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गोरखपुर में 65 लाख पौधे लगाएगा वन विभाग, शत प्रतिशत मिलेगी हरियाली

पर्यावरण संरक्षण को लेकर फिक्रमंद वन विभाग ने इस साल के लिए जो कार्ययोजना तैयार की है। वह स्वच्‍छ व स्वस्थ समाज की संकल्पना को पूरा करने के लिए उम्मीद जगाने वाली है। 79 नर्सरियों में 65 लाख पौधे तैयार हैं।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 03:34 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 03:34 PM (IST)
गोरखपुर वन विभाग के डीएफओ का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। वन विभाग मंडल की 79 नर्सरियों में तैयार 65 लाख पौधे इस साल न केवल पर्यावरण को सेहत की सौगात देंगे बल्कि हरियाली का मजबूत आधार भी बनेंगे। इतनी बड़ी तादाद में पहली बार अग्रिम पौधे तैयार करने का उद्देश्य शत प्रतिशत हरियाली लाना है। ताकि प्रतिस्थानी (शिफ्टिंग) के पौधों को लेकर कोई कठिनाई न आए।

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पर्यावरण संरक्षण को लेकर फिक्रमंद वन विभाग ने इस साल के लिए जो कार्ययोजना तैयार की है, वह स्वच्‍छ व स्वस्थ समाज की संकल्पना को पूरा करने के लिए उम्मीद जगाने वाली है। गोरखपुर मंडल को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1.17 करोड़ पौधे रोपे गए थे। विभाग का मानना है कि रोपण के बाद सिर्फ 60 फीसद ही पौधे जीवित रहते हैं। यह 40 फीसद भी हरियाली दूर ना हो इस लिए वन विभाग उन पौधों को चिन्हित कराने वाला है जो सूख गए हैं। ताकि उनके स्थान दूसरे पौधे रोपे जा सकें। गोरखपुर में 28, महराजगंज (आंशिक) में 11, देवरिया में 16 और कुशीनगर जिले में 24 नर्सरियों में पौधे तैयार किए गए हैं। इसमें सागौन, यूकेलिप्टस, बबूल, नीम, शीशम, कंजी, अर्जुन आदि के पौधे शामिल हैं।

प्रदेश का दूसरा कुकरैल बनेगा परगापुर

लखनऊ स्थित कुकरैल संरक्षित वन मगरमच्‍छ, घडिय़ाल व कछुओं का अभयारण्य है। इसकी स्थापना मगरमच्‍छों के संरक्षण के लिए की गई थी। आज वह इको टूरिज्म के रूप में विकसित हो चुका है। उसी की तर्ज पर फरेंदा रेंज के परगापुर ताल को विकसित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए शासन स्तर पर स्वीकृति मिल गई है। ताल में ढाई हेक्टेयर में मगरमच्‍छ व ढाई हेक्टेयर में कछुए पाले जाएंगे। लोग वाच टावर के जरिये इन्हेंं देख भी सकेंगे। मगरमच्‍छ संरक्षण केंद्र बनाने के लिए ताल में दो मीटर गहराई तक मिट्टी निकाली जाएगी। उससे पांच हेक्टेयर के लिए ताल में किनारे-किनारे बांध बनाया जाएगा। ताल से निकाली गई मिट्टी से ही वहां टीले बनाए जाएंगे, ताकि मगरमच्‍छ बाहर निकल कर उस पर आराम कर सकें। इसमें पर्यावरण के अनुकूल बबूल के पौधे भी लगाए जाएंगे।

रामगढ़ताल में बनेगा पक्षियों कृत्रिम आशियाना

रामगढ़ताल में जगह-जगह बांस का मचान बना कर परिंदों का अस्थायी ठिकाना बनाया जाएगा। ताकि देसी-विदेशी पक्षियों की मौजूदगी से ताल की खूबसूरती को चार चांद लग सके।

कामन फैसिलिटी सेंटर देगा सपनों को उड़ान

कैंपियरगंज विकासखंड के लक्ष्मीपुर में वन विभाग कामन फैसिलिटीसेंटर की स्थापना कर रहा है। इससे बांस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। साढ़े तीन करोड़ की इस परियोजना के लिए कुछ मशीनें आ चुकी हैं। उम्मीद है कि इस यह उद्योग पूर्ण रूप से संचालित हो सके। इसके लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे जहां लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं लोग बांस की खेती के लिए प्रेरित होंगे। इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।

जीवाश्म शोध का बड़ा केंद्र साबित होगा रामगढ़ताल

रामगढ़ताल को प्रदेश का पहला वेटलैंड घोषित किया गया है। इससे उसके भीतर मौजूद जीवाश्मों को सहेजा जा सकेगा। वह जीवाश्म शोध का बड़ा केंद्र बनेगा।


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