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सावधान! ईयरफोन का इस्तेमाल कम कर रहा सुनने की क्षमता, विशेषज्ञ बोले- तेज आवाज से कान को खतरा

डॉक्टरों के अनुसार आजकल 20-25 साल के युवाओं में कम सुनने की ज्यादातर शिकायतें आ रही हैं। ऐसे लोगों की संख्या बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बढ़ गई है। डॉक्टर का कहना है कि इसका सबसे मुख्य कारण ईयरफोन व हेडफोन से तेज आवाज में गाने सुनना व वीडियो देथना है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Mon, 06 Feb 2023 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 02:44 PM (IST)
सुनने की क्षमता कम कर रहा इयरफोन। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। वाहनों के हॉर्न, टीवी की तेज आवाज, शोरगुल से ही सुनने की क्षमता प्रभावित नहीं होती, अब इसमें तेजी से प्रचलित हुआ ईयरफोन व हेडफोन भी इजाफा कर रहा है। कम सुनाई देने वाले रोगियों की संख्या बढ़ रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने पहुंचने वाले ज्यादातर रोगियों की उम्र 20-25 साल है। दो साल पहले ओपीडी जहां प्रतिदिन दो-चार युवा रोगी आते थे, अब उनकी संख्या 15-20 हो गई है। डॉक्टरों ने इसका मुख्य कारण ईयरफोन लगाकर 50-60 डेसिबल से तेज आवाज में ज्यादा देर तक और रोज गाने सुनना या वीडियो देखना बताया है।

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कानों में सीटी बजने की आवाज से परेशान हैं लोग

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के ओपीडी में प्रतिदिन 15 से 20 युवा पहुंच रहे हैं जिनकी सुनने की क्षमता कम हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है लगभग सभी युवा रोगियों में इसका बड़ा कारण तेज आवाज में लगातार ईयरफोन या हेडफोन लगाकर गाने या वीडियो देखना-सुनना पाया गया है। अनेक रोगी कानों में सीटी बजने की आवाज से परेशान थे। वे सो नहीं पाते थे। कुछ के कानों में घरघराहट या सांय-सांय की आवाज आती थी। आवाज आने पर रोगी रात को सोते समय उठकर बैठ जाते थे। तेज आवाज से कान की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। साथ ही वहां इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। वाहनों की तेज आवाज व हार्न से दिक्कतें पहले से बढ़ी हुई थीं, अब ईयरफोन इसमें इजाफा करने लगा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बीआरडी मेडिकल कॉलेज नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य पाठक के विशेषज्ञ ने बताया कि 25 डेसिबल तक आवाज सुनना कान की क्षमता के हिसाब से सही है। इससे ज्यादा होने पर सुनने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। यदि रोज दो-तीन घंटा लगातार ईयरफोन लगाकर 50-60 डेसिबल से ज्यादा पर सुन रहे हैं तो एक माह के अंदर कान की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाएंगी। यदि एक दिन दो-तीन घंटे सुने और दूसरे दिन नहीं सुने तो शरीर कोशिकाओं की मरम्मत कर देता है। जो भी रोगी आ रहे हैं वे लगातार चार-पांच घंटे लगातार और रोज 50-60 डेसिबल से तेज आवाज में गाने सुन रहे थे या वीडियो देख रहे थे।


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