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एक साल में आठ फीसद भी काम नहीं

गोरखपुर : गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस' जैसी है। काय

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 06:17 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 06:17 PM (IST)
एक साल में आठ फीसद भी काम नहीं
एक साल में आठ फीसद भी काम नहीं

गोरखपुर : गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस' जैसी है। कार्य पूर्ण करने की अवधि ढाई साल है, जबकि एक साल बीतने को है और कार्य आठ फीसद भी नहीं हो सका है।

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कार्यदायी संस्था एनएचएआइ (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने निर्माण एजेंसी जेपी एसोसिएट को कार्य में तेजी लाने की नोटिस जारी कर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का शिलान्यास केंद्रीय सड़क परिवहन, राज मार्ग एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 8 सितंबर 2016 को किया था। अप्रैल 2017 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण पूरा करने की अवधि अक्टूबर 2019 है। कार्य पहले चरण में बांसगांव व गोला तहसील में लगभग 25 किलोमीटर में शुरू कराया गया, जो अधूरा है।

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गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन (पैकेज फोर)- एक नजर

-कुल लंबाई- 65 किमी

-कुल लागत- 1030 करोड़ रुपये

-बड़े पुल (60 मीटर से ज्यादा)- 4

-छोटे पुल (60 मीटर से कम)- 12

-बड़हलगंज व कौड़ीराम में बाईपास

-वैकिल अंडरपास- 1

-पब्लिक अंडरपास- 10

-फ्लाइओवर- 1

-सर्विस रोड- 22.5 किमी

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अधिक मुआवजा के विरुद्ध कोर्ट जाएगा एनएचएआइ

गोरखपुर के 11 गांवों का मुआवजा जिला प्रशासन ने जितना लगाया है उसे शासन ने अधिक बताते हुए आपत्ति जताई है। जिला प्रशासन ने इन गांवों में पांच से लेकर छह करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा लगाया है। शासन की आपत्ति के बाद अब एनएचएआइ इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में है। इस वजह से गोरखपुर के इन 11 गांवों में कार्य शुरू होने में विलंब हो सकता है।

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एनएचएआइ के परियोजना प्रबंधक एके कुशवाहा ने कहा कि इस समय लगभग 25 किलोमीटर में कार्य चल रहा है। कार्य की गति बहुत धीमी व असंतोषजनक है। कार्य की अवधि ढाई साल में से एक साल बीतने को है लेकिन अभी तक लगभग आठ फीसद कार्य भी नहीं हो पाया है। निर्माण एजेंसी के साथ बैठक कर तथा उसे नोटिस जारी कर कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है, ऐसा न होने की दशा में कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

उधर जेपी एसोसिएट के जीएम एसएन यादव का कहना है कि मैटेरियल नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में नई सरकार आते ही डाला व चोपन में अनेक खदानें बंद हो गई। सरकार ने नई नीलामी की थी लेकिन वह अभी फाइनल नहीं हो पाई हैं। बिहार से हम लोग गिट्टी-बालू मंगा रहे थे, पिछले जून से वहां भी बंद हो गया। अब बंगाल के दुर्गापुर, पाकड़ व यूपी के कबड़ई से मंगा रहे हैं। एक तो दूरी के नाते मैटेरियल महंगा पड़ रहा है, दूसरे उपलब्धता भी बहुत कम है। इस वजह से कार्य की गति थोड़ी धीमी है। यदि मैटेरियल पर्याप्त मिल जाए तो कार्य गति पकड़ लेगा।


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