राजकीय सम्मान के साथ शहीद पंकज का अंतिम संस्कार, चार वर्ष के पुत्र ने दी मुखाग्नि
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आंतकी हमले में शहीद पंकज त्रिपाठी को उनके चार वर्षीय बेटे प्रतीक त्रिपाठी ने मुखाग्नि दी।
गोरखपुर, जेएनएन। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आंतकी हमले में शहीद पंकज त्रिपाठी का पार्थिव शरीर महराजगंज जिले के फरेंदा क्षेत्र के ग्राम हरपुर के टोला बेलहिया स्थित घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। पत्नी, पिता, माता संग रिश्तेदारों के करुण क्रंदन से लोग कांप उठे। पिता, पुत्र संग परिजनों ने कंधा दिया तो शहीद पंकज अमर रहे के नारे गूंज उठे। त्रिमुहानी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। चार वर्ष के मासूम पुत्र प्रतीक ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी।
महराजगंज जिले के हरपुर गांव ने अपने किसी बेटे की इस तरह विदाई नहीं देखी थी। शनिवार की सुबह कोहरे की ओट में छिपा गांव इस गहरे घाव को सहने के लिए तैयार न था। जिस बेटे को बुढ़ापे में मां-बाप का सहारा बनना था, जिस पर पत्नी के अरमान व बेटे की हर जिद को पूरा करने की पहाड़ सी जिम्मेदारी थी। उसके एकाएक चले जाने से कितने सपने टूटे इसकी गिनती मुश्किल है। बेटे की शहादत ने इस गांव को महत्वपूर्ण बना दिया था। पंकज त्रिपाठी अमर रहें, जब तक सूरज चांद रहेगा पंकज तेरा नाम रहेगा के नारे से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। कोना- कोना इस वीर सपूत की शहादत को नमन कर रहा था। शनिवार की सुबह से ही लोग शव आने की प्रतिक्षा कर रहे थे। सैकड़ों की संख्या में लोग तो जिले की सीमा के पास खड़े हो अपने लाल का इंतजार कर रहे थे । सेना के वाहन पर तिरंगे से लिपटा शव पिता ओमप्रकाश त्रिपाठी के दरवाजे पर पहुंचा तो वहां का ²श्य देखकर ढांढस बंधाने पहुंचे लोग भी अपने को संभाल नहीं पाए। मां सुशीला देवी, पत्नी रोहिणी का तो संसार उजड़ गया था। उनके विलाप से गांव की हवा गमगीन हो उठी। लोग संभाल रहे थे, लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हो रहा था। तिरंगे से लिपटा बेटा इस रूप में आएगा इसकी कल्पना मां ने सपने में भी नहीं की थी। कभी रोती, कभी पति के ताबूत को एकटक निहारती पत्नी रोहिणी को मिली चोट की कल्पना तो सभी को थी, उन्हें ढांढस बंधाने के लिए शब्द कम पड़ गए। मंत्रियों, सांसद, विधायक सहित अन्य अधिकारियों की हूटर बजाती गाड़ियों व सहयोग का पु¨लदा देख शून्य की तरफ निहारती रोहिणी मानों कह रही थी, जिसने अग्नि को साक्षी मान सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया था , जब वह आठ साल में ही साथ छोड़ चला गया तो बाकी से क्या उम्मीद करूं।
करुण क्रंदन में डूब गया गांव
कभी आंखें ऐसा ²श्य भी देखतीं हैं, जो दिल को भारी पड़ती है। शनिवार को जब शहीद पंकज का शव गांव पहुंचा तो नजारा कुछ इसी तरह का था। बेटा प्रतीक पहले तो लोगों को देखकर चहकने लगा, लेकिन जब मां व दादी संग अन्य परिजन विलाप करने लगे तो वह भी ताबूत पकड़ पापा-पापा कह रो उठा। मां सुशीला देवी भी बेटे के जाने का गम बर्दाश्त नहीं कर पाईं, और शव के पास अचेत हो गईं । यही ²श्य चार साल के बेटे प्रतीक द्वारा अपने पिता पंकज त्रिपाठी को मुखाग्नि देते समय भी उभर कर सामने आया। लोग रूमाल निकाल एक दूसरे से चेहरा छिपाते हुए आंख पोछने लगे।
शहीद का पार्थिव शरीर सेना के वाहन से त्रिमुहानी घाट पर दोपहर करीब तीन बजे पहुंचा। जिलाधिकारी समेत प्रशासनिक अधिकारियों ने कंधा दिया और घाट के किनारे स्थित तख्त पर ताबूत रखा। ताबूत के बगल में शहीद का चित्र रखा गया, फिर बारी-बारी जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। एसएसबी के जवानों ने हवा में फाय¨रग कर शस्त्र सलामी दी। इसके बाद चिता पर शहीद का ताबूत रखा गया। दादा ओम प्रकाश त्रिपाठी के सहयोग से पोते प्रतीक ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री, सांसद पंकज चौधरी, विधानपरिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय, विधायक बजरंग बहादुर, ज्ञानेंद्र ¨सह, जयमंगल कन्नौजिया, आइजी रेंज गोरखपुर, सीआरपीएफ के डीआइजी आरबी ¨सह, जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, एसपी रोहित ¨सह सजवान, एसएसबी कमांडेंट, विभिन्न दलों के पदाधिकारियों संग हजारों लोग उपस्थित रहे।
परिजनों को 25 लाख व पत्नी को 0.386 हेक्टेअर भूमि देगी सरकार: प्रभारी मंत्री
महराजगंज जिले के प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ने त्रिमुहानी घाट पर शहीद पंकज कुमार त्रिपाठी के परिजनों को सरकारी सुविधाएं दिलाने का एलान किया। कहा कि परिजनों को 25 लाख रुपये, परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी, शहीद पंकज की पत्नी रोहिणी के नाम 0.386 हेक्टेयर कृषियोग्य भूमि आवंटित की जाएगी। शहीद पंकज स्मृति- द्वार, स्मारक स्थली, मुख्य सड़क से घर तक पक्की सड़क व पथ प्रकाश की व्यवस्था होगी। पंकज के नाम से गांव का प्राथमिक विद्यालय जाना जाएगा।