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शिक्षा विभाग में खेल- एक अधिकारी ने दी मान्यता, दूसरे ने खोल दी पोल Gorakhpur News

गोरखपुर के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कारण कई ऐसे स्कूलों को मान्यता मिल गई है जो कहीं से भी मान्यता की श्रेणी में नहीं आ सकते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 06:39 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 11:15 AM (IST)
शिक्षा विभाग में खेल- एक अधिकारी ने दी मान्यता, दूसरे ने खोल दी पोल Gorakhpur News
शिक्षा विभाग में खेल- एक अधिकारी ने दी मान्यता, दूसरे ने खोल दी पोल Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग में मान्यता को लेकर होने वाले खेल का सच उजागर हुआ है। भटहट क्षेत्र में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट पर एक विद्यालय को एक जुलाई 2018 से नर्सरी से कक्षा आठ तक अंग्रेजी माध्यम की मान्यता प्रदान कर दी गई लेकिन इधर जब अमान्य विद्यालयों की जांच शुरू हुई तो भेद खुल गया। वर्तमान खंड शिक्षा अधिकारी ने जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक पहले जो मान्यता दी गई थी वह गलत रिपोर्ट के आधार पर थी।
मामला जांच के लिए अब बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह के पास है। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है। जांच कराकर मान्यता समाप्त की जाएगी। 10 कमरों का पक्का भवन दिखाकर दी गई थी मान्यता तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी ने वंडरलैंड एकेडमी गुलरिहा बाजार के लिए रिपेार्ट दी थी कि विद्यालय का परिसर 6000 वर्गफीट है और 2480 वर्गफीट में निर्माण हुआ है। 3520 वर्गफीट क्रीड़ा स्थल है। कक्षाओं के लिए 10 कमरे हैं। प्रधानाध्यापक कक्ष, कार्यालय कक्ष, भंडारण के लिए कक्ष उपलब्ध है।
बालक व बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। मिड डे मील के लिए रसोईघर है। पर, वर्तमान खंड शिक्षा अधिकारी रामाश्रय ने विद्यालय को मान्यता के मानक पर खरा नहीं पाया और स्कूल बंद करने की नोटिस दे दी। जांच में यह स्कूल मान्यता के लिए दिखाई गई जगह से काफी दूर सीमेंट शेड के छोटे-छोटे कमरों में संचालित होता पाया गया। जिस जमीन व भवन पर मान्यता ली गई, वह खंडहर नजर आता है। वहां जाने का रास्ता भी नहीं है।
मौके पर स्कूल किसी भी स्तर से मान्यता के लायक नहीं मिला है। उसको दिया गया मान्यता प्रमाण पत्र संदिग्ध है। नर्सरी से कक्षा आठ तक मान्यता के लिए क्या है जरूरी शिक्षण कार्य के लिए न्यूनतम 180 वर्गफीट के 10 पक्के कमरे - तीन अतिरिक्त पक्के कक्ष - विद्यालय जाने का सुगम रास्ता - शौचालय - पेयजल की व्यवस्था

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