क्षेत्र में क्रांति है यह शोध: प्रो. आरके चौहान

शोध निर्देशक और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के आचार्य प्रो. आरके चौहान इस शोध को ट्रांजिस्टर क्षेत्र में क्रांति बता रहे हैं। उनका कहना है कि आज जब लोग इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं, ऐसे में गैलियम ट्रांजिस्टर की डिजाइन एक इलेक्ट्रॉनिक क्रांति है। इसका सर्वाधिक फायदा इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल करने वाले लोगों को मिलेगा। गैलियम ट्रांजिस्टर के इस्तेमाल वाली बैटरी के प्रयोग के साथ तैयार की गई इलेक्ट्रिक कार अपेक्षाकृत ज्यादा रफ्तार से चलेगी। उसकी बैटरी भी जल्दी डिस्चार्ज नहीं होगी।

विश्वविद्यालय के शोध का कई अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित होना और उसे भारतीय पेटेंट प्राप्त होना उपलब्धि है। इससे विश्वविद्यालय के अन्य शोधार्थी भी गुणवत्ता और सामाजिक उपयोगिता वाले शोध के लिए प्रेरित होंगे। 

प्रो. जेपी सैनी, कुलपति, मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर।

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