यहां जेल के बैरक में गूंज रही मासूमों की किलकारी
देवरिया जिला जेल की महिला बैरक में अपनी मां के साथ आए मासूमों की किलकारी व धमाचौकड़ी गूंज रही है। लेकिन ये मासूम बैरक के बाहर आने के लिए कई बार परेशान भी हो जाते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन: देवरिया जिला जेल की महिला बैरक में अपनी मां के साथ आए मासूमों की किलकारी व धमाचौकड़ी गूंज रही है। लेकिन ये मासूम बैरक के बाहर आने के लिए कई बार परेशान भी हो जाते हैं। जेल की बंदिशों के चलते बाहर नहीं आ सकते। उसी घेरे में इनका बचपन बीत रहा है। जेल प्रशासन ने इन मासूमों के लिए खिलौने आदि का इंतजाम किया है। जिला कारागार में देवरिया व कुशीनगर के लगभग 1400 बंदी हैं।
इन बंदियों के बीच आठ मासूम बिना किसी गुनाह के बंदी जीवन जी रहे हैं। यह वह मासूम हैं, जिनके परिवार में दहेज हत्या समेत अन्य अपराध की घटनाएं हुई हैं। यह मासूम अपनी बंदी मां अथवा दादी के साथ रह रहे हैं। इनको भोजन, दूध, दवा व कपड़ा आदि जेल प्रशासन उपलब्ध कराता है। इन मासूमों की उम्र एक से लेकर पांच वर्ष के बीच है। बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर कोरोना काल में महिला बैरक की तरफ किसी को जाने की इजाजत नहीं है।
जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी का कहना है कि जेल में देवरिया जनपद के चार व कुशीनगर जनपद के चार मासूम हैं। उनकी जेल प्रशासन हर तरह से देखभाल करता है। जेल प्रशासन का ऐसा प्रयास रहता है कि बच्चों को कोई दिक्कत न हो। क्योंकि बच्चे देश के भविष्य हैं।
इन बच्चों को मां-बाप की गलती का खामियाजा न भुगतना पड़े। शासन की भी प्राथमिकता बच्चों की देखभाल का है। इसलिए बच्चों के लिए जेल में बेहतर व्यवस्था की जा रही है। इसका बच्चों के स्वास्थ्य एवं मानसिक विकास पर असर पड़ेगा।