अजब-गजब : सामूहिक नकल वाले कॉलेजों में परीक्षा को हरी झंडी, आरोपमुक्त कालेज बाहर
सामूहिक नकल में दोषी पाए जाने वाले डिग्री कालेजों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया। आरोपमुक्त कालेज को परीक्षा केंद्र बनाया ही नहीं गया।
By Edited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 07:08 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 09:35 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की भी अजब नीति है। ऐसे कॉलेज, जिन्हें सामूहिक नकल का दोषी बताते हुए विश्वविद्यालय ने परीक्षा केंद्र नहीं बनाने का निर्णय लिया था, वहां परीक्षा कराने में उसे कोई हर्ज नहीं, वहीं ऐसे कॉलेज जिन पर सामूहिक नकल के आरोप साबित नहीं हो सके, उन्हें परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जा रहा।
यही नहीं, पिछले वर्ष के पर्चा आउट प्रकरण में जिस बुद्ध पीजी कॉलेज के जिम्मेदारों की भूमिका विश्वविद्यालय ने संदिग्ध पाई है, इस बार भी परीक्षा की शुचिता की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी जा रही है। सत्र 2017-18 की परीक्षा में करीब 15 कॉलेजों में सामूहिक नकल होने की बात कहते हुए परीक्षा समिति ने इन कॉलेजों को अगले एक वर्ष तक परीक्षा केंद्र नहीं बनाने का दंड दिया गया था। इसके अलावा नियमानुसार संबंधित परीक्षार्थियों के अंक में कटौती भी की गई।
अब इसी परीक्षा समिति ने इस वर्ष की परीक्षा के लिए सामूहिक नकल वाले इन कॉलेजों में परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया है। यही नहीं, विश्वविद्यालय की विशेष जांच समिति ने गणित के पर्चा आउट होने के मामले में बुद्ध पीजी कॉलेज, कुशीनगर के कई जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध पाई, इस बार भी यही जिम्मेदार परीक्षाएं कराएंगे। दूसरी ओर राम गुलाम राय पीजी कॉलेज और बहादुर यादव पीजी कॉलेज देवरिया, जैसे कॉलेज, जहां सामूहिक नकल के आरोप साबित नहीं हो सके, उन्हें इस बार परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जा रहा है।
इन दोनों कॉलेजों ने कुलपति को इस बाबत प्रत्यावेदन भी दिया है। तर्क अजीब, नीति विचित्र अपने निर्णय बाबत विवि जो तर्क दे रहा है, वह भी विचित्र ही है। कुलपति प्रो. वीके सिंह का कहना है कि सामूहिक नकल वाले 15 कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाने के पीछे केंद्रों की कमी एक प्रमुख कारण है। यही नहीं छात्राओं का केंद्र दूर भेजना भी उचित नहीं होगा। वहीं पर्चा आउट प्रकरण में कहना है कि मामले की जांच एसटीएफ स्तर पर लंबित है, ऐसे में इसे केंद्र बनाने में कोई समस्या नहीं। दूसरी ओर राम गुलाम राय पीजी कॉलेज व बहादुर यादव पीजी कॉलेज में विवि का तर्क है कि यहां सामूहिक नकल भले ही साबित नहीं हुआ, लेकिन एसटीएफ की छापेमारी में यहां भारी मात्रा में नकल सामग्री पाई गई थी, जिसका प्रकरण कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इन्हें केंद्र नहीं बनाया जा सकता। विवि का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा। कुलपति का मजबूरी वाला बयान, यह निर्णय परीक्षा समिति का दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह का कहना है कि जो निर्णय हुआ, वह मैंने अकेले नहीं लिया, पूरी परीक्षा समिति ने विचार-विमर्श कर लिया है। राम गुलाम राय कॉलेज और बहादुर यादव कॉलेज का प्रत्यावेदन मिला है, जल्द ही परीक्षा समिति इस पर भी विचार करेगी।
यही नहीं, पिछले वर्ष के पर्चा आउट प्रकरण में जिस बुद्ध पीजी कॉलेज के जिम्मेदारों की भूमिका विश्वविद्यालय ने संदिग्ध पाई है, इस बार भी परीक्षा की शुचिता की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी जा रही है। सत्र 2017-18 की परीक्षा में करीब 15 कॉलेजों में सामूहिक नकल होने की बात कहते हुए परीक्षा समिति ने इन कॉलेजों को अगले एक वर्ष तक परीक्षा केंद्र नहीं बनाने का दंड दिया गया था। इसके अलावा नियमानुसार संबंधित परीक्षार्थियों के अंक में कटौती भी की गई।
अब इसी परीक्षा समिति ने इस वर्ष की परीक्षा के लिए सामूहिक नकल वाले इन कॉलेजों में परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया है। यही नहीं, विश्वविद्यालय की विशेष जांच समिति ने गणित के पर्चा आउट होने के मामले में बुद्ध पीजी कॉलेज, कुशीनगर के कई जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध पाई, इस बार भी यही जिम्मेदार परीक्षाएं कराएंगे। दूसरी ओर राम गुलाम राय पीजी कॉलेज और बहादुर यादव पीजी कॉलेज देवरिया, जैसे कॉलेज, जहां सामूहिक नकल के आरोप साबित नहीं हो सके, उन्हें इस बार परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जा रहा है।
इन दोनों कॉलेजों ने कुलपति को इस बाबत प्रत्यावेदन भी दिया है। तर्क अजीब, नीति विचित्र अपने निर्णय बाबत विवि जो तर्क दे रहा है, वह भी विचित्र ही है। कुलपति प्रो. वीके सिंह का कहना है कि सामूहिक नकल वाले 15 कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाने के पीछे केंद्रों की कमी एक प्रमुख कारण है। यही नहीं छात्राओं का केंद्र दूर भेजना भी उचित नहीं होगा। वहीं पर्चा आउट प्रकरण में कहना है कि मामले की जांच एसटीएफ स्तर पर लंबित है, ऐसे में इसे केंद्र बनाने में कोई समस्या नहीं। दूसरी ओर राम गुलाम राय पीजी कॉलेज व बहादुर यादव पीजी कॉलेज में विवि का तर्क है कि यहां सामूहिक नकल भले ही साबित नहीं हुआ, लेकिन एसटीएफ की छापेमारी में यहां भारी मात्रा में नकल सामग्री पाई गई थी, जिसका प्रकरण कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इन्हें केंद्र नहीं बनाया जा सकता। विवि का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा। कुलपति का मजबूरी वाला बयान, यह निर्णय परीक्षा समिति का दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह का कहना है कि जो निर्णय हुआ, वह मैंने अकेले नहीं लिया, पूरी परीक्षा समिति ने विचार-विमर्श कर लिया है। राम गुलाम राय कॉलेज और बहादुर यादव कॉलेज का प्रत्यावेदन मिला है, जल्द ही परीक्षा समिति इस पर भी विचार करेगी।
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