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Coronavirus Effect: बंद हुए अस्पताल तो आधा रह गया दवाओं का कारोबार Gorakhpur News

Coronavirus Effect लॉकडाउन के चलते अस्पतालों के बंद होने के कारण गोरखपुर में दवाओं की बिक्री आधी हो गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 08:52 AM (IST)
Coronavirus Effect: बंद हुए अस्पताल तो आधा रह गया दवाओं का कारोबार Gorakhpur News
Coronavirus Effect: बंद हुए अस्पताल तो आधा रह गया दवाओं का कारोबार Gorakhpur News

गोरखपुर, हेमन्त पाठक। सरकार की मंशा तो थी कि लॉकडाउन में मरीजों को दवा की कमी न हो। लेकिन, अफसरों की अनदेखी ने मुसीबत बढ़ा दी। मरीज दुकानों तक नहीं पहुंच पाए, जो पहुंचे उनको सभी दवाएं नहीं मिलीं। फुटकर दुकानदारों का भी यही दर्द रहा। सख्ती के कारण किसी तरह थोक मंडी पहुंचे तो कुछ दवाएं मिलीं, कुछ की कमी बताई गई। असर सीधा दवाओं की बिक्री पर पड़ा। पूर्वांचल के थोक बाजार गोरखपुर के भालोटिया मार्केट में जहां रोजाना का कारोबार करीब सात से आठ करोड़ की दवाओं का होता था,वहां घटकर साढ़े तीन से चार करोड़ तक आ गया।

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पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी बिहार व सीमावर्ती नेपाल से दवा खरीदने गोरखपुर आते हैं व्यवसायी

करीब 16 सौ दुकानों वाली दवा की इस थोक मंडी में गोरखपुर ही नहीं, आसपास के जिलों के साथ नेपाल के सीमाई इलाकों व पश्चिमी बिहार के भी व्यापारी पहुंचते हैं। लेकिन लॉकडाउन ने यहां की पूरी तस्वीर बदल दी। वजह सभी दुकानों व कर्म'ाारियों को समय से पास जारी नहीं हो पाए। जिनको मिले भी उनमें से कई सख्ती के कारण रास्ते से लौटा दिए गए। कसया कुशीनगर के फुटकर दवा व्यवसायी रमाशंकर ने बताया कि वह खरीदारी के लिए हर तीसरे दिन गोरखपुर आते हैं। लॉकडाउन के दौरान पहले पास बनवाने में दिक्कत आई, पास बनवाकर थोक मंडी तक पहुंचे लेकिन कई जरूरी दवाएं नहीं मिल पाईं। कसया में भी उनके ग्राहक घटकर कम हो गए। इससे बिक्री घटकर आधी रह गई।

40-50 फीसद तक घट गई बिक्री

गोरखपुर के बड़हलगंज के फुटकर दवा कारोबारी रजनीश दुबे के मुताबिक कुछ को छोड़कर उनको थोक मंडी से ज्यादातर दवाएं तो मिल जाती थीं, लेकिन दुकान पर कम ग्राहकों के पहुंचने से ब्रिकी करीब 25 से 30 फीसद गिर गई। भालोटिया मार्केट के थोक व्यापारी राजेश तुलस्यान बताते हैं कि लॉकडाउन वन में ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत से पहले तो दवाएं नहीं आ पाईं। शासन तक बात पहुंचाने के बाद राहत मिली। लेकिन, डाक्टरों की ओपीडी व अस्पताल बंद होने से बिक्री 40-50 फीसद तक घट गई। थोक व्यवसायी राजेश अग्रवाल के मुताबिक लॉकडाउन की शुरुआत में पहले दवाओं की कमी व उसके बाद डाक्टरों की क्लीनिक व अस्पताल बंद होने का सीधा असर कारोबार पर पड़ा। फुटकर व्यापारी आए जरूर लेकिन पहले की तुलना में दवाओं की खरीददारी काफी कम की। नतीजा कारोबार लगभग आधा रह गया है। परेशानी अभी भी बनी हुई है। करीब-करीब इसी तरह की परेशानी से सभी दवा व्यापारी रूबरू हुए।

वरना टूट जाते व्यवसायी

लॉकडाउन के दौरान जिस तरह दवाओं की बिक्री कम हुई, उससे व्यापारी पूरी तरह टूट जाते, लेकिन सैनिटाइजर, मास्क व मल्टी विटामिन आदि ने व्यवसाय को कुछ संभाले रखा। गोरखपुर दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने बड़े पैमाने पर विटामिन सी, मल्टी विटामिन आदि की खरीददारी की। कोरोना से बचाव के लिए मास्क व सैनिटाइजर भी खूब बिके। हाल यह रहा कि आधा हो चुके कारोबार में करीब 30-40 फीसद यही सामान बिके। इससे व्यवसाय को संबल मिला। कारोबार कम होने की बड़ी वजह पास बनने में देरी या सख्ती के कारण दूसरे जिलों के व्यापारियों का भालोटिया मार्केट नहीं पहुंच पाना रहा। क्लीनिक व अस्पताल बंद रहने से भी दिक्कत हुई। हालांकि बाद में प्रशासन के सहयोग से स्थिति ठीक हुईं। लेकिन जब तक क्लीनिक व अस्पताल खुल नहीं जाते दिक्कत बनी रहेगी।


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