डोनाल्ड ट्रंप के दौरे से मजबूत होगी भारत-अमेरिका रिश्तों की डोर Gorakhpur News
गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रजनीकांत पांडेय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे से भारत-अमेरिका रिश्तों की डोर मजबूत होगी।
गोरखपुर, जेएनएन। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अमेरिका भारत का दोस्त है या नहीं? अभी यह कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से भारत-अमेरिका के रिश्तों की डोर मजबूत होने की उम्मीद नजर आ आ रही है। भले ही अमेरिका सच्चे मन से भारत का दोस्त नहीं है, लेकिन आर्थिक लाभ अमेरिका को भारत के करीब खींच लाती है।
सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में अमेरिका को करनी चाहिए मदद
यह बातें सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के पूर्व कुलपति व दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर रजनीकांत पांडेय ने कही। वे सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जागरण विमर्श कार्यक्रम में 'भारत-अमेरिका मैत्री कितनी मजबूत' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि ट्रंप भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखते हैं तो उनकी यह यात्रा भारत के दृष्टिकोण से लाभदायक व सार्थक होगी।
पाकिस्तान की तरफ भी है अमेरिका का झुकाव
प्रो. पांडेय ने कहा कि विदेश नीतियों का निर्धारण एक या दो दौरों से नहीं होता है, लेकिन यह जरूर है कि ऐसे दौरों से दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर एक माहौल जरूर बनता है। इसके पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, बराक ओबामा ने भी भारत का दौरा किया था। उस समय भी भारत-अमेरिकी रिश्तों के प्रगाढ़ होने की बात सामने आई थी। बीच-बीच मेें पाकिस्तान की तरफ अमेरिकी झुकाव से दोनों देशों के बीच यह रिश्ते मजबूत होने की बजाय कमजोर भी हुए। भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग व दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच आपसी संबंध जितने मजबूत होंगे। दोनों देश भी उतने ही मजबूत होंगे।
ओबामा ने की थी सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यता की वकालत
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती चीन को महाशक्ति बनने से रोकेगी। पिछली बार बराक ओबामा ने भारत का दौरा किया था तो उन्होंने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने की बात कही थी। उस समय ऐसा लगा कि भारत-अमेरिका संबंध आपस में मजबूत हो रहे हैं, लेकिन उनकी यह बात मूर्त रूप नहीं ले सकी।
अमेरिका भारत का ट्रेडिशनल नहीं प्रोफेशनल दोस्त
भारत-अमेरिका संबंधों की बात करें तो अमेरिका भारत का ट्रेडिशनल (परंपरागत) नहीं प्रोफेशनल (पेशेवर) दोस्त जरूर हो सकता है, क्योंकि अमेरिका तो हथियार बनाता है उसे बेचने के लिए उसे भारत जैसा देश चाहिए। जिसके पास बड़ा बाजार है। इस दृष्टि से भी अमेरिका की नजर भारत पर रहती है।