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बस्‍ती में डाक्‍टरों ने मरीज को नहीं किया भर्ती, वाहन में ही तड़पकर मर गई महिला

बस्‍ती जिला अस्पताल की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा सी गई है। एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए स्वजन दो घंटे तक मनुहार करते रहे लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अंततवाहन में ही तड़प-तड़प कर महिला इलाज के अभाव में मर गई।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Thu, 29 Apr 2021 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 11:10 AM (IST)
महिला को नहीं किया भर्ती, गाड़ी में ही दम तोड़ दिया। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना संक्रमण काल में बस्‍ती जिला अस्पताल की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा सी गई है। दूसरी बीमारी से परेशान मरीजों को बैरंग लौटा दिया जा रहा है। एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए स्वजन दो घंटे तक मनुहार करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अंतत:वाहन में ही तड़प-तड़प कर महिला इलाज के अभाव में मर गई। यहा तो महज एक बानगी है। ऐसे ही आए दिन  मरीजों को  बाहर से ही लौटा दिया जा रहा है। इन सारी अव्यवस्था से बेपरवाह सीएमएस आर पांडेय सेवानिवृत्ति का दिन गिन रही हैं।  

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संतकबीरनगर की रहने वाली थीं रेशमा

संतकबीरनगर के पकडड़ीहा गांव की 55 साल की बीमार रेशमा देवी को स्वजन पहले रुधौली सीएचसी पर ले गए तो वहां से बस्ती के लिए रेफर कर दिया गया। दोपहर 12 बजे उन्‍हें भर्ती कराने के लिए स्वजन परेशान रहे। अंतत: बीमार महिला को बेड नहीं मिला और वाहन में ही तड़प-तड़प कर उन्‍होंने दम तोड़ दिया। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के स्वजनों से इमरजेंसी के ट्रांमा सेंटर में में तैनात फार्मासिस्ट यह कह रहे हैं कि लइकै जा घरे,वहीं दवाई खिलाओ। यह बात हर किसी से कही जा रही है। कोई पैरवी करा रहा है तो अस्पताल में आक्सीजन न होने की बात बताई जा रही है। कुल मिलाकर मरीजों को दूसरी जगह भेजने का अभियान चल रहा है।

मंगलवार शाम से तकलीफ थी रेशमा को

रेशमा देवी मंगलवार की शाम से कुछ तकलीफ हुई थी। स्वजन रात में ही पहले रुधौली लेकर गए, लेकिन वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया। आधी रात तक स्वजन बीमार महिला को लेकर परेशान रहे,जब कहीं नहीं भर्ती किया गया तो घर चले गए। सुबह फिर से महिला को लेकर रुधौली पहुंचे लेकिन देखते ही चिकित्सक ने कहा फिर आ गए। बस्ती लेकर जाओ, यहां इलाज संभव नहीं है। इस तरह रेफर कर दिया। स्वजन 12 बजे जिला अस्पताल बस्ती लेकर पहुंच गए। विजय प्रकाश ने बताया कि ट्रामा सेंटर में जब भर्ती के लिए गए तो वहां तैनात एक फार्मासिस्ट ने कहा कि लइकै जा घरे, वहीं दवा खिलाओ नाही तो कोरोना पकड़ ली। मरीज को सांस लेने में कुछ तकलीफ थी और चिकित्सक ने ब्लड की कमी बताया था। बावजूद इसके भर्ती नहीं किए। लगातार मनुहार करते रहे। दो घंटे तक मरीज को निजी वाहन में बैठाए-लिटाए रखे। किसी ने एक न सुनी। अंतत: बिना इलाज के मरीज की मृत्यु हो गई। समय से भर्ती की गई होती महिला जो शायद उसकी जान बच सकती थी।

कोई काम हो बताएं, शिकायत सुनने का मौका नहीं

अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डा. आर पांडेय से प्रकरण के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि आपका कोई काम हो तो बताएं,शिकायत सुनने का मौका नहीं है। जिस मरीज को भर्ती नहीं किया गया होगा, कोई कारण रहा होगा। अस्पताल में आक्सीजन की कमी है। प्रति मरीज को एक-एक सिलेंडर नहीं दिया जा सकता।

आक्सीजन की कमी बरकरार, बेड भी नहीं मिल रहा

जिला अस्पताल में आक्सीजन की कमी का संकट बढ़ता ही जा रहा है। मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहे हैं। चिकित्सक बात करने को राजी नहीं हैं। स्टाफ तो मरीजों के पास जाना नहीं चाहते। आए दिन आक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो रही है, लेकिन इस कमी को छिपाने के लिए पूरा तंत्र लगा हुआ है। इसी प्रकार उसका बाजार का जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती एक मरीज आक्सीजन पर है। आक्सीजन खत्म होने वाला है, उसे आक्सीजन नहीं मिल रहा है। आक्सीजन के लिए स्वजन एक-दूसरे से मदद की गुहार लगा रहे हैं।


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