बोले शिक्षाविद्, नए युग का शुभारंभ है नई शिक्षा नीति Gorakhpur News
जागरण से बातचीत में शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति को नए युग का शुभारंभ बताया।
गोरखपुर, जेएनएन। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। लगभग तीन दशक बाद शिक्षा क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर पुन: शिक्षा मंत्रालय किया गया है। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा सभी को इस नीति के दायरे में लाया गया है। जागरण से बातचीत में शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति को नए युग का शुभारंभ बताया।
राष्ट्र के नवनिर्माण का पथ प्रशस्त करने वाली है नीति
मध्य प्रदेश के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलनति प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी का कहना है कि नई शिक्षा नीति में 2020 के लिए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, पाठ्यक्रमों की पूर्णता के विकल्पों में लचीलापन, विषय-संयोजन के चयन की स्वतंत्रता और कौशल विकास से रोजगार उपलब्धि जैसे कदम समाविष्ट हैं। निश्चय ही यह एक नए युग का आरंभ है। यह धर्म, दर्शन, आध्यात्म, कला, साहित्य, ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र की प्रवीणता के लिए सूत्र और स्रोत है। यह शिक्षा नीति राष्ट्र के नवनिर्माण, सर्वांगीण प्रगति एवं ज्ञानलोक की महाशक्ति बनने का पथ प्रशस्त करने वाली है।
अब स्थानीय भाषाओं का भी महत्व बढ़ेगा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. अजय शुक्ल का कहना है कि लगभग तीन दशकों बाद देश की शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल बदलाव का प्रयास किया गया है, जो स्वागत योग्य है। डिजिटल शिक्षा एवं नवाचार इसका हिस्सा है। नई शिक्षा नीति में ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और रोजगार का समन्वय है। आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में भी नई शिक्षा नीति के माध्यम से गंभीर प्रयास किया गया है। इसमें भाषा का विकल्प बढऩे से अब स्थानीय भाषाओं का भी महत्व बढ़ेगा। नि:संदेह नई शिक्षा नीति प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक व्यापक सकारात्मक बदलाव लाएगी।
आवश्यक था देश की एकता और अखंडता के लिए
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर के हिंदी विभाग के प्रो. प्रत्यूष दुबे का कहना है कि नई शिक्षा आज के युवाओं को भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगी, जिससे राष्ट्र विश्व नेतृत्व हेतु तैयार हो सके। इसके साथ ही साथ इस शिक्षा नीति से युवकों में चेतना का संस्कार भी होगा, जो समाज के लिए हितकर होगा। त्रिभाषा नीति को भी पूरी ईमानदारी से स्वीकार करने की आवश्यकता है। यह देश की एकता और अखंडता के लिए अत्यंत आवश्यक है। नई शिक्षा नीति को लागू कर सरकार ने शिक्षा को लेकर अपनी सार्थक दृष्टि स्पष्ट कर दी है।
भारत की इकोनॉमी को मजबूत करेगी नई शिक्षा नीति
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग के प्रो. राजीव प्रभाकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनमें शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देना, छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कराना, दिव्यांग ब'चों के लिए विभिन्न प्रावधान करना, पाठ्यक्रम को कम किया जाना, ऐप, टीवी, चैनल से पढ़ाई कराना। नई शिक्षा नीति भारत की इकोनॉमी को मजबूत करेगी, क्षेत्रीय भाषा का विकास करेगी और सशक्त नए भारत की नींव रखेगी।