Lockdown के चलते पति का शव नहीं ला सकी पत्नी, पुतला बनाकर किया अंतिम संस्कार Gorakhpur News
सोचिये उस पत्नी की क्या दशा होगी जो यह जानते हुए कि उसका पति इस दुनिया में नहीं रहा उसकी लाश घर नहीं ला सकी। बेबस परिवार को पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
गोरखपुर, जेएनएन। गरीब की मजबूरी का चरमोत्कर्ष बयां करने वाली चौरीचौरा की ये घटना सिस्टम की संवेदनहीनता को भी उजागर करने वाली है। सोचिये, उस पत्नी की क्या दशा होगी, जो यह जानते हुए कि उसका पति इस दुनिया में नहीं रहा, उसकी लाश घर नहीं ला सकी। दिल्ली में चिकनपॉक्स से दम तोडऩे वाले सुनील का शव गांव नहीं पहुंच सका तो बेबस परिवार को पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
दिल्ली में मजदूरी करता था सुनील
डुमरी खुर्द का सुनील दिल्ली में मजदूरी करता था। पत्नी पूनम पांच बच्चों के साथ गांव में रहती है। लॉकडाउन का पालन करने के चलते सुनील घर नहीं आ सका। इसी बीच चिकनपॉक्स होने पर उसे सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 14 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने अगले ही दिन ग्राम प्रधान को सूचना भेज दी। इसके बाद एक-एक करके परिवार, पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी हुई, लेकिन किसी ने गरीब का शव घर तक लाने के लिए ठोस पहल नहीं की। नतीजन सुनील का शव एक हफ्ते तक मर्चरी में पड़ा रहा। इधर, इंतजार करके थक चुके बेबस परिवार ने पुरोहितों की सलाह पर सुनील का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया। डेढ़ साल के बेटे अभि ने मुखाग्नि दी। सुनील की मौत के बाद पूनम के सामने बेटी नीशू, खुशबू, निशि, अनुष्का व बेटा अभि की परवरिश का संकट खड़ा हो गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मिलेगी मदद
सुनील की पत्नी पूनम ने मंगलवार को एसडीएम अर्पित गुप्ता एवं तहसीलदार रत्नेश त्रिपाठी से मुलाकात की। उसने गुजारे के लिए आर्थिक मदद के साथ आवास, विधवा पेंशन एवं बच्चों के पढ़ाई के लिए व्यवस्था कराने की गुहार लगाई। तहसीलदार ने बताया कि पत्नी ने सुनील का दिल्ली में अंतिम संस्कार कराकर दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की है। फिलहाल जनसहयोग से उसके खाते में 76500 सौ जमा करा दिए गए हैं। शासन से मिलने वाली सहायता पीएम रिपोर्ट आने के बाद मिलेगी।
शास्त्र सम्मत है पुतला दहन
धर्माचार्य पंडित शरदचंद्र मिश्र व डॉ. जोखन पांडेय के अनुसार गरुण पुराण के मुताबिक पुतला दहन में सभी प्रक्रियाएं शव दाह की तरह ही होती हैं। बांस के टुकड़ों से मानव आकृति बनाई जाती है। इसके बाद कई अन्य विधान द्वारा पुतला मानव के बराबर बनाया जाता है। यदि पुतला दहन के बाद शव मिल गया तो उसका दाह संस्कार नहीं किया जाता, उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या भूमि में दबा दिया जाता है।