गोरखपुर मंडल में 26 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती नहीं कर पा रहे किसान, जानें-क्या है असली वजह Gorakhpur News
बरसात के मौसम में नदी-नालों से उफना कर खेतों तक पहुंचे पानी की निकासी न होने से किसान पूरे एक सीजन खेती नहीं कर पाते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। मंडल में 25 हजार सात सौ 96 हेक्टेयर भूमि जलभराव की चपेट में है। रबी सीजन में तो किसान इस पर खेती कर लेते हैं, लेकिन खरीफ सीजन में यहां हल चलाना संभव नहीं होता। बरसात के मौसम में नदी-नालों से उफना कर खेतों तक पहुंचे पानी की निकासी न होने से किसान पूरे एक सीजन खेती नहीं कर पाते हैं।
गोरखपुर मंडल की यह है स्थिति
किसानों की समस्या के निदान को गठित टास्क फोर्स ने मंडल में जलभराव वाले स्थानों को चिह्नित किया है। सर्वाधिक जलभराव की समस्या कुशीनगर जिले में है। टास्क फोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वहां बांसी नदी किनारे गौरी जगदीश, दमकला, मलाही टोला, सेमरापुर के पास करीब 20 किलोमीटर तक आठ हजार हेक्टेयर भूमि में जलभराव खेती के लिए संकट है। कुशीनगर में अन्य स्थानों पर 1928 हेक्टेयर भूमि भी जलभराव से निष्प्रयोज्य है। महराजगंज जिले में 8185 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि जलभराव की चपेट में है। गोरखपुर जिले में 19 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां नदी और बड़े नालों का पानी जमा होने से 6258 हेक्टेयर खेत में खरीफ फसल नहीं होती। 1425 हेक्टेयर खेत देवरिया जिले में भी प्रभावित हैं।
कैसे दूर होगी समस्या
सिंचाई विभाग/संबंधित विभाग द्वारा चक नाली, नालों, नहरों के सिल्ट सफाई हेतु कार्ययोजना तैयार कराई जानी चाहिये। सड़क निर्माण के समय पर्याप्त पुलिया न होने से समस्या है। पुलिया निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। चिह्नित क्षेत्रों में खेतों का समतलीकरण। चकमार्गों के निर्माण व उच्चीकरण में मानक का ध्यान। भूमि संरक्षण विभाग द्वारा भूमि सुधार व भूमि उपचार की कार्ययोजना तैयार की जाए।
तो पैदा होगा 754 हजार क्विंटल धान
संयुक्त कृषि निदेशक डा.ओमवीर सिंह का कहना है कि टास्क फोर्स द्वारा सिर्फ उन स्थानों की रिपोर्ट दी गई है, जिसे सुधारा जा सकता है। तमाम जगह ऐसी हैं, जहां सुधार की गुंजाइश ही नहीं। जलभराव वाले क्षेत्रों में किसान किसी तरह रबी का उत्पादन तो कर लेता है, पर खरीफ की फसल का लाभ नहीं ले पाता है। यह भूमि उपयोग में आ जाए तो इस क्षेत्र में एक हेक्टेयर से 28 से 30 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। इस तरह करीब 26 हजार हेक्टेयर भूमि से औसतन 754 हजार क्विंटल धान का उत्पादन होगा। इसमें 10, 400 हजार क्विंटल गन्ने की उपज हो सकती है।