'जीवन की सांस' का ले रहे अधिक दाम
निजी अस्पतालों के संचालक जीवन की सांस यानी आक्सीजन का मरीजों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं।
संत कबीरनगर, जेएनएन : निजी अस्पतालों के संचालक 'जीवन की सांस' यानी आक्सीजन का मरीजों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। इसके मिलने में दिक्कत और किल्लत की स्थिति बताकर वह ऐसा कर रहे हैं। कोरोना संकट काल में राहत पहुंचाने की बजाय गलत फायदा उठा रहे हैं। यह आरोप निजी अस्पताल में परिवार के सदस्यों का इलाज करा चुके मुखिया लगा रहे हैं। जिले के आला अधिकारी नहीं करते कार्रवाई नाथनगर ब्लाक के ठाठर गांव के निवासी बुद्धिसागर त्रिपाठी ने कहा कि तीन माह पहले गांव की एक महिला के प्रसव पीड़ा होने पर वह खलीलाबाद बाईपास के निकट स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए थे। वहां के डाक्टर ने तुरंत आपरेशन करने की बात कहीं। आपरेशन थियेटर में लेकर चले गए। आपरेशन के बाद नवजात व उसकी मां को आक्सीजन दिया गया। इसका तीन हजार रुपये जोड़ते हुए 20 हजार रुपये का बिल थमा दिया। पूरा भुगतान करना पड़ा। निजी अस्पताल के संचालक कोरोना संकट काल में भी राहत पहुंचाने के बजाय मनमानी कर रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी जिले के आला अधिकारी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। सुविधा के नाम पर मरीजों का शोषण खलीलाबाद ब्लाक के चंदहर गांव के निवासी अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि जनपद के सभी सरकारी अस्पतालों में योग्य डाक्टर, दवा, आक्सीजन सिलेंडर सहित सभी संसाधन हैं। मुफ्त में इलाज की सुविधा है। यहां पर पहुंचने पर समय से डाक्टर नहीं मिलते और तुरंत इलाज नहीं हो पाता है। इसके कारण लोग निजी अस्पताल में जाते हैं। यहां पर इलाज का कोई निश्चत दर नहीं है। आपरेशन किए जाने पर आक्सीजन सिलेंडर सहित अन्य मद में काफी पैसे लिए जाते हैं। मरीज शिकायत करने के बजाय खामोश रहना पसंद करते हैं। इसलिए सुविधा के नाम पर शोषण की स्थिति है। जिला अस्पताल, सभी सीएचसी व पीएचसी में आक्सीजन सिलेंडर आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध है। कोरोना संकट काल में इसके मिलने में कोई दिक्कत नहीं आई। सेंट थामस इंटर कालेज-खलीलाबाद के एल वन कोरोना वार्ड में अब तक पांच आक्सीजन सिलेंडर खपत हुआ है। मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डा. मोहन झा, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी