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खुले नालों पर निर्भर शहर की जलनिकासी व्यवस्था

कचरा और गंदगी से नाले पट जाते हैं जिससे पानी का बहाव रुक जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 06:56 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 06:56 AM (IST)
खुले नालों पर निर्भर शहर की जलनिकासी व्यवस्था
खुले नालों पर निर्भर शहर की जलनिकासी व्यवस्था

जागरण संवाददाता, बस्ती : 70 साल पुराने शहर में जलनिकासी की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं हो पाई। पानी बहाव के लिए शुरू में नालों और नालियों का जो मानचित्र तैयार हुआ उसमें कुछ खास परिवर्तन नहीं हो पाया। अब आबादी बढ़कर छह गुना से अधिक हो गई है। शहर का दायरा भी बढ़ा और आवास भी बढ़े। जरूरत के हिसाब से ड्रेनेज सिस्टम का विस्तार नहीं हुआ।

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प्रमुख नालों की मरम्मत भले कई बार हुई, लेकिन इन्हें ढका नहीं जा सका। कूड़ा-करकट से यह नाले पट जाते हैं। हर साल इनकी सफाई पर 10 से 15 लाख रुपये खर्च किया जा रहा है। लेकिन जलभराव की समस्या का स्थाई निदान नहीं निकल पाता है। केवल बाजार में ही यह नाले ढके हुए मिलेंगे। वह भी दुकानदारों के निजी प्रयास से यह संभव हुआ है। खुले नालों में पानी के साथ कूड़ा-करकट भी फेंक दिया जाता है। शहर में कुल 35 किलोमीटर की लंबाई में 39 नाले बनाए गए हैं। पहले वार्ड 8 थे। आबादी भी कम थी। अब आबादी बढ़कर सवा लाख हो गई है और वार्ड 25 हो गए। अब यह नाले जलनिकासी के लिए पर्याप्त नहीं है। ऊपर से अधिकांश नाले जाम होने के कारण पानी का बहाव भी नहीं कर पाते हैं। सीवरेज सिस्टम ही जलनिकासी व्यवस्था का स्थाई निदान है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। सर्वे कार्य हो चुका है। सांसद भी शहर को यह सुविधा दिलाने में पूरा प्रयास कर रहे हैं। सबकुछ ठीक रहा तो स्वीकृति जल्द मिल सकती है।

रूपम मिश्रा, नपाध्यक्ष 1950 में नगरपालिका बस्ती का गठन शहर की कुल आबादी- 114540 (2011 की जनगणना के अनुसार)

कुल वार्ड- 25

शहरी क्षेत्र में आवास- 22 हजार

मुख्य नाले- 39, लंबाई- 35 किलोमीटर

कुल नालियां- 150


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